पाकिस्तान में मंदिरों-गुरुद्वारों पर एक अरब रुपये खर्च करेगी सरकार
पाकिस्तान सरकार ने देश में मंदिरों और गुरुद्वारों के जीर्णोद्धार के लिए एक अरब रुपये की लागत का मास्टर प्लान तैयार किया है। इस योजना का उद्देश्य ऐतिहासिक धरोहरों को संरक्षित करना और धार्मिक पर्यटन को...
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लाहौर, एजेंसी। पाकिस्तान सरकार ने देश में मंदिरों और गुरुद्वारों के जीर्णोद्धार के लिए एक ऐतिहासिक पहल की है। धार्मिक और सांस्कृतिक विरासत को संरक्षित करने के उद्देश्य से सरकार ने एक अरब रुपये की लागत से एक व्यापक मास्टर प्लान तैयार किया है।
अधिकारियों के अनुसार, इस योजना के तहत देशभर में स्थित प्राचीन मंदिरों और गुरुद्वारों का जीर्णोद्धार तथा सौंदर्यीकरण किया जाएगा। इससे न केवल ऐतिहासिक धरोहर संरक्षित होगी बल्कि धार्मिक पर्यटन को भी बढ़ावा मिलेगा। यह निर्णय ‘इवैक्यूई ट्रस्ट प्रॉपर्टी बोर्ड (ईटीपीबी) की बैठक में शनिवार को इसके प्रमुख सैयद अतउर रहमान की अध्यक्षता में लिया गया। बैठक में देश भर से हिंदू और सिख समुदायों के सदस्यों के साथ-साथ सरकारी और गैर-सरकारी सदस्यों ने भाग लिया। रहमान ने कहा, अल्पसंख्यकों के पूजा स्थलों की देखभाल पर खासा धन खर्च किया जा रहा है।
ईटीपीबी के सचिव फरीद इकबाल ने बताया, विभाग की आय बढ़ाने के उद्देश्य से योजना में बदलाव करने के बाद अब ट्रस्ट की संपत्तियों को विकास के लिए प्रस्तुत किया जा रहा है। लंबे समय से इस्तेमाल नहीं की गई ऐसी जमीनों को विकास के लिए देने से विभाग का राजस्व कई गुना बढ़ जाएगा।
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वेल्यु एडिशन:::::
पाकिस्तान मंदिर-गुरुद्वारों के जीर्णोद्धार से उठा सकता है फायदा
इंट्रो:::
अगर पाकिस्तान धार्मिक स्थलों के जीर्णोद्धार और पर्यटन को बढ़ावा देने पर ध्यान देता है, तो इससे उसे आर्थिक और कूटनीतिक दोनों तरह के फायदे हो सकते हैं। हालांकि, पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था कर्ज और विदेशी सहायता पर निर्भर है, तो यह संभावना जताई जा सकती है कि धार्मिक पर्यटन को बढ़ावा देना राजस्व जुटाने की एक रणनीति हो सकती है।
1. आर्थिक लाभ
विदेशी मुद्रा आएगी: भारत और दुनियाभर से हिंदू और सिख श्रद्धालु मंदिरों तथा गुरुद्वारों में दर्शन के लिए पाकिस्तान आ सकते हैं। खासकर ननकाना साहिब, पंजा साहिब, कटासराज मंदिर, हिंगलाज माता मंदिर जैसे स्थल आकर्षण के बड़े केंद्र बन सकते हैं।
पर्यटन उद्योग को बढ़ावा : होटल, ट्रांसपोर्ट, गाइड सेवाएं, रेस्तरां आदि को फायदा होगा, जिससे स्थानीय अर्थव्यवस्था मजबूत होगी
वाणिज्यिक गतिविधियां : तीर्थयात्रियों की संख्या बढ़ने से स्थानीय कारोबारियों को भी फायदा होगा।
2. संभावित राजस्व
अगर पाकिस्तान धार्मिक पर्यटन को अच्छी तरह विकसित करता है, तो यह हर साल करोड़ों डॉलर की आमदनी दे सकता है। अगर पाकिस्तान हर साल 5-10 लाख तीर्थयात्रियों को आकर्षित कर पाता है (मुख्यतः भारत, यूरोप, कनाडा में बसे सिखों/हिंदुओं को), तो यह सैकड़ों करोड़ रुपये का राजस्व ला सकता है।
3. राजनीतिक-कूटनीतिक लाभ
यह भारत और अन्य देशों के साथ संबंधों को सुधारने का एक जरिया बन सकता है। धार्मिक अल्पसंख्यकों के प्रति सकारात्मक छवि बनाने में मदद मिलेगी, जिससे अंतरराष्ट्रीय दबाव कम होगा।
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कट्टरपंथियों के निशाने पर रहे मंदिर
पाकिस्तान में विभाजन के बाद से कई हिंदू मंदिर नष्ट कर दिए गए या अन्य प्रयोजनों के लिए इस्तेमाल किए जाने लगे। 1947 के बाद हजारों मंदिरों को नुकसान पहुंचाया गया या नष्ट कर दिया गया। 1992 में भारत में विवादित ढांचे पर विवाद के बाद पाकिस्तान में लगभग 200 से अधिक मंदिरों को तोड़ने या क्षति पहुंचाने की घटनाएं सामने आईं। देश में लगभग 1,300 प्रसिद्ध मंदिर थे, जिनमें से अब केवल कुछ सौ सक्रिय हैं। बाकी या तो खंडहर बन चुके हैं या सरकार के नियंत्रण में हैं। हालांकि हाल के वर्षों में कुछ मंदिरों के जीर्णोद्धार की पहल की गई है, लेकिन धार्मिक स्थलों की सुरक्षा अभी भी एक चुनौती बनी हुई है।
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