भाजपा-कांग्रेस के बागी बने सिरदर्द, बिगाड़ सकते हैं गुरुग्राम निगम चुनाव का गणित; मनाने में जुटे नेता
गुरुग्राम में भाजपा और कांग्रेस के बागी प्रत्याशी निकाय चुनाव का गणित बिगाड़ सकते हैं। यह बागी प्रत्याशी भाजपा और कांग्रेस के लिए सिरदर्द बन गए हैं। पार्टी से टिकट नहीं मिलने से नाराज उम्मीदवारों ने ही पार्टी से किनारा करते हुए निर्दलीय के तौर अपना नामांकन दाखिल किया है।
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गुरुग्राम में भाजपा और कांग्रेस के बागी प्रत्याशी निकाय चुनाव का गणित बिगाड़ सकते हैं। यह बागी प्रत्याशी भाजपा और कांग्रेस के लिए सिरदर्द बन गए हैं। ऐसे में बागी प्रत्याशियों द्वारा सोमवार को नामांकर दाखिल करने के बाद वरिष्ठ नेताओं ने उनसे संपर्क साधना शुरू कर दिया है। बागियों को मनाने के लिए अलग-अलग नेताओं को लगाया गया है।
मंगलवार को नामांकर वापस लेने का दिन है। ऐसे में राजनीतिक दलों के वरिष्ठ नेता इन बागियों को मनाने में लगे हुए हैं। पार्टी से टिकट नहीं मिलने से नाराज उम्मीदवारों ने ही पार्टी से किनारा करते हुए निर्दलीय के तौर अपना नामांकन दाखिल किया है। ऐसे में विभिन्न वार्डों से निर्दलीय के तौर पर नामांकन भरने वाले यह प्रत्याशी बड़े दलों के परेशानी बन सकते हैं।
सोमवार को नामांकन पत्र दाखिल करने का अंतिम दिन था। अंतिम दिन भाजपा और कांग्रेस से टिकट कटने से नाराज 10 से अधिक निर्दलीय उम्मीदवारों ने अलग-अलग वार्ड से अपना नामांकन दाखिल कर दिया। इनमें से सबसे दिग्गज चेहरा पूर्व मेयर विमल यादव ने निर्दलीय के तौर पर अपना नामांकर दाखिल कर दिया है। रविवार को उन्होंने समाज व वार्ड के लोगों की बैठक बुलाकर निर्दलीय चुनाव लड़ने का ऐलान किया था। इसके अलावा वार्ड-3 से भाजपा संदीप यादव को टिकट दी है, जबकि इसके प्रबल दावेदार राकेश यादव थे।
भाजपा ने राकेश का टिकट काटर संदीप को दिया। उन्होंने पार्टी से किनारा कर निर्दलीय तौर पर सोमवार को नामांकन दाखिल कर दिया है। कांग्रेस के वार्ड-34 से प्रदीप दहिया ने टिकट मांगा था, कांग्रेस ने उन्हें टिकट नहीं दिया। इस कारण प्रदीप दहिया ने भी निर्दलीय के तौर पर अपनी ताल ठोंक दी है। दस से अधिक अन्य ऐसे निर्दलीय उम्मीदवार है जिन्होंने पार्टी से किनारा करके निर्दलीय के तौर पर हुंकार भरी है।
कुणाल यादव ने निर्दलीय के तौर पर नामांकन किया
गांव चक्करपुर निवासी व पूर्व सरपंच के बेटे कुणाल यादव ने भी वार्ड-23 से भाजपा से टिकट मांगी थी, लेकिन पार्टी ने उनका टिकट काटकर नए चेहरे कुलदीप यादव को दे दिया। इससे नाराज कुणाल ने पार्टी से किनारा करते हुए निर्दलीय के तौर पर नामांकर दाखिल कर दिया है। कुणाल बीते चार साल से अपने वार्ड क्षेत्र में समाज सेवा के लिए एक्टिव है। उनके पिता भी गांव के पूर्व सरपंच रहे हैं। ऐसे में अब निर्दलीय के तौर पर नामांकन दाखिल करके कुणाल ने पार्टी उम्मीदवार को परेशानी में डाल दिया है।