पल्ला और वजीरावाद में भी यमुना का पानी नहाने लायक नहीं-सीपीसीबी
प्रभात कुमार नई दिल्ली। दिल्ली और हरियाणा की सीमा ‘पल्ला में भी यमुना नदी का

प्रभात कुमार नई दिल्ली।
दिल्ली और हरियाणा की सीमा ‘पल्ला में भी यमुना नदी का पानी लोगों के नहाने लायक नहीं है। इसका खुलासा, केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) द्वारा नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल में यमुना नदी की पानी की गुणवत्ता को लेकर पेश रिपोर्ट में किया गया है। पल्ला के पास ही, यमुना नदी दिल्ली की सीमा में प्रवेश करती है।
एनजीटी प्रमुख जस्टिस प्रकाश श्रीवास्तव की अगुवाई वाली पीठ के समक्ष सीपीसीबी ने 19 फरवरी को यह रिपोर्ट पेश की है। सीपीसीबी ने राजधानी दिल्ली के बुराड़ी इलाके में यमुना नदी के किनारे बड़े पैमाने पर मछली मरने और इसके दुर्गंध से लोगों को रही परेशानी के मामले में एनजीटी द्वारा लिए गए स्वत: संज्ञान के मामले में पेश किया है।
एनजीटी में पेश अपनी रिपोर्ट में सीपीसीबी ने कहा कि वह राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड/समिति के सहयोग से राष्ट्रीय जल गुणवत्ता निगरानी कार्यक्रम (एनडब्ल्यूएमपी) के तहत देश में 4,736 स्थानों पर पानी की गुणवत्ता की जांच और निगरानी करता है। रिपोर्ट में कहा गया है कि सीपीसीबी 2,155 स्थानों पर नदियों के जल, 558 झीलों, 141 तालाबों, 102 टैंकों, 1,233 जगहों पर भूजल और 547 अन्य जल निकाय के पानी की गुणवत्ता का निगरानी करता है। इस रिपोर्ट के मुताबिक जहां तक दिल्ली में यमुना नदी का सवाल है तो दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति (डीपीसीसी) एनडब्ल्यूएमपी के तहत 7 जगहों यानी पल्ला, वजीराबाद, आईएसबीटी ब्रिज, आईटीओ ब्रिज, निजामुद्दीन, ओखला ब्रिज (आगरा नहर का इनलेट), ओखला (शाहदरा नाले से मिलने के बाद) पर नदी के पानी की गुणवत्ता की जांच और निगरानी करता है।
केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने कहा है कि दिल्ली के बुराड़ी इलाके संबंधित क्षेत्र के संबंध में प्रासंगिक 2 निगरानी स्थल पल्ला और वजीराबाद महत्वपूर्ण है। रिपोर्ट में कहा गया है कि सीपीसीबी ने 29 अक्टूबर, 2024 और 16 और 17 दिसंबर, 2024 को वजीराबाद और पल्ला में यमुना नदी के पानी की गुणवत्ता के लिए नमूना लिया और ड्रेन संख्या 8 की पानी गुणवत्ता निगरानी की, जो पल्ला गांव (दिल्ली-हरियाणा सीमा) के पास यमुना नदी में मिलती है। रिपोर्ट में कहा गया है कि पानी के जांच के विश्लेषण से पता चलता है कि वजीराबाद और पल्ला में यमुना नदी का पानी नहाने लायक नहीं है। सीपीसीबी ने नदी के दोनों जगहों के पानी की गुणवत्ता वन एवं पर्यावरण और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय द्वारा 25 सितंबर 2000 को जारी अधिसूचना द्वारा तय मानकों के हवाला देकर एनजीटी को यह जानकारी दिया है। जिसमें कहा गया है कि दोनों जगहों पर नदी का पानी बाहरी स्नान के लिए प्राथमिक जल गुणवत्ता का अनुपालन नहीं कर रही है। सीपीसीबी ने कहा कि जांच रिपोर्ट के विश्लेषण से पता चलता है कि 29 अक्टूबर, 2024 को ड्रेन संख्या 8 के पानी जल गुणवत्ता पर्यावरण (संरक्षण) नियम, 1986 की अनुसूची-VI के अनुसार निर्वहन (डिस्चार्ज) के लिए सामान्य मानकों का पालन कर रही थी। हालांकि, 16 दिसंबर, 2024 को ड्रेन नंबर 8 की जल गुणवत्ता पर्यावरण (संरक्षण) नियम, 1986 की अनुसूची-VI के अनुसार निर्वहन के लिए सामान्य मानकों का अनुपालन नहीं कर रही है।
डीपीसीसी की रिपोर्ट का है इंतजार
सीपीसीबी ने एनजीटी को बताया है कि जहां तक युमना नदी में बड़े पैमाने पर मछली मरने की घटना का सवाल है तो इस बारे में डीपीसीसी से विस्तृत जवाब मांगा गया है। साथ ही कहा है कि अभी डीपीसीसी की रिपोर्ट आने का इंतजार किया जा रहा है।
यह है मामला
दरअसल, पिछले साल बुराड़ी इलाके में यमुना नदी के किनारे बड़े पैमाने पर मछली मरने और इसके दुर्गंध से लोगों को रही परेशानी की खबरों पर एनजीटी ने स्वत: संज्ञान लेकर इस मामले की सुनवाई शुरू की थी। इसी मामले में एनजीटी ने सीपीसीबी, डीपीसीसी एवं अन्य से जवाब मांगा था।
लेटेस्ट Hindi News , बॉलीवुड न्यूज, बिजनेस न्यूज, टेक , ऑटो, करियर , और राशिफल, पढ़ने के लिए Live Hindustan App डाउनलोड करें।