देवघर हवाई अड्डा मामला: भाजपा सांसदों को मिली राहत बरकरार, मुकदमा रद्द करने के खिलाफ झारखंड सरकार की अपील खारिज
सुप्रीम कोर्ट ने भाजपा सांसद मनोज तिवारी और निशिकांत दुबे के खिलाफ दर्ज मुकदमा रद्द करने के उच्च न्यायालय के फैसले में हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया। झारखंड सरकार की अपील को खारिज करते हुए, कोर्ट ने...
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नई दिल्ली। विशेष संवाददाता सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को भाजपा सांसद मनोज तिवारी और निशिकांत दुबे के खिलाफ दर्ज मुकदमा को रद्द करने के उच्च न्यायालय के फैसले में हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया। शीर्ष अदालत ने उच्च न्यायालय के फैसले के खिलाफ झारखंड सरकार की अपील को खारिज कर दिया। उच्च न्यायालय ने देवघर हवाई अड्डा पर सूर्यास्त होने के बाद भाजपा नेता तिवारी और दुबे द्वारा कथित रूप तौर पर उड़ान भरने के लिए अधिकारियों पर दबाव डालने के आरोप में झारखंड पुलिस द्वारा दर्ज प्राथमिकी को रद्द कर दिया था।
जस्टिस अभय एस. ओका और मनमोहन की पीठ ने उच्च न्यायालय के फैसले को चुनौती देने वाली झारखंड सरकार की अपील खारिज करते हुए कि मामले में पुलिस द्वारा दर्ज मामले में भाजपा सांसद तिवारी और दुबे के खिलाफ मुकदमा नहीं चलेगा। हालांकि शीर्ष अदालत ने राज्य सरकार को मामले की जांच के दौरान एकत्र किए गए साक्ष्य व दस्तावेज चार सप्ताह के भीतर नागर विमानन महानिदेशालय (डीजीसीए) को भेजने की छूट दी है। पीठ ने कहा कि डीजीसीए के सक्षम प्राधिकारी को आदेश दिया है कि वह इस मामले में सभी तथ्यों और साक्ष्यों पर गौर करने के बाद यह निर्णय लेगा कि तय कानूनों के शिकायत दर्ज करने की आवश्यकता है या नहीं। सुप्रीम कोर्ट ने 18 दिसंबर को झारखंड उच्च न्यायालय के फैसले के खिलाफ राज्य सरकार की अपील पर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था। इस मामले की सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने भाजपा सांसदों के खिलाफ झारखंड सरकार की सीआईडी की जांच पर सवाल उठाते हुए कहा था कि आरोपों की जांच करना डीजीसीए की जिम्मेदारी है। पीठ ने राज्य सरकार से कहा था कि मामला विमान अधिनियम के तहत मुकदमा चलाने योग्य है, जिसने विमानन अपराधों से संबंधित पूरी जिम्मेदारी डीजीसीए को दी है। झारखंड की सीआईडी ने 31 अगस्त, 2022 को कथित रूप से हवाई अड्डा सुरक्षा प्रोटोकॉल का उल्लंघन करते हुए देवघर हवाई अड्डे पर एटीसी कर्मियों पर निर्धारित समय यानी सूर्यास्त के बाद अपने निजी विमान को उड़ान भरने की मंजूरी देने के लिए दबाव डालने के आरोप में भाजपा नेता मनोज तिवारी और निशिकांत दुबे सहित 9 लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया था। इस मामले में उच्च न्यायालय ने 13 मार्च, 2023 के भाजपा नेताओं की याचिका पर विचार करते हुए दर्ज मुकदमा को रद्द कर दिया था। उच्च न्यायालय ने कहा था कि विमानन (संशोधन) अधिनियम, 2020 के अनुसार, प्राथमिकी दर्ज करने से पहले लोकसभा सचिवालय से कोई पूर्व मंजूरी नहीं ली गई थी। कानून के तहत, किसी सांसद के खिलाफ कोई भी प्राथमिकी लोकसभा सचिवालय से अनुमोदित होनी चाहिए।
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