अमेरिका से निर्वासित गुजरात के 33 लोग अहमदाबाद पहुंचे
अहमदाबाद में 33 गुजरात निवासी सोमवार को अमेरिका से निर्वासित होकर पहुंचे। ये सभी अमेरिकी सैन्य विमान से आए हैं। लुधियाना में एक युवक को गिरफ्तार किया गया है, जो तीन आपराधिक मामलों में शामिल था।...
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अहमदाबाद, एजेंसी। अमेरिका से निर्वासित गुजरात के 33 मूल निवासियों को लेकर दो विमान सोमवार को अमृतसर से अहमदाबाद हवाईअड्डे पर उतरे। ये सभी अमेरिकी सैन्य विमान में सवार 112 भारतीयों के समूह का हिस्सा थे, जो रविवार देर रात अमृतसर हवाईअड्डे पर उतरा।
अधिकारियों ने बताया, निर्वासित किए गए इन 33 लोगों के आने के साथ ही छह फरवरी से अब तक अमेरिका से भेजे गए गुजरात निवासियों की संख्या 74 हो गई है। हवाईअड्डा थाने के निरीक्षक एसजी खंभला ने बताया, अहमदाबाद हवाईअड्डे पर पहुंचने के तुरंत बाद बच्चों सहित 33 प्रवासियों को पुलिस वाहनों में गुजरात में उनके संबंधित मूल स्थानों पर ले जाया गया। इनमें से अधिकतर मेहसाणा, गांधीनगर, पाटन और अहमदाबाद जिलों के लोग हैं।
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भारत उतरते ही गिरफ्तार
लुधियाना, एजेंसी।
अमेरिका से निर्वासित लोगों के दूसरे जत्थे में शामिल 27 वर्षीय युवक को उसके खिलाफ दर्ज तीन मामलों के सिलसिले में गिरफ्तार किया गया है। पुलिस ने कहा कि लुधियाना के जमालपुर इलाके में ससराली कॉलोनी के निवासी गुरविंदर सिंह को एक स्थानीय अदालत में पेश किया गया, जहां से उसे न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया। वह बेल मिलने के बाद से फरार था और उस पर दो स्नैचिंग मामलों सहित तीन आपराधिक मामले दर्ज थे।
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आप बीती ::: डंकी रूट पर करना पड़ा सांपों-मगरमच्छों का सामना
- निर्वासित लोगों ने खतरनाक ‘डंकी रूट के बारे में बताया
चंडीगढ़, एजेंसी। मंदीप सिंह से वादा किया गया था कि उन्हें अमेरिका में कानूनी रूप से प्रवेश दिलाया जाएगा। लेकिन उनका जीवन खतरे में पड़ गया और उन्हें मगरमच्छों व सांपों से निपटना पड़ा। दाढ़ी कटवानी पड़ी और कई दिनों तक बिना भोजन के रहना पड़ा। अमृतसर में पत्रकारों से बात करते हुए 38 वर्षीय मनदीप ने अपने ट्रैवल एजेंट द्वारा कराई गई खतरनाक ‘डंकी रूट यात्रा के कई वीडियो दिखाए।
इस तरह ले गए अमेरिका
मनदीप ने कहा, दिल्ली से मुझे मुंबई, फिर नैरोबी और फिर दूसरे देश के रास्ते एम्स्टर्डम ले जाया गया। वहां से हमें सूरीनाम ले जाया गया। सूरीनाम से हम एक वाहन में सवार हुए, जिसमें मेरे जैसे कई लोग सवार थे। हमें गुयाना ले जाया गया। वहां से कई दिनों तक लगातार यात्रा हुई। हम गुयाना और फिर बोलीविया से होते हुए इक्वाडोर पहुंचे। इसके बाद समूह को पनामा के जंगलों को पार कराया गया।
सवाल पूछने पर गोली खाने का डर : यहां हमें साथी यात्रियों ने बताया कि अगर हम बहुत अधिक सवाल पूछेंगे तो हमें गोली मार दी जाएगी। 13 दिनों तक हम खतरनाक रास्ते से गुजरे जिसमें 12 नहरें शामिल थीं। मगरमच्छ, सांप - हमें सब कुछ सहना पड़ा। कुछ लोगों को खतरनाक सरीसृपों से निपटने के लिए लाठियां दी गईं।
भूखा रहना पड़ा : हम अधपकी रोटियां और कभी-कभी नूडल्स खाते थे, क्योंकि उचित भोजन तो दूर की बात थी। हम दिन में 12 घंटे यात्रा करते थे। पनामा पार करने के बाद समूह ने कोस्टा रिका में रुककर होंडुरास की यात्रा शुरू की, जहां, हमें चावल खाने को मिला। लेकिन निकारागुआ से गुजरते समय हमें कुछ खाने को नहीं मिला। हालांकि, ग्वाटेमाला में हमें किस्मत से दही चावल मिल गया।
काट दी गई दाढ़ी, फिर भी पकड़ा गया : मंदीप ने बताया, जब हम तिजुआना पहुंचे तो मेरी दाढ़ी जबरन काट दी गई। 27 जनवरी की सुबह उन्हें बॉर्डर पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया, जब वे अमेरिका में घुसने के लिए सीमा पार कर रहे थे। अधिकारियों ने हमें बताया कि हमें निर्वासित कर दिया जाएगा। वापस भेजे जाने से पहले हमें कुछ दिनों तक हिरासत केंद्र में रखा गया।
पनामा के जंगल खतरनाक
निर्वासित लवप्रीत सिंह ने डंकी रूट से गुजरने की कठिनाइयों को साझा करते हुए बताया, पनामा के जंगलों से होकर गुजरना बहुत खतरनाक था। हम किसी तरह सांपों, मगरमच्छों और अन्य जानवरों से खुद को बचाने में कामयाब रहे।
जमीन-गाड़ियां बेचकर भेजना पड़ा अमेरिका
अमृतसर जिले के जसनूर सिंह के परिवार ने कहा कि उन्होंने जसनूर को अमेरिका भेजने के लिए 55 लाख रुपये खर्च किये। परिवार के एक सदस्य ने बताया, हमने धन जुटाने के लिए अपनी संपत्तियां, वाहन और एक जमीन बेच दी। जसनूर उस अमेरिकी सैन्य विमान में सवार थे जो रविवार को अमेरिका में अवैध रूप से रह रहे 112 भारतीयों को वापस लाया था।
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