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इलाहाबादिया का बयान विकृत और गंदा होने के साथ समाज को शर्मिदा करने वाला है- सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने यूट्यूब कार्यक्रम 'इंडियाज गॉट लैटेंट' में आपत्तिजनक टिप्पणी करने पर रणवीर इलाहाबादिया को फटकार लगाई। अदालत ने कहा कि उनका बयान समाज को शर्मिंदा करने वाला है। हालांकि, कोर्ट ने उनकी...

Newswrap हिन्दुस्तान, नई दिल्लीTue, 18 Feb 2025 06:57 PM
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इलाहाबादिया का बयान विकृत और गंदा होने के साथ समाज को शर्मिदा करने वाला है- सुप्रीम कोर्ट

नई दिल्ली। विशेष संवाददाता यूट्यूब पर प्रसारित होने वाले कार्यक्रम ‘इंडियाज गॉट लैटेंट शो में आपत्तिजनक टिप्पणी करने के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर रणवीर इलाहाबादिया को कड़ी फटकार लगाई। शीर्ष अदालत ने कहा कि उसका बयान न सिर्फ ‌‘गंदा और विकृत है बल्कि समाज को शर्मिंदा करने वाला भी है। हालांकि शीर्ष अदालत ने यूट्यूबर समय रैना के शो में आपत्तिजनक टिप्पणी करने के लिए देशभर में दर्ज मुकदमों में रणवीर इलाहाबादिया की गिरफ्तारी पर रोक लगा दी है।

जस्टिस सूर्यकांत और एन. कोटिश्वर सिंह की पीठ ने मामले की सुनवाई के दौरान इलाहाबादिया को आड़े हाथ लेते हुए, उसके वकील डॉ. अभिनव चंद्रचूड़ से कहा कि ‘यदि यह अश्लीलता नहीं है, तो फिर अश्लीलता क्या है? जस्टिस सूर्यकांत ने इलाहाबादिया को फटकार लगाते हुए कहा कि ‘आप लोकप्रिय हैं, इसका मतलब ये नहीं कि आप समाज को हल्के में नहीं ले सकते है। उन्होंने कहा कि इस तरह के व्यवहार की निंदा की जानी चाहिए। पीठ ने इलाहाबादिया की ओर से पैरवी कर रहे अधिवक्ता चंद्रचूड़ से कहा कि ‘क्या धरती पर कोई ऐसा है, जिसे इस तरह की भाषा पसंद आएगी। जस्टिस कांत ने अधिवक्ता से कहा कि ‘आपके मुवक्किल इलाहाबादिया के दिमाग में कुछ बहुत गंदा है, जिसे उन्होंने कार्यक्रम में उगल दिया है। वह माता-पिता का भी अपमान कर रहे हैं, ऐसे में अदालतें उन्हें राहत क्यों दें। शीर्ष अदालत ने कहा कि याचिकाकर्ता ने जिन शब्दों का इस्तेमाल किया है, उनसे माता-पिता शर्मिंदा होंगे। बेटियां और बहनें शर्मिंदा होंगी। पूरा समाज शर्मिंदा होगा। शीर्ष अदालत ने इलाहाबादिया से कहा कि आप और आपके गुर्गे, इस हद तक गिर गए हैं कि वे भ्रष्ट हो गए हैं। कानून और व्यवस्था का पालन सभी को करना होगा। पीठ ने कहा है कि ‘याचिकाकर्ता ने अपने माता-पिता के साथ जो किया है, उसके लिए उसे शर्मिंदा होना चाहिए। हम कोई बहुत बड़े घराने में नहीं हैं और हम जानते हैं कि उसने (सामग्री) कहां से कॉपी की है। सुप्रीम कोर्ट ने देशभर में दर्ज मुकदमों के खिलाफ दाखिल इलाहाबादिया की याचिका पर यह टिप्पणी की है।

गिरफ्तारी पर रोक, कई राज्यों में दर्ज मुकदमों को एक साथ जोड़ने की मांग पर नोटिस जारी

सुप्रीम कोर्ट ने आपत्तिजनक टिप्पणी करने के मामले में रणवीर इलाहाबादिया के खिलाफ दर्ज मामले में फिलहाल गिरफ्तारी पर रोक लगा दी। इसके साथ ही पीठ ने मुंबई, गुवाहाटी और जयपुर में दर्ज प्राथमिकी (एफआईआर) को एक साथ जोड़ने की वाली उसकी याचिका पर संबंधित राज्यों को नोटिस जारी कर अपना पक्ष रखने को कहा है। इसके साथ ही, शीर्ष अदालत ने आदेश दिया है कि इंडियाज गॉट लैटेंट शो पर प्रसारित एपिसोड के आधार पर उनके खिलाफ कोई और एफआईआर दर्ज नहीं की जाएगी। शीर्ष अदालत ने आरोपी इलाहाबादिया को अंतरिम राहत देने के साथ ही, उसे अपना पासपोर्ट पुलिस के पास जमा कराने के आदेश दिया है। साथ ही, अदालत की अनुमति के बगैर देश से बाहर जाने पर रोक लगा दी है। सुप्रीम कोर्ट ने यह साफ कर दिया है कि गिरफ्तारी पर रोक मामले की जांच में शामिल होने की शर्त के अधीन है। साथ ही, उन्हें मिल रही धमकियों के खिलाफ सुरक्षा पाने के लिए पुलिस से संपर्क करने की स्वतंत्रता भी दी। सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबादिया और उनके सहयोगियों को कुछ समय के लिए शो बिजनेस से दूर रहने का आदेश दिया है।

निजी तौर पर मैं इलाहाबादिया के बयान से घृणा करता हूं- अधिवक्ता चंद्रचूड़

मामले की सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ता रणवीर इलाहाबादिया की ओर से पेश अधिवक्ता अभिनव चंद्रचूड़ से पूछा कि क्या आप इस तरह की भाषा का बचाव कर रहे हैं? इस पर अधिवक्ता चंद्रचूड़ ने कहा कि वह निजी तौर पर इलाहाबादिया द्वारा इस्तेमाल की गई भाषा से वह बहुत घृणा करते हैं, लेकिन सवाल यह है कि क्या यह कोई आपराधिक अपराध है। उन्होंने कहा कि यूट्यूबर पर कई एफआईआर दर्ज हैं और उसे जान से मारने की धमकियां मिल रही हैं। इस पर जस्टिस सूर्यकांत ने कहा कि ‘यदि आपके मुवक्किल तरह की बातें करके सस्ती लोकप्रियता हासिल करने की कोशिश कर सकते हैं, तो समाज में ऐसे और भी कई लोग हो सकते हैं जो धमकियां देकर सस्ती लोकप्रियता हासिल करना चाहते हों।

यूट्यूब और सोशल मीडिया को विनियमित करने पर विचार करे केंद्र- सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को यूट्यूब और अन्य सोशल मीडिया पर अश्लील सामग्री को विनियमित करने पर विचार करने का निर्देश दिया और कहा कि इससे कोई रिक्तता नहीं रहेगा, जैसाकि तथाकथित यूट्यूब चैनल इसका दुरुपयोग कर रहे हैं।

जस्टिस सूर्यकांत और एन कोटिश्वर सिंह की पीठ ने अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल ऐश्वर्या भाटी से कहा कि वह अटॉर्नी जनरल और सॉलिसिटर जनरल से इस अदालत की सहायता के लिए कहें। भाटी किसी अन्य मामले में पेश होने के लिए कोर्ट में मौजूद थी।

जस्टिस सूर्यकांत ने उनसे कहा कि ‘यह तथाकथित यूट्यूबर्स का मामला था... हम चाहते हैं कि सरकार कुछ करें। यदि सरकार कुछ करने को तैयार है, तो हमें खुशी होगी, अन्यथा हम इस इस रिक्तता को उस तरह से नहीं छोड़ेंगे, जिस तरह से तथाकथित यूट्यूब चैनल इसका दुरुपयोग कर रहे हैं और ये सब चल रहा है.. पीठ ने कहा कि हमें इस मुद्दे के महत्व और संवेदनशीलता को नजरअंदाज नहीं करना चाहिए। पीठ ने अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल भाटी से कहा कि ‘कृपया अटॉर्नी जनरल और सॉलिसिटर जनरल से अगली सुनवाई की तारीख पर यहां आने का अनुरोध करें।

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