1991 में पहली FIR,2021 में गिरफ्तारी, सिख दंगे के आरोपी सज्जन कुमार के केस की पूरी टाइमलाइन
- दिल्ली की राउज एवेन्यू कोर्ट ने आज 1984 सिख दंगे को आरोपी सज्जन कुमार को आजीवन कारावास की सजा सुनाई है। 41 साल बाद मिले न्याय का पीड़ित परिवार ने स्वागत तो किया है,लेकिन उनकी मांग फांसी की थी। सज्जन कुमार पर एक पिता-पुत्र को जान से मारने और आगजनी करने का आरोप है।
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दिल्ली की राउज एवेन्यू कोर्ट ने आज 1984 सिख दंगे को आरोपी सज्जन कुमार को आजीवन कारावास की सजा सुनाई है। 41 साल बाद मिले न्याय का पीड़ित परिवार ने स्वागत तो किया है,लेकिन उनकी मांग फांसी की थी। सज्जन कुमार पर एक पिता-पुत्र को जान से मारने और आगजनी करने का आरोप है। 1991 में पहली एफआईआर दर्ज से लेकर आज सुनाई सजा तक, आपको केस की पूरी टाइमलाइन बताते हैं।
केस की टाइमलाइन
➤1991: मामले में एफआईआर दर्ज की गई।
➤8 जुलाई, 1994: दिल्ली की अदालत को मुकदमा शुरू करने के लिए पर्याप्त सबूत नहीं मिले। कुमार पर मामले में आरोप नहीं लगाए गए।
➤12 फरवरी, 2015: सरकार ने विशेष जांच दल (एसआईटी) का गठन किया।
➤21 नवंबर, 2016: एसआईटी ने अदालत को बताया कि मामले में आगे जांच की जरूरत है।
➤6 अप्रैल, 2021: सज्जन कुमार को गिरफ्तार किया गया।
➤5 मई, 2021: पुलिस ने आरोप पत्र दाखिल किया।
➤26 जुलाई: अदालत ने आरोप पत्र पर संज्ञान लिया।
➤1 अक्टूबर: अदालत ने आरोप पर बहस सुनना शुरू किया।
➤16 दिसंबर: अदालत ने हत्या,दंगा और अन्य अपराधों के आरोप तय किए।
➤31 जनवरी, 2024: अदालत ने अंतिम बहस सुनना शुरू किया।
➤8 नवंबर: अदालत ने फैसला सुरक्षित रखा।
➤12 फरवरी, 2025: अदालत ने सज्जन कुमार को दोषी ठहराया।
➤25 फरवरी: कुमार को उम्रकैद की सजा मिली।
हिंसा और उसके बाद की जांच के लिए गठित नानावती आयोग की एक रिपोर्ट के अनुसार, दिल्ली में दंगों के संबंध में 587 एफआईआर दर्ज की गईं,जिनमें 2,733 लोग मारे गए थे। कुल में से लगभग 240 एफआईआर पुलिस द्वारा लापता के रूप में बंद कर दी गईं और 250 मामलों में बरी कर दिया गया। 587 एफआईआर में से केवल 28 मामलों में दोषसिद्धि हुई,जिसमें लगभग 400 लोगों को दोषी ठहराया गया। कुमार सहित लगभग 50 लोगों को हत्या के लिए दोषी ठहराया गया।
सज्जन कुमार उस समय एक प्रभावशाली कांग्रेस नेता और सांसद थे पर 1 और 2 नवंबर 1984 को दिल्ली की पालम कॉलोनी में पांच लोगों की हत्या के मामले में भी आरोप लगाया गया था। उन्हें इस मामले में दिल्ली उच्च न्यायालय ने आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी और उनकी सजा को चुनौती देने वाली उनकी अपील सर्वोच्च न्यायालय के समक्ष लंबित है। एक ट्रायल कोर्ट द्वारा कुमार को बरी किए जाने के खिलाफ दिल्ली उच्च न्यायालय में एक और अपील लंबित है,जबकि दिल्ली की एक अदालत वर्तमान में चौथे मामले में सुनवाई कर रही है।