ब्यूरो:::विदेशी डिग्री की मान्यता के लिए यूजीसी ने जारी किए नए नियम
यूजीसी ने विदेशी शैक्षणिक संस्थानों से प्राप्त डिग्रियों की मान्यता के लिए नए नियम जारी किए हैं। ये नियम चिकित्सा, फार्मेसी, नर्सिंग, कानून और वास्तुकला जैसे क्षेत्रों में लागू नहीं होंगे। आवेदकों को...

- प्रावधान चिकित्सा, फार्मेसी, नर्सिंग, कानून, वास्तुकला और अन्य क्षेत्रों में प्रदान की गई व्यावसायिक डिग्री पर लागू नहीं होंगे डिग्री की मान्यता के लिए शर्तें सूचीबद्ध
1.विदेशी शिक्षा संस्थान को स्वदेश में लागू प्रासंगिक कानूनों के तहत मान्यता प्राप्त होना चाहिए।
2.यह भी देखा जाएगा कि आवेदक डिग्री के लिए जिस अध्ययन कार्यक्रम में प्रवेश ले रहा है उसमें प्रवेश-स्तर की आवश्यकताएं, अध्ययन के लिए योग्यताएं भारत में अध्ययन के संबंधित कार्यक्रम के समान हैं।
3.गैर-मान्यता प्राप्त संस्थानों, गैर-मान्यता प्राप्त कार्यक्रमों या भारत में विनियामक मानदंडों के उल्लंघन में प्राप्त योग्यताएं (जैसे कि फ्रैंचाइजी व्यवस्था के माध्यम से पेश की जाने वाली) समकक्षता के लिए पात्र नहीं होंगी।
4.यूजीसी ने विदेशी शैक्षणिक संस्थानों से प्राप्त योग्यताओं को समकक्षता प्रमाण पत्र देने के लिए एक व्यवस्थित ऑनलाइन प्रक्रिया की रूपरेखा भी तैयार की है।
5.आवेदकों को निर्धारित शुल्क और जहां आवश्यक हो, दस्तावेजों के प्रमाणित अंग्रेजी अनुवाद के साथ एक समर्पित पोर्टल के माध्यम से अपना अनुरोध प्रस्तुत करना होगा।
6.प्रत्येक आवेदन का मूल्यांकन शिक्षा विशेषज्ञों की एक स्थायी समिति द्वारा किया जाएगा, जिसे दस कार्य दिवसों के भीतर अपनी सिफ़ारिश जारी करनी होगी।
7.इसके बाद आयोग पंद्रह कार्य दिवसों में अपना अंतिम निर्णय बताना होगा। यदि अतिरिक्त दस्तावेजों की आवश्यकता है, तो आवेदकों को निर्णय समय-सीमा में संगत विस्तार के साथ अधिक समय दिया जाएगा।
8.अस्वीकृति के मामलों में, आवेदक निर्दिष्ट शुल्क का भुगतान करके तीस कार्य दिवसों के भीतर समीक्षा की मांग कर सकते हैं।
9.एक अलग समीक्षा समिति आवेदन का पुनर्मूल्यांकन करेगी और दस कार्य दिवसों के भीतर अपनी सिफ़ारिश प्रस्तुत करेगी, जिसके बाद आयोग पंद्रह कार्य दिवसों के भीतर अंतिम निर्णय जारी करेगा।
10.यदि आवेदन स्वीकार किया जाता है, तो ऑनलाइन पोर्टल के माध्यम से एक वेटेज प्रमाणपत्र जारी किया जाएगा।
नई दिल्ली, विशेष संवाददाता। विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) ने विदेशी शैक्षणिक संस्थानों से प्राप्त शैक्षणिक योग्यता, डिग्री को मान्यता देने और समकक्ष डिग्री प्रदान करने की व्यवस्था को ज्यादा कारगर बनाने के लिए एक नया विनियमन अधिसूचित किया है। इसके तहत पाठ्यक्रम के क्रेडिट के आधार पर डिग्री को वेटेज दिया जाएगा।
यूजीसी ने यह कदम ऐसे समय उठाया गया है जब विदेशों से अंतर्राष्ट्रीय डिग्री हासिल कर लौटने वाले भारतीय छात्रों की संख्या बढ़ रही है। इन छात्रों को भारतीय संस्थानों में प्रवेश या रोजगार के लिए अपनी डिग्री को मान्यता मिलने में देरी और अनिश्चितता का सामना करना पड़ता है। 4 अप्रैल को अधिसूचित नए विनियमों-यूजीसी (विदेशी शैक्षणिक संस्थानों से प्राप्त योग्यताओं को मान्यता और समकक्षता प्रदान करना) विनियम, 2025 के तहत, आयोग ने एक पारदर्शी, प्रौद्योगिकी-संचालित तंत्र स्थापित किया है। हालांकि, विदेशी योग्यताओं के लिए समकक्षता प्रमाणपत्र प्रदान करने के प्रावधान चिकित्सा, फार्मेसी, नर्सिंग, कानून, वास्तुकला और अन्य क्षेत्रों में प्रदान की गई व्यावसायिक डिग्री पर लागू नहीं होंगे। यह संबंधित नियामक निकायों द्वारा निर्धारित विशिष्ट मानदंडों और मान्यता प्रक्रियाओं द्वारा शासित होती रहेंगी।
विदेशी डिग्रियों की मान्यता सुनिश्चित करनी होगी
यूजीसी के अध्यक्ष एम जगदीश कुमार ने कहा, यह सुधार एक दीर्घकालिक चुनौती का समाधान करता है और भारत को शिक्षा के लिए वैश्विक केंद्र में बदलने के राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के लक्ष्य के अनुरूप है। उन्होंने कहा, अगर भारतीय संस्थानों को अंतरराष्ट्रीय छात्रों को आकर्षित करना है, तो हमें विदेशी डिग्रियों की निष्पक्ष और समय पर मान्यता सुनिश्चित करनी होगी। समकक्षता प्रक्रिया अब कुछ मापदंडों द्वारा शासित होगी, जिसमें विदेशी संस्थान की वैधता, योग्यता की अवधि और स्तर और भारतीय कार्यक्रमों के साथ इसकी तुलना शामिल है।
स्थायी समिति की स्थापना का प्रावधान
नए ढांचे में महत्वपूर्ण सुधार करते हुए एक स्थायी समिति की स्थापना का प्रावधान किया गया है। इसके तहत पहले दी जाने वाली तदर्थ अधार पर मान्यता स्टेटस को हटा दिया गया है। स्थायी सामिति संस्थानों और योग्यताओं, डिग्री की वैधता और भारतीय मानकों के साथ उसकी समानता की जांच करेगी। विनियमन में एक ऑनलाइन पोर्टल की स्थापना का भी प्रावधान है। इस पोर्टल पर आवेदक डिग्री की मान्यता, समानता के लिए अनुरोध दे सकते हैं और यहां अपने आवेदन को ट्रैक कर सकते हैं। स्थायी समिति समय-समय पर बैठक करेगी और राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय रैंकिंग में विदेशी संस्थान की स्थिति सहित स्थापित मानदंडों के आधार पर सिफारिशें करेगी।
मजबूत और निष्पक्ष प्रक्रिया विकसित की
यूजीसी चेयरमैन ने कहा कि यह सुनिश्चित करने के लिए एक मजबूत और निष्पक्ष प्रक्रिया विकसित की है कि योग्य छात्र प्रक्रियात्मक अस्पष्टता के कारण परेशानी में न फंसे। स्थायी समिति का निर्णय पाठ्यक्रम की न्यूनतम अवधि और क्रेडिट पर आधारित होगा। पहले क्रेडिट के आधार पर सिस्टम नहीं था। वेटेज के लिए सामान्य क्रेडिट में 10 प्रतिशत तक के अंतर की अनुमति होगी। यह पाठ्यक्रम की संरचना का भी आकलन करेगा, जिसमें कोर, ऐच्छिक, क्रॉस-डिसिप्लिनरी और लैब कोर्स शामिल होंगे। साथ ही पाठ्यक्रम के तहत स्व-अध्ययन घंटे और अनुभव आधारित शिक्षण घटक भी आकलन में शामिल होंगे। थीसिस या शोध प्रबंध मूल्यांकन और प्रोजेक्ट या इंटर्नशिप आवश्यकताओं को भी वेटेज के लिए विचार किया जाएगा।
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