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चेतावनी : डीएनए डाटा भी हो सकता है चोरी

लंदन के वैज्ञानिकों ने चेतावनी दी है कि डीएनए डाटा साइबर हमलों का शिकार हो सकता है। यूनिवर्सिटी ऑफ पोर्ट्समाउथ के शोध में बताया गया है कि यह डाटा गलत हाथों में जाकर निगरानी, भेदभाव और जैविक हमलों में...

Newswrap हिन्दुस्तान, नई दिल्लीSat, 19 April 2025 01:40 PM
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चेतावनी : डीएनए डाटा भी हो सकता है चोरी

लंदन, एजेंसी। अब डीएनए डाटा भी साइबर हमलों के निशाने पर है। वैज्ञानिकों ने चेतावनी दी है कि अगर इसे सही ढंग से सुरक्षित नहीं किया गया, तो यह डाटा हैक होकर गलत हाथों में जा सकता है। इसका दुरुपयोग निगरानी, भेदभाव और यहां तक कि खतरनाक जैविक हमलों यानी वायरस या बीमारियां फैलाने में भी किया जा सकता है।

यह दावा ब्रिटेन के यूनिवर्सिटी ऑफ पोर्ट्समाउथ की डॉ. नासरीन अंजुम की अगुवाई में किए गए एक अंतरराष्ट्रीय अध्ययन में किया गया है। अध्ययन प्रतिष्ठित वैज्ञानिक पत्रिका आईईईई एक्सेस में प्रकाशित हुआ है। यह शोध नेक्स्ट-जेनरेशन डीएनए सीक्वेंसिंग (एनजीएस) तकनीक से जुड़े साइबर-बायोसिक्योरिटी खतरों का अब तक का सबसे व्यापक विश्लेषण है।

जैविक हमलों का खतरा : डीएनए डाटा चोरी होने से हैकर व्यक्ति की स्वास्थ्य कमजोरियों का फायदा उठा सकते हैं, जैविक हथियार बना सकते हैं, जीन एडिटिंग से खतरनाक वायरस बना सकते हैं और कमजोर इम्यूनिटी वाले लोगों को निशाना बना सकते हैं। इससे बीमारी फैलाने या बायोटेररिज्म का खतरा बढ़ सकता है। डॉ. अंजुम कहती हैं, हमारा शोध एक चेतावनी है। जीनोमिक डाटा को बचाना सिर्फ एनक्रिप्शन (गुप्त कोडिंग) से संभव नहीं है। हमें उन खतरों की तैयारी करनी होगी जो अभी सामने आए भी नहीं हैं।

कैंसर से लेकर दवा बनाने में उपयोगी

एनजीएस यानी नेक्स्ट-जेनरेशन सीक्वेंसिंग एक आधुनिक जैविक तकनीक है, जिससे डीएनए और आरएनए की तेजी से जांच की जाती है। इसका उपयोग कैंसर के इलाज, दवाओं के निर्माण, रोगों की पहचान और कृषि अनुसंधान तक में होता है। लेकिन यह पूरी प्रक्रिया कई तकनीकी और डिजिटल उपकरणों पर आधारित होती है, जिससे यह साइबर हैकिंग के लिए कमजोर बन जाती है।

यहां सेंध लगा सकते हैं हैकर

बायोटेक्नोलॉजी कंपनियां और मेडिकल संस्थान के डाटा सेंटर, क्लाउड स्टोरेज, डीएनए टेस्ट किट के आंकड़े, व्यक्तिगत स्वास्थ्य रिकॉर्ड आदि।

खतरनाक दुरुपयोग संभव

-डाटा से व्यक्ति की पहचान ट्रेस करना

-एआई की मदद से जीन डाटा में छेड़छाड़ करना

-वैज्ञानिक शोध और देश की जैविक सुरक्षा पर खतरा

-बीमा कंपनियां गलत फायदा उठा सकती हैं

यह करने की जरूरत

-सुरक्षित सीक्वेंसिंग प्रोटोकॉल

-एन्क्रिप्टेड स्टोरेज सिस्टम

-एआई आधारित सुरक्षा निगरानी

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