वह सिर्फ 12 साल का था, उसे मेरे साथ ट्रेन में चढ़ना था; जब नीले रंग का बैग देखकर बिलख पड़ा बाप
नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पर मची भगदड़ कई लोगों के लिए कभी नहीं भूल सकने वाली दर्दनाक यादें छोड़ गया। इस हादसे में 18 लोगों की जान चली गई। यहां-वहां बिखड़े सामानों में जब एक पिता ने नीले रंग का बैग देखा तो फफक-फफक कर रोने लगा। उनका 12 साल का बेटा इस भगदड़ में गुम हो चुका था।
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नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पर मची भगदड़ कई लोगों के लिए कभी नहीं भूल सकने वाली दर्दनाक यादें छोड़ गया। इस हादसे में 18 लोगों की जान चली गई। यहां-वहां बिखड़े सामानों में जब एक पिता ने नीले रंग का बैग देखा तो फफक-फफक कर रोने लगा। उनका 12 साल का बेटा इस भगदड़ में गुम हो चुका था।
प्लेटफॉर्म नंबर 14 और 15 पर जूते, फटे बैग, बिखरे कपड़े और छोड़े गए खाने के ढेर पड़े थे, जो घटना की भयावह याद दिला रहे थे। रेलवे कर्मचारी रविवार सुबह तक यात्रियों के बिखरे सामानों को इकट्ठा करते रहे। लेकिन, इस त्रासदी ने ऐसे निशान छोड़े हैं जिन्हें आसानी से मिटाया नहीं जा सकता।
मलबे को साफ करने वाले एक रेलवे कर्मचारी ने बताया कि उसने जीवन में कभी इतना खराब मंजर नहीं देखा। उसने कहा कि हर जगह सामान बिखरा पड़ा था। बिना जोड़े के चप्पल, आधा खाया हुआ खाना और यहां तक कि एक बच्चे का स्कूल बैग भी। लोगों के पास अपना सामान उठाने का समय नहीं था। वे बस अपनी जान बचाने के लिए भाग रहे थे।
भगदड़ शनिवार रात करीब 9:55 बजे हुई, जब हजारों यात्री प्रयागराज जाने वाली ट्रेनों में सवार होने के लिए स्टेशन पर उमड़ पड़े। प्रयागराज एक्सप्रेस प्लेटफॉर्म 14 पर खड़ी थी, जबकि स्वतंत्रता सेनानी एक्सप्रेस और भुवनेश्वर राजधानी एक्सप्रेस देरी से चल रही थीं। इससे प्लेटफॉर्म 12, 13 और 14 पर लोगों की भारी भीड़ उमड़ पड़ी। स्थिति तब और खराब हो गई जब आखिरी समय में प्लेटफॉर्म बदलने की घोषणा की गई। भ्रमित और घबराए हुए यात्री प्लेटफॉर्म 16 की ओर भागे, जहां एक एस्केलेटर चोकिंग पॉइंट बन गया।
सुरक्षा कर्मियों के लिए भीड़ को नियंत्रित करना मुश्किल हो गया। कुछ यात्रियों ने भागने के लिए रेलिंग पर चढ़ने का प्रयास किया, जबकि अन्य को पैरों के नीचे कुचल दिया गया। जब तक अफरा-तफरी शांत हुई, तब तक 11 महिलाओं और पांच बच्चों सहित 18 लोगों की मौत हो चुकी थी, जबकि एक दर्जन से अधिक लोग घायल हो गए थे।
शोक संतप्त परिवार अपने प्रियजनों की पहचान करने के लिए एलएनजेपी अस्पताल में एकत्र हुए। अपने लापता बेटे की तलाश कर रहे एक पिता रेलवे स्टेशन से बरामद सामानों में एक नीले रंग का बैग देखकर फफक-फफक कर रोने लगे। उन्होंने रोते हुए कहा कि वह सिर्फ 12 साल का था। उसे मेरे साथ ट्रेन में चढ़ना था।
रेलवे अधिकारियों ने माना है कि इस आपदा के लिए भीड़ एक प्रमुख कारण थी। हर घंटे 1500 सामान्य टिकट बेचे जा रहे थे, जिससे यात्रियों की संख्या इतनी बढ़ गई कि उन्हें संभालना असंभव हो गया।
इस हादसे के बाद रेलवे स्टेशन पर सुरक्षा बढ़ा दिया गया है। हालांकि, रेलों का परिचालन फिर से सामान्य रूप से शुरू हो गया है, लेकिन शनिवार रात की आपदा की गूंज अभी भी सुनाई दे रही है। अराजकता और नुकसान की एक रात के निशान को कभी भी पूरी तरह से मिटाया नहीं जा सकता।