नाबालिग से दुष्कर्म के दोषी को आजीवन कारावास और दस हजार का जुर्माना
दिल्ली की तीस हजारी अदालत ने 16 वर्षीय नाबालिग के साथ दुष्कर्म के मामले में देवेंद्र शर्मा को आजीवन कारावास की सजा सुनाई है। पीड़िता गर्भवती हो गई थी और उसने एक बच्ची को जन्म दिया। अदालत ने कहा कि देश...

नई दिल्ली, कार्यालय संवाददाता। तीस हजारी स्थित अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश बबीता पुनिया की अदालत ने 16 वर्षीय नाबालिग से दुष्कर्म के मामले में एक दोषी को आजीवन कारावास की सजा सुनाई है। साथ ही दस हजार का जुर्माना भी लगाया है। अदालत ने दोषी देवेंद्र शर्मा को पास्को अधिनियम की धारा छह के तहत आजीवन कारावास की सजा सुनाई। अदालत ने कहा कि पीड़िता एक मासूम व असहाय बच्ची थी, जिसे दोषी ने बहला-फुसलाकर उसका यौन उत्पीड़न किया। दोषी नाबालिग के पिता की उम्र का था, वह उसे चाचा कहती थी। दोषी ने उसके साथ कई बार दुष्कर्म किया। इससे लड़की गर्भवती हो गई और उसे 16 वर्ष की आयु में प्रसव पीड़ा सहन करनी पड़ी। जांच अधिकारी पूजा चंदेल ने मामले में 28 मार्च को आरोपपत्र दाखिल कर दिया था।
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बच्ची को जन्म देने पर सामने आया अपराध
अदालत ने 15 अप्रैल को देवेंद्र शर्मा को पाक्सो अधिनियम की धारा छह और बीएनएस की धारा 64(2)(एम) (दुष्कर्म के लिए सजा), 351(2) (आपराधिक धमकी) के तहत दोषी करार दिया था। 25 फरवरी को नाबालिग के पेट में दर्द उठने पर उसे संजय गांधी मेमोरियल अस्पताल ले जाया गया। करीब 11 बजे नाबालिग ने एक लड़की को जन्म दिया। तब जाकर यह अपराध सामने आया।
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महामारी के स्तर तक पहुंच गया देश में बाल दुष्कर्म का खतरा
अदालत में विशेष लोक अभियोजक निशांत कुमार ने निवेदन किया कि दोषी को सख्त सजा दी जाए। उन्होंने कहा कि देश में बाल दुष्कर्म का खतरा महामारी के स्तर तक पहुंच गया है, जिसे रोकने की आवश्यकता है। पीड़िता के माता-पिता ने अदालत से दोषी को आजीवन कारावास की सजा देने की प्रार्थना की, जिससे समाज में ऐसा अपराध करने वालों को कड़ा संदेश दिया जाए।
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