एनजीटी
सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) को सभी तथ्यों और परिस्थितियों के आधार पर निर्णय लेना चाहिए, न कि समिति के सुझावों पर। एनजीटी द्वारा पारित एक फैसले को रद्द करते हुए, कोर्ट ने...
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नई दिल्ली। विशेष संवाददाता सुप्रीम कोर्ट ने महत्वपूर्ण फैसले में कहा है कि ‘नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) को मामले के सभी तथ्यों और परिस्थितियों के आधार पर फैसला करना चाहिए, न कि समिति के सुझाव के आधार पर। शीर्ष अदालत ने कहा है कि एनजीटी अपनी राय समितियों को नहीं सौंप सकता है।
जस्टिस बीआर गवई और केवी विश्वनाथन की पीठ ने अप्रैल 2021 में एनजीटी द्वारा पारित फैसले को रद्द करते हुए यह टिप्पणी की है। पीठ ने कहा है कि तथ्यों से जाहिर है कि एनजीटी ने मौजूदा मामले में एक ‘स्पष्ट गलती की है क्योंकि उसने अपना फैसला संयुक्त समिति की रिपोर्ट के आधार फैसला लिया है। हाल ही में पारित फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि ‘एनजीटी के लिए जरूरी है कि वह अपने समक्ष मामले के तथ्यों और परिस्थितियों पर पूरी तरह से विचार करने के बाद ही किसी निर्णय पर पहुंचे। पीठ ने यह भी कहा कि एनजीटी किसी दूसरे की राय यानी मामले में गठित समिति के सुझाव को अपने फैसले का आधार नहीं बना सकता है। इतना ही नहीं, शीर्ष अदालत ने पिछले सप्ताह पारित अपने फैसले में कहा है कि ‘एनजीटी, राष्ट्रीय हरित अधिकरण अधिनियम, 2010 के तहत गठित एक अधिकरण है, ऐसे में उसे सिर्फ समिति के सुझाव पर विचार करने के अलावा, मामले के सभी पक्षकारों की राय को सुनने के बाद अपना फैसला पारित करना चाहिए। पीठ ने कहा है कि मौजूदा मामले में तथ्यों से साफ है कि एनजीटी ने फैसला पारित करने से पहले संबंधित कंपनी को न तो एनजीटी के समक्ष कार्यवाही में पक्षकार बनाया गया और न ही संयुक्त समिति के समक्ष। इतना ही नहीं, जब कंपनी ने मामले में पक्षकार बनने की अर्जी लगाई तो उसे भी खारिज कर दिया। पीठ ने कहा है कि ऐसे में एनजीटी द्वारा पारित फैसले को बहाल नहीं रखा जा सकता है। यह टिप्पणी करते हुए, शीर्ष अदालत ने एनजीटी के 7 अप्रैल, 2021 को पारित फैसले को रद्द करते हुए, मामले को वापस एनजीटी में भेज दिया। पीठ ने अब एनजीटी को मामले में सभी पक्षों को सुनने के बाद तथ्यों के आधार पर फैसला पारित करने का निर्देश दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने ग्रासिम इंडस्ट्रीज लिमिटेड की ओर से एनजीटी के फैसले को चुनौती देने वाली याचिका पर यह फैसला दिया है। कंपनी ने एनजीटी द्वारा पर्यावरण संरक्षण अधिनियम के मानदंडों का उल्लंघन करने का दोषी ठहराने और भारी जुर्माना लगाने के फैसले को चुनौती दी थी।
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