ACB के रडार पर आए मनीष सिसोदिया और सत्येंद्र जैन, पूछताछ को जल्द भेजे जा सकते हैं नोटिस
दिल्ली सरकार के स्कूलों में कक्षाओं के निर्माण में कथित अनियमितता मामले में जल्द ही पूर्व मंत्री मनीष सिसोदिया और सत्येंद्र जैन से पूछताछ हो सकती है। सूत्रों ने बताया इसके लिए दोनों को जल्द ही नोटिस दिया जाएगा।

दिल्ली सरकार के स्कूलों में क्लास रूम्स के निर्माण में कथित अनियमितता मामले में जल्द ही पूर्व मंत्री मनीष सिसोदिया और सत्येंद्र जैन से पूछताछ हो सकती है। सूत्रों ने बताया इसके लिए दोनों को जल्द ही नोटिस दिया जाएगा।
इस मामले में दिल्ली सरकार की भ्रष्टाचार निरोधक शाखा (एसीबी) उन सभी 34 ठेकेदारों और आर्किटेक्चर फर्म से पूछताछ करेगी, जिन्होंने निर्माण कार्य किया था। सूत्रों ने बताया कि एसीबी दोनों पूर्व मंत्रियों के अलावा उनके विभाग में तैनात अधिकारियों की सूची भी तैयार कर रही है। जिससे कि जांच के दौरान सामने आए तथ्यों में इन अधिकारियों की भूमिका की भी जांच की जा सके। बुधवार को ही एसीबी ने कक्षा निर्माण के मामले में आप सरकार के दो मंत्रियों और अज्ञात अधिकारियों के खिलाफ केस दर्ज किया था।
कुछ ही लोगों को दिए गए ठेके : सूत्रों ने बताया कि प्राथमिक जांच में सामने आया है कि संबंधित ठेकेदारों को ही बार-बार ठेके दिए जा रहे थे। इसके आलावा निर्माण की योजना बनाने के लिए नियुक्त आर्किटेक्चर फर्म की भूमिका की संदिग्ध है। उसकी भी जांच की जा रही है, क्योंकि उन्होंने कथित तौर पर लागत बढ़ा दी थी। उसकी भूमिका संदेह के घेरे में है।
एसीबी ने सिसोदिया और जैन के खिलाफ दर्ज किया है भ्रष्टाचार का केस
एसीबी ने अरविंद केजरीवाल के नेतृत्व वाली पिछली सरकार के तहत 12,748 क्लास रूम्स के निर्माण में कथित भ्रष्टाचार को लेकर ‘आप’ के नेताओं मनीष सिसोदिया और सत्येंद्र जैन के खिलाफ मामला दर्ज किया है। एसीबी ने एक बयान में कहा कि यह घोटाला करीब 2,000 करोड़ रुपये का है और इसमें अत्यधिक बढ़ी हुई दरों पर ठेके दिए गए थे। बयान के अनुसार, कथित तौर पर प्रत्येक क्लास का निर्माण 24.86 लाख रुपये में किया गया, जो सामान्य लागत से लगभग पांच गुना अधिक है।
बयान के मुताबिक, यह काम कथित तौर पर ‘आप’ से जुड़े ठेकेदारों को सौंपा गया था। इसमें कहा गया है कि सक्षम प्राधिकारी से भ्रष्टाचार रोकथाम अधिनियम की धारा 17-ए के तहत अपेक्षित मंजूरी मिलने के बाद मामला दर्ज किया गया।
एसीबी अधिकारियों के अनुसार, इस प्रोजेक्ट में राजधानी में लगभग 12,748 क्लास रूम्स और स्कूल भवनों का निर्माण शामिल था, जिसमें ‘काफी वित्तीय अनियमितताएं हुईं और लागत में वृद्धि’ देखी गई।
प्रोजेक्ट को शुरू में स्वीकृत लागत पर इस शर्त के साथ मंजूरी दी गई थी कि इसे जून 2016 तक पूरा कर लिया जाएगा और भविष्य में इसमें वृद्धि की कोई गुंजाइश नहीं होगी। हालांकि, एसीबी ने बयान में आरोप लगाया कि निर्धारित समय सीमा के भीतर एक भी काम पूरा नहीं हुआ।
इस कथित घोटाले के संबंध में भाजपा नेता हरीश खुराना, कपिल मिश्रा और नीलकंठ बख्शी से शिकायतें प्राप्त हुई थीं।
आरोप है कि इस परियोजना पर कुल 2,892 करोड़ रुपये खर्च हुए, जिससे प्रति कक्षा लागत 24.86 लाख रुपये हो गई, जबकि मानक मानदंडों के तहत हर कमरे की अनुमानित लागत पांच लाख रुपये थी।
बयान में कहा गया, ‘‘जांच से पता चला कि परियोजना 34 ठेकेदारों को दी गई थी, जिनमें से अधिकतर कथित तौर पर आप से जुड़े हुए हैं।’’
निर्माण में अर्द्ध-स्थायी ढांचे (एसपीएस) शामिल थे, जिनकी अपेक्षित इस्तेमाल अवधि 30 वर्ष है, फिर भी लागत सीमेंट कंक्रीट (आरसीसी) के ढांचों के बराबर थी। आरसीसी ढांचों की इस्तेमाल अवधि आमतौर पर 75 वर्षों तक होती है।
बयान में कहा गया कि अधिकारियों ने पाया कि एसपीएस निर्माण को अपनाने से कोई वित्तीय लाभ नहीं हुआ। एसीबी ने यह भी दावा किया कि परियोजना के लिए सलाहकार और वास्तुकार को उचित प्रक्रिया का पालन किए बिना नियुक्त किया गया था।
बयान में कहा गया, ‘‘केंद्रीय सतर्कता आयोग (सीवीसी) के मुख्य तकनीकी परीक्षक (सीटीई) ने अपनी रिपोर्ट में विभिन्न खंडों के गंभीर उल्लंघन को उठाया था, जिसमें केंद्रीय लोक निर्माण विभाग कार्य नियमावली 2014, जीएफआर 2017 और सीवीसी दिशानिर्देशों के घोर उल्लंघन को उजागर किया गया था। हालांकि, रिपोर्ट को कथित तौर पर लगभग तीन साल तक दबा दिया गया था।’’
एसीबी के अनुसार, एसपीएस कक्षाओं के लिए प्रति वर्ग फुट लागत 2,292 रुपये आंकी गई, जबकि पक्के मॉडल स्कूलों के लिए यह 2,044-2,416 रुपये प्रति वर्ग फुट थी। इसने कक्षाओं के निर्माण में एसपीएस के उपयोग से अपेक्षित किसी भी वित्तीय लाभ को नकार दिया।
प्रारंभिक निविदा राशि 860.63 करोड़ रुपये थी, जो बाद में 17 प्रतिशत से 90 प्रतिशत हो गई। एसीबी ने कहा कि इसमें से 205.45 करोड़ रुपये सीधे तौर पर ज्यादा विनिर्देशों के कारण थे, जो मूल निविदा मूल्य का लगभग 24 प्रतिशत था।
सीवीसी दिशा-निर्देशों के विपरीत, इन बदलावों को दर्शाने के लिए कोई नए टेंडर नहीं मंगाए गए। बयान में कहा गया है कि पांच स्कूलों में 42.5 करोड़ रुपये का काम बिना उचित टेंडर के, मौजूदा अनुबंधों का उपयोग करके किया गया। बयान में कहा गया कि पूरी साजिश का पता लगाने और आप नेताओं, अज्ञात सरकारी अधिकारियों और ठेकेदारों की भूमिका और दोषसिद्धि तय करने के लिए एक व्यापक जांच शुरू की गई है।
(भाषा के इनपुट के साथ)