JNU में छात्र संघ चुनाव स्थगित, क्यों लिया यह फैसला? स्टूडेंट यूनियन में तकरार
Jnusu Elections Postponed: जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय के छात्र संघ का चुनाव स्थगित कर दिया गया है। विश्वविद्यालय प्रशासन ने इसकी वजह बताते हुए एक नोट जारी किया है।

जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय में छात्रसंघ चुनाव की राजनीति में टकराव शुरू हो गया है। चुनाव के लिए नामांकन का समय बढ़ाने को लेकर शुक्रवार शाम को जमकर हंगामा और तोड़फोड़ हुई। हंगामे के बाद चुनाव प्रभारी ने चुनाव प्रक्रिया और नामांकन की सूची जारी करने पर फिलहाल रोक लगा दी है। वहीं, छात्र संगठनों की ओर से भी एक-दूसरे के खिलाफ आरोप लगाए गए हैं।
जेएनयू छात्रसंघ चुनाव के लिए 16 अप्रैल को अंतिम सूची जारी होनी थी। हालांकि, चुनाव समिति ने नामांकन फार्म की जांच में समय लगने का हवाला देते हुए इसे एक दिन के लिए बढ़ा दिया था। चुनाव समिति की ओर से उम्मीदवारों को 17 तारीख की शाम चार बजे तक नाम वापस लेने को कहा गया था। अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद की ओर से इस मुद्दे पर विरोध जताया गया, जिसके चलते कुछ उम्मीदवारों के नामांकन नहीं हो सके।
इसके बाद से ही स्टूडेंट्स फेडरेशन ऑफ इंडिया (एसएफआई) द्वारा प्रदर्शन शुरू कर दिया गया था। वहीं, इस मुद्दे पर विवाद बढ़ता देखकर चुनाव अधिकारी ने नाम वापसी के लिए शुक्रवार दोपहर दो से ढाई बजे का समय दे दिया था।
हालांकि, विद्यार्थी परिषद की ओर से इसे आलोकतांत्रिक बताते हुए विरोध जताया गया था। इसी मुद्दे पर शुक्रवार की शाम हंगामा शुरू हो गया। कुछ छात्रों ने बैरिकेड हटा दिए और चुनाव कार्यालय के शीशे भी तोड़ दिया। हंगामे के चलते चुनाव समिति में शामिल छात्रों में भी अफरा-तफरी मच गई। वहीं, हंगामा बढ़ने के बाद चुनाव अधिकारी ने चुनाव पर अस्थायी रूप से रोक लगा दी।
विश्वविद्यालय प्रशासन की ओर से जारी नोटिस में कहा गया है कि सभी संबंधित पक्षों को सूचित किया जाता है कि 17 और 18 को चुनाव आयोग कार्यालय पर हिंसा और तोड़फोड़ की घटनाओं ने चुनाव प्रक्रिया को गंभीर रूप से बाधित किया है। असुरक्षा के माहौल को देखते हुए विश्वविद्यालय प्रशासन ने समूची चुनाव प्रक्रिया को रोकने का निर्णय लिया है।
नोटिस में आगे कहा गया है कि अगली सूचना तक उम्मीदवारों की अंतिम लिस्ट भी स्थगित कर दी गई है। चुनाव समिति चुनाव प्रक्रिया तभी शुरू करेगी जब चुनाव आयोग के सदस्यों की सुरक्षा प्रशासन और छात्र संगठनों की ओर से सुनिश्चित की जाएगी। चुनाव समिति यह भी मांग करती है कि प्रशासन हिंसा करने वालों के खिलाफ ऐक्शन ले। चुनाव समिति किसी भी तरह की धमकी और हिंसा को बर्दाश्त नहीं करेगी।
आधिकारिक बयान में आगे कहा गया है कि यह बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है कि चुनाव आयोग की ओर प्रशासन से पर्याप्त सुरक्षा मुहैया कराने की लगातार मांग की जाती रही। इसके बावजूद प्रशासन ने संतोषजनक तरीके से इस मांग पर जवाब नहीं दिया है। चुनाव आयोग निष्पक्ष और लोकतांत्रिक तरीके से चुनाव कराने के लिए प्रतिबद्ध है। चुनाव आयोग अब शांति बहाल होने के बाद ही इस मसले पर काम करना शुरू करेगा।
जेएनयू छात्र संघ चुनाव स्थगित होने के बाद छात्र संगठनों में तलवारें खिंच गई हैं। छात्र संगठनों ने चुनाव आयोग पर पक्षपात का आरोप लगाया है। एबीवीपी ने आरोप लगाया है कि चुनाव आयोग वाम संगठन के इशारे पर काम कर रहा है। वहीं वाम छात्र संगठन ने भी एबीवीपी पर तगड़ा पलटवार किया है। एबीवीपी ने अपने लिखित बयान में कहा है कि छात्रसंघ चुनाव प्रक्रिया को लेकर जिस प्रकार का कृतिम संकट खड़ा किया गया है, वह निंदनीय है।
एबीवीपी ने आगे कहा है कि तथाकथित लेफ्ट यूनाइटेड के दबाव में काम कर रही जेएनयू इलेक्शन कमिटी ने न केवल चुनाव प्रक्रिया को बाधित किया, वरन नामांकन की अंतिम तिथि के समापन के बाद भी प्रत्याशी सूची वापस लेने जैसी असंवैधानिक कार्रवाई को अंजाम दिया। यह सुनियोजित साजिश है, जिसका मकसद एबीवीपी की बढ़ती लोकप्रियता और छात्रों के बीच उसके प्रति बढ़ते विश्वास को कुचलना है।
एबीवीपी ने आरोप लगाया कि छात्रों के जनादेश से भयभीत वामपंथी गुटों और उनके संरक्षक संगठनों ने भय का वातावरण बनाकर चुनावी प्रक्रिया को बाधित करने का प्रयास किया है। जेएनयू इलेक्शन कमिटी लेफ्ट यूनाइटेड की कठपुतली के रूप में कार्य कर रही है। एबीवीपी मांग करती है कि चुनाव प्रक्रिया को छात्रों के लोकतांत्रिक अधिकारों का सम्मान करते हुए तत्काल बहाल किया जाए। वहीं आइसा ने आयोग से कहा है कि आप चुनाव कराएं हम आपके साथ खड़े हैं।