इंटरनेट को विनियमित करने की मांग वाली याचिका खारिज
सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को इंटरनेट सेवाओं को विनियमित करने की याचिका को खारिज कर दिया। मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि यह एक मुक्त बाजार है और उपभोक्ताओं के पास कई विकल्प हैं। याचिकाकर्ता को वैकल्पिक विधिक...
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नई दिल्ली। विशेष संवाददाता सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को देश में इंटरनेट को विनियमित करने के लिए सरकार को आदेश देने से इनकार कर दिया। शीर्ष अदालत ने इस मांग को लेकर दाखिल याचिका को खारिज करते करते हुए कहा कि ‘यह एक मुक्त बाजार है और उपभोक्ताओं के पास इंटरनेट सेवाओं का लाभ उठाने के कई विकल्प मौजूद हैं।
मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना और न्यायमूर्ति संजय कुमार की पीठ इंटरनेट सेवाओं को विनियमित करने की मांग वाली याचिका को खारिज कर दिया और याचिकाकर्ता को अपनी मांग के बारे में वैकल्पिक वैधानिक उपाय तलाशने की छूट दे दी। मामले की सुनवाई शुरू होने पर मुख्य न्यायाधीश खन्ना ने कहा कि ‘उपभोक्ताओं के पास इंटरनेट सेवाओं का लाभ उठाने के लिए कई विकल्प हैं। उन्होंने याचिकाकर्ता के वकील से कहा कि ‘यह एक मुक्त बाजार है, आपको लैन के जरिए इंटरनेट मिलता है, वायर्ड इंटरनेट की सेवा भी हैं, यहां तक की सार्वजनिक क्षेत्र की उपक्रम बीएसएनएल और एमटीएनएल भी आपको इंटरनेट सेवाएं दे रहे हैं। इस पर याचिकाकर्ता की ओर से पेश अधिवक्ता ने पीठ से कहा कि भले ही यह मुक्त बाजार है और इंटरनेट सेवा पाने के अन्य विकल्प भी उपलब्ध हो सकते हैं, लेकिन बाजार का अधिकांश हिस्सा पर वर्तमान में जियो और रिलायंस का नियंत्रण है। इस पर मुख्य न्यायाधीश खन्ना ने कहा कि यदि आप ‘एकाधिकार यानी कर्टेलाइजेशन का आरोप लगा रहे हैं तो आपको अपनी मांग को लेकर भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग के पास जाना चाहिए। इसके साथ ही, शीर्ष अदालत ने कहा कि हम संविधान के अनुच्छेद 32 के तहत मौजूदा याचिका पर विचार करने के लिए इच्छुक नहीं हैं, इसलिए याचिका खारिज की जाती है। हालांकि पीठ ने कहा कि हम स्पष्ट करते हैं कि यदि याचिकाकर्ता उचित वैधानिक उपाय का सहारा लेना चाहता है तो वह ऐसा करने के लिए स्वतंत्र है और हम इस संबंध में कोई टिप्पणी नहीं करते हैं। रजत नाम के व्यक्ति ने शीर्ष अदालत में याचिका दाखिल कर केंद्र सरकार को इंटरनेट सेवा को विनियमित करने का आदेश देने की मांग की थी।
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