कुआं ही नहीं, संभल का शाही मस्जिद भी बनी है सरकारी जमीन पर- यूपी सरकार
उत्तर प्रदेश सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में कहा कि संभल में मुगलकालीन शाही जामा मस्जिद के पास स्थित कुआं सार्वजनिक भूमि पर है। सरकार ने यह भी कहा कि मस्जिद भी सार्वजनिक भूमि पर बनी है। यह कुआं 19 प्राचीन...
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नई दिल्ली। विशेष संवाददाता उत्तर प्रदेश सरकार ने सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में कहा है कि संभल में मुगलकालीन शाही जामा मस्जिद के पास स्थित कुआं उन 19 प्राचीन कुओं में से एक है, प्रशासन ने जिनके जीर्णोद्धार की योजना तैयार की है। शीर्ष अदालत में अपनी स्थिति रिपोर्ट दाखिल करते हुए प्रदेश सरकार ने कहा है कि ‘जिस कुआं को शाही मस्जिद परिसर में होने का दावा किया जा रहा है, वह वास्तव में सार्वजनिक भूमि पर है।
मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना और न्यायमूर्ति संजय कुमार की पीठ के समक्ष यूपी सरकार ने यह भी कहा है कि ‘कुआं ही नहीं, बल्कि मस्जिद भी सार्वजनिक भूमि पर बनी है। सरकार ने कहा है कि याचिकाकर्ता शाही जामा मस्जिद प्रबंधन समिति ने गलत तस्वीर पेश कर इस अदालत को गुमराह करने का प्रयास किया है। शीर्ष अदालत में दाखिल अपने रिपोर्ट में यूपी सरकार ने कहा है कि ‘ कु्आं शाही मस्जिद परिसर के पास है, मस्जिद परिसर के भीतर नहीं। सरकार ने पीठ को यह भी बताया है कि कुंए का मस्जिद से कोई संबंध नहीं, यहां तक की शाही मस्जिद खुद ही सार्वजनिक जमीन पर बनी है।
सुप्रीम कोर्ट में यूपी सरकार ने कहा है कि मस्जिद के पास स्थित कुएं का इस्तेमाल लंबे समय तक सभी समुदाय के लोग करते रहे हैं, लेकिन 1978 में हुए साम्प्रदायिक हिंसा के बाद कुएं एक हिस्से पर पुलिस चौकी बना दी गई और दूसरे भाग बाद भी इस्तेमाल होता रहा। लेकिन 2012 के आसपास इस कुंए को ढंक दिया गया था।
यूपी सरकार ने कहा है कि यह कुंआ उन 19 प्राचीन कुंओं में से एक है, जिनका जिला प्रशासन जीर्णोद्धार करने में लगा है। सरकार ने कहा है कि इन ऐतिहासिक कुंओं से संभल को सांस्कृतिक पहचान मिलेगी और इससे बड़ी संख्या में पर्यटक आकर्षित होंगे। पीठ को बताया गया कि जिला प्रशासन की योजना परिक्रमा पथ, साइन बोर्ड जैसी बहुत सी सुविधाओं के विकास भी शामिल है लेकिन मस्जिद समिति इलाके के विकास को रोकने का प्रयास कर रही है। सरकार ने कहा है कि घ्सजिद के पास बने कुएं में अभी पानी नहीं है लेकिन जिला प्रशासन का मकसद इस कुंए के जरिए रेन वॉटर हार्वेस्टिंग, वॉटर रिचार्ज और दूसरे मकसद को पूरा करना है।
सुप्रीम कोर्ट में इस मामले की सुनवाई मंगलवार को होगी। सुप्रीम कोर्ट ने 10 जनवरी को उत्तर प्रदेश सरकार, भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण और अन्य प्राधिकारियों से संभल में मुगलकालीन शाही जामा मस्जिद के निकट स्थित ‘कुएं को लेकर कोई कदम नहीं उठाने का आदेश दिया था। शीर्ष अदालत ने संभल के शाही जामा मस्जिद प्रबंधन समिति की ओर से मस्जिद के प्रवेश द्वारा के पास स्थित कुएं को लेकर यथास्थिति बनाए रखने की मांग को लेकर दाखिल याचिका पर विचार करते हुए यह आदेश पारित किया था। इसके साथ ही, पीठ ने केंद्र सरकार, भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) के महानिदेशक, संभल के जिलाधिकारी और वाद दाखिल करने वाले हरि शंकर जैन के नेतृत्व में हिंदू पक्ष से जुड़े व्यक्तियों को नोटिस जारी कर दो सप्ताह के भीतर अपना-अपना जवाब दाखिल करने का आदेश दिया था।
शीर्ष अदालत ने संभल नगर पालिका परिषद द्वारा मस्जिद के पास स्थित कुएं के संबंध में जारी नोटिस को प्रभावी होने से भी रोक दिया था। मस्जिद समिति की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता हुजैफा अहमदी ने पीठ का ध्यान नगर पालिका द्वारा जारी नोटिस की ओर आकर्षित कराया, जिसमें दावा किया गया था कि कुआं एक मंदिर है।
सुनवाई के दौरान मुख्य न्यायाधीश खन्ना ने पूछा कि ‘दूसरों को इसका इस्तेमाल करने की अनुमति देने में क्या बुराई है। इस पर वरिष्ठ अधिवक्ता अहमदी ने कहा कि ‘नगर पालिका द्वारा जारी नोटिस में इसे (कुआं) हरि मंदिर कहा गया है, अब वे इसका उपयोग पूजा, स्नान आदि के लिए करना शुरू करेंगे। उन्होंने कहा कि कुएं का उपयोग मस्जिद के लिए किया जा रहा है। वरिष्ठ अधिवक्ता अहमदी ने कुएं के ऐतिहासिक महत्व पर जोर देते हुए कहा कि अनादि काल से इस कुएं से पानी निकाला जाता रहा है। मुस्लिम पक्ष ने नगर पालिका द्वारा जारी नोटिस पर चिंता जताते कहा थर कि हरि मंदिर बताते हुए वहां धार्मिक गतिविधियां शुरू करने की योजना बनाई गई है।
मुस्लिम पक्ष की ओर से कहा गया था कि कुआं का कुछ हिस्सा मस्जिद परिसर के अंदर और कुछ बाहर है। उन्होंने अपने दावे के समर्थन में पीठ के समक्ष गूगल मैप की एक तस्वीर का भी हवाला दिया। मस्जिद प्रबंधन समिति ने गुरुवार को शीर्ष अदालत में याचिका दाखिल कहा था कि संभल जिला प्रशासन शहर में पुराने मंदिरों और कुओं को पुनर्जीवित करने के लिए एक कथित अभियान चला रहा है। याचिका में कहा गया था कि खबरों के मुताबिक कम से कम 32 पुराने अप्रयुक्त मंदिरों को बहाल किया गया है और 19 कुओं को सार्वजनिक उपयोग व प्रार्थना के लिए चिह्नित किया गया है। साथ ही कहा गया था कि जिला प्रशासन द्वारा बहाल किए जाने वाले कुओं की सूची में मस्जिद के प्रवेश द्वारा के पास स्थित निजि कुआं भी शामिल है। याचिका में कुआं को लेकर यथास्थिति बनाए रखने का आदेश दिया था।
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