Hindi Newsफोटोम्यांमार में उजड़ी दुनिया बसा रही भारतीय सेना और NDRF, पसरा है तबाही का मंजर; देखें तस्वीरें

म्यांमार में उजड़ी दुनिया बसा रही भारतीय सेना और NDRF, पसरा है तबाही का मंजर; देखें तस्वीरें

  • इस संकट की घड़ी में भारत ने तुरंत कदम उठाते हुए ऑपरेशन ब्रह्मा शुरू किया, जिसके तहत भारतीय सेना और NDRF राहत और बचाव कार्यों में जुट गए हैं।

Amit KumarFri, 4 April 2025 02:57 PM
1/11

म्यांमार में उजड़ी दुनिया बसा रही भारतीय सेना और NDRF

म्यांमार में हाल ही में आए 7.7 तीव्रता के भीषण भूकंप ने भारी तबाही मचाई है। 28 मार्च 2025 को आए इस भूकंप का केंद्र मंडाले क्षेत्र में था, जिसने न सिर्फ म्यांमार बल्कि थाइलैंड, वियतनाम, लाओस और दक्षिण-पश्चिम चीन तक को हिलाकर रख दिया। इस प्राकृतिक आपदा ने हजारों लोगों की जिंदगियां छीन लीं और लाखों को बेघर कर दिया। म्यांमार के सरकारी आंकड़ों के अनुसार, अब तक 3,000 से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है, जबकि 4,500 से ज्यादा घायल हैं। इस संकट की घड़ी में भारत ने तुरंत कदम उठाते हुए "ऑपरेशन ब्रह्मा" शुरू किया, जिसके तहत भारतीय सेना और राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल (NDRF) राहत और बचाव कार्यों में जुट गए हैं।

2/11

भारत की सहायता म्यांमार के लिए उम्मीद की किरण

भूकंप के बाद म्यांमार की दूसरी सबसे बड़ी नगरी मंडाले में भारी नुकसान हुआ। इमारतें ढह गईं, सड़कें टूट गईं, और बुनियादी ढांचा पूरी तरह चरमरा गया। मंडाले हवाई अड्डा बंद हो गया और 22 अस्पताल क्षतिग्रस्त हो गए, जिससे चिकित्सा सुविधाएं प्रभावित हुईं। इस आपदा ने देश में चल रहे गृहयुद्ध और बिजली संकट को और गंभीर बना दिया। 40 डिग्री सेल्सियस की गर्मी में लोग अपने हाथों से मलबा हटाने को मजबूर हैं, जबकि संयुक्त राष्ट्र ने भूख और महामारी फैलने की चेतावनी दी है। ऐसे में भारत की सहायता म्यांमार के लिए उम्मीद की किरण बनकर उभरी है।

3/11

भारत का ऑपरेशन ब्रह्मा

भारत ने "ऑपरेशन ब्रह्मा" के तहत म्यांमार को त्वरित सहायता पहुंचाई। अब तक छह विमान और पांच नौसैनिक जहाजों के जरिए 625 मीट्रिक टन राहत सामग्री भेजी जा चुकी है। इसमें टेंट, कंबल, दवाइयां, खाद्य सामग्री और पानी की स्वच्छता इकाइयां शामिल हैं। भारतीय वायुसेना के C-130J और C-17 विमानों ने 29 मार्च को पहली खेप यांगून पहुंचाई, जबकि नौसेना के जहाज INS सतपुड़ा और INS सावित्री ने 31 टन और 19 टन सामग्री थिलावा बंदरगाह पर उतारी। यह सहायता म्यांमार के सागाइंग, मंडाले, नाय पयी ताव, शान और बागो जैसे प्रभावित क्षेत्रों में वितरित की जा रही है।

4/11

NDRF की 80 सदस्यीय टीम

NDRF की 80 सदस्यीय टीम मंडाले में बचाव कार्यों में जुटी है। यह टीम 8वीं बटालियन, गाजियाबाद से है और चार प्रशिक्षित कुत्तों के साथ मलबे में दबे लोगों की तलाश कर रही है। पिछले तीन दिनों में टीम ने 20 शव बरामद किए हैं और कई जिंदगियां बचाने की कोशिश में लगी है। मंडाले के 'सेक्टर डी' में 13 इमारतों में राहत कार्य चल रहे हैं, जिसमें उहला थीन मठ भी शामिल है, जहां 270 बौद्ध भिक्षुओं के फंसे होने की आशंका है। NDRF की यह टीम म्यांमार के अग्निशमन विभाग के साथ मिलकर काम कर रही है।

5/11

भारतीय सेना का फील्ड हॉस्पिटल

भारतीय सेना ने भी मंडाले के पुराने हवाई अड्डे पर एक फील्ड हॉस्पिटल स्थापित किया है। 118 सदस्यीय इस मेडिकल टीम ने अब तक 23 सर्जरी कीं, 1,300 से अधिक प्रयोगशाला जांचें और 103 एक्स-रे किए हैं। यह अस्पताल आपदा प्रभावित लोगों के लिए जीवन रेखा बन गया है। मंगलवार को मंडाले डिवीजन के राहत कार्यों के प्रभारी लेफ्टिनेंट जनरल म्यो मोए औंग ने इस अस्पताल का दौरा किया और भारत के प्रयासों की सराहना की। सेना की यह टीम महिलाओं और बच्चों के लिए विशेष सुविधाएं भी मुहैया करा रही है।

6/11

स्थानीय लोगों की प्रतिक्रिया

म्यांमार के स्थानीय लोगों ने भारत के इस योगदान को खूब सराहा है। एक स्थानीय निवासी हुसैन ने कहा, "जब आप आए तो हमें बड़ी राहत मिली। आप बहुत मेहनती हैं। NDRF के आने से हमें बहुत फायदा हुआ। अल्लाह भारत और इसके नेतृत्व पर बरकत करे।" यह भावना म्यांमार और भारत के बीच मजबूत रिश्ते को दर्शाती है। NDRF के डिप्टी कमांडर कुनाल तिवारी ने बताया कि उनकी टीम पूरी तरह सुसज्जित है और भारी उपकरणों के साथ काम कर रही है।

7/11

बिना किसी भेदभाव के मदद कर रहा भारत

इस आपदा के बीच म्यांमार की सैन्य सरकार ने गृहयुद्ध में अस्थायी युद्धविराम की घोषणा की है, जो 22 अप्रैल तक चलेगा। यह कदम राहत कार्यों को सुगम बनाने के लिए उठाया गया है। हालांकि, कुछ विद्रोही समूहों और मानवाधिकार संगठनों ने आशंका जताई है कि सेना इस मौके का फायदा उठाकर अपनी स्थिति मजबूत कर सकती है। फिर भी, भारत ने बिना किसी भेदभाव के सभी प्रभावित क्षेत्रों में सहायता पहुंचाने का संकल्प लिया है। चीन ने भी म्यांमार को सहायता दी है, जिसमें 30 से अधिक बचाव टीमें और 600 कर्मी शामिल हैं। चीनी रेड क्रॉस ने 1.5 मिलियन युआन की नकद मदद दी है। हालांकि, भारत का "ऑपरेशन ब्रह्मा" सबसे बड़े विदेशी राहत प्रयासों में से एक बनकर उभरा है। सिंगापुर, मलेशिया और ताइवान जैसे देशों ने भी मदद भेजी है, लेकिन भारत की त्वरित और व्यापक प्रतिक्रिया ने अंतरराष्ट्रीय समुदाय का ध्यान खींचा है।

8/11

भारतीय टीमें दिन-रात काम कर रही हैं

म्यांमार में राहत कार्यों को कई चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। लगातार हो रहे आफ्टरशॉक, ईंधन की कमी और बिजली कटौती ने स्थिति को जटिल बना दिया है। संयुक्त राष्ट्र के प्रवक्ता स्टीफन डुजारिक ने कहा कि ये झटके मानवीय सहायता प्रयासों को प्रभावित कर रहे हैं। इसके बावजूद, भारतीय टीमें दिन-रात काम कर रही हैं ताकि प्रभावित लोगों तक जल्द से जल्द मदद पहुंच सके।

9/11

भारत-म्यांमार संबंधों की मजबूती

भारत ने म्यांमार के साथ अपने 1,643 किलोमीटर लंबे सीमा संबंधों को मजबूत करते हुए यह साबित किया है कि वह संकट के समय पड़ोसियों के साथ खड़ा रहता है। विदेश मंत्रालय ने कहा कि भारत जरूरत पड़ने पर और संसाधन भेजने को तैयार है। आने वाले हफ्तों में म्यांमार नुकसान का पूरा आकलन करेगा और पुनर्वास की प्रक्रिया शुरू करेगा, जिसमें भारत की भूमिका अहम रहेगी।

10/11

उम्मीद की नई किरण

इस आपदा ने म्यांमार की उजड़ी दुनिया को फिर से बसाने की चुनौती पेश की है। भारतीय सेना और NDRF के अथक प्रयासों ने न सिर्फ जिंदगियां बचाईं, बल्कि दोनों देशों के बीच दोस्ती का एक नया अध्याय भी लिखा। मंडाले की तबाही के मंजर के बीच भारत की यह पहल उम्मीद की रोशनी बनकर उभरी है, जो म्यांमार के लोगों को संबल दे रही है।

11/11

म्यांमार में पुनर्वास की राह

भूकंप से उजड़े म्यांमार में अब पुनर्वास की लंबी और चुनौतीपूर्ण प्रक्रिया शुरू होने की उम्मीद है। भारतीय सेना और NDRF की टीमें न सिर्फ तात्कालिक राहत पहुंचा रही हैं, बल्कि स्थानीय प्रशासन के साथ मिलकर प्रभावित क्षेत्रों में अस्थायी आवास और स्वच्छता सुविधाओं की व्यवस्था भी कर रही हैं। मंडाले और सागाइंग जैसे इलाकों में बिजली और पानी की आपूर्ति बहाल करने के लिए भारत ने तकनीकी सहायता का वादा किया है। इस बीच, अंतरराष्ट्रीय समुदाय से अपील की गई है कि वह म्यांमार के पुनर्निर्माण के लिए और संसाधन मुहैया कराए। भारत की यह पहल न केवल तत्काल राहत दे रही है, बल्कि भविष्य में म्यांमार को फिर से खड़ा करने की नींव भी रख रही है।