अरावली के जंगलों को आग से बचाएगा AI,धुंआ उठते ही तुरंत पहुंचेगा वन विभाग को मैसेज
अरावली के जंगलों में अब कहीं पर भी अगर दस मीटर से अधिक वाले क्षेत्र में आग की घटना होती है तो एआई के माध्यम से फॉरेस्ट सर्वे ऑफ इंडिया द्वारा इस पर विशेष निगरानी रखी जाएगी।

अरावली के जंगलों को आग की घटनाओं से बचाने के लिए वन विभाग अब एआई का इस्तेमाल करेगा। फॉरेस्ट सर्वे ऑफ इंडिया (एफएसआई) उपग्रह आधारित रिमोट सेंसिंग और जीआईएस उपकरणों से अरावली के जंगलों पर नजर रखेगा। अरावली के जंगलों में अब कहीं पर भी अगर दस मीटर से अधिक वाले क्षेत्र में आग की घटना होती है तो एआई के माध्यम से फॉरेस्ट सर्वे ऑफ इंडिया द्वारा इस पर विशेष निगरानी रखी जाएगी। जैसे ही आग की कोई घटना होगी तुरंत मैसेज वन विभाग और दमकम विभाग के पास पहुंच जाएगा। इससे अरावली के जंगलों को ज्यादा नुकसान नहीं होगा। वन्य जीवों के जीवन की भी रक्षा हो सकेगी। हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड के जंगलों की निगरानी के बाद अब अरावली के जंगलों की निगरानी भी फॉरेस्ट सर्वे ऑफ इंडिया द्वारा की जाएगी।
बीते माह कई बार लग चुकी है आग
अप्रैल और मई माह में अरावली के जंगलों में आग लगने की छह घटनाएं हो चुकी हैं। बंधवाड़ी लैंडफिल साइट के आसपास तीन से चार बड़ी घटनाएं भी हो चुकी हैं। इसके बाद मानेसर एरिया के नौरंगपुर और शिकोहपुर गांव की पहाड़ियों में भी आग लग चुकी हैं। इन घटनाओं को रोकने के लिए वन विभाग की तरफ से अभी तक वन कर्मचारियों को लगाया हुआ है। वन विभाग के कर्मचारी अरावली के आसपास क्षेत्र में नजर बनाए रखते हैं। कई बार स्थानीय लोग भी सूचना देते हैं। जब तक दमकल विभाग के पास यह सूचना पहुंचती है तब तक आग भीषण रूप से ले लेती है।
धुआं उठते ही जाएगा संदेश
उपग्रह आधारित रिमोट सेंसिंग और जीआईएस उपकरणों के जरिए अरावली की निगरानी की जाएगी। इस दौरान अगर कहीं पर भी धुआं उठता दिखा तो तुरंत प्रभाव से उस जगह की लोकेशन के साथ फोटो का संदेश वन विभाग को भेजा जाएगा। स्थानीय दमकल विभाग को भी इसका संदेश भेजा जाएगा।