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बादशाहपुर में बनेगा 45 एमएलडी का एसटीपी

फरीदाबाद के ग्रेटर फरीदाबाद वासियों के लिए राहत की खबर है। बादशाहपुर में 45 एमएलडी क्षमता का नया एसटीपी प्लांट बनाया जाएगा, जिससे डेढ़ लाख लोगों को सीवर ओवरफ्लो की समस्या से राहत मिलेगी। 90 करोड़...

Newswrap हिन्दुस्तान, फरीदाबादWed, 8 Jan 2025 10:43 PM
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बादशाहपुर में बनेगा 45 एमएलडी का एसटीपी

फरीदाबाद। सीवर ओवरफ्लो की समस्या से जूझ रहे ग्रेटर फरीदाबाद वासियों (ग्रेफ) के लिए राहत की खबर है। फरीदाबाद महानगर विकास प्राधिकरण की ओर से बादशाहपुर 45 एमएलडी क्षमता का एसटीपी बनाने की योजना तैयार की है। इसे लेकर टेंडर आमंत्रित किए किए गए हैं।जिससे ग्रेफ के डेढ़ लाख लोगों को सीवर की समस्या से राहत मिलेगी। दो साल में निर्माण पूरा होने की उम्मीद है। इस योजना पर 90 करोड़ रुपये खर्च किए जाएंगे। शहर में नगर निगम और हरियाणा शहरी विकास प्राधिकरण की ओर से तीन एसटीपी प्लांट बनाए गए है। प्रतापगढ़ में 100 एमएलडी का, ग्रेटर फरीदाबाद स्थित बादशाहपुर में सात एमएलडी, मिर्जापुर में 80 एमएलडी का। इसके बावजूद

शहर में सीवर ओवरफ्लो की काफी समस्या रहती है। सबसे ज्यादा दिक्कत संजय कॉलोनी, जवाहर कॉलोनी, डबुआ कॉलोनी, नंगला-भड़ाना चौक, राजीव कॉलोनी, सेक्टर-23 और ग्रेटर फरीदाबाद में बनी हुई है। सीवर का पानी ओवरफ्लो होकर गलियों में भरा रहता है। इससे बीमारियां फैलने का खतरा रहता है। लोगों को गंदे पानी से होकर आवाजाही करनी पड़ती है। अधिकारियों ने इसकी मुख्य वजह एसटीपी को जोड़ने वाली सीवर लाइनों का अव्यवस्थित होना है। लाइन आपस में जुड़ी है, कई लाइनों की वर्षों से सफाई नहीं है, वह गंदगी से भरी है। हालांकि इसे लेकर एफएमडी ने काम शुरू कर दिया है। एसटीपी को जोड़ने वाली सीवर लाइनों की सफाई कराई जा रही है। जिससे सभी एसटीपी में क्षमता अनुसार पानी पहुंच सके। दूसरी तरफ ग्रेटर फरीदाबाद में सीवर प्रबंधन की उचित व्यवस्था नहीं है। इस कारण यहां की हाईराज सोसाइियों, सेक्टर व कॉलोनियां में आए दिन सीवर ओवर फ्लो की समस्या रहती है। बिल्डर सोसाइटियों के सीवर का गंदा पानी टैंकरों के माध्यम से खुले मैदानों में छोड़ देते है जिससे भूजल प्रदूषित हो रहा है। इसे देखते हुए एफएमडीए ने बादशाहपुर में नया एसटीपी प्लांट लगाने की योजना तैयार की है। यहां एफएमडीए के अंतर्गत आने वाले इलाकों से निकलने वाले 400 एमएलडी पानी को शोधित किया जाएगा।

एसबीआर से तकनीक से शोधित किया जाएगा पानी

नए एसटीपी में एसबीआर (स्केवेंशियल बैच रिएक्टर) तकनीक का इस्तेमाल किया जाएगा। जिससे गंदे पानी को साफ किया जाएगा। शोधित पानी को सिंचाई और ग्रीन बेल्ट में इस्तेमाल किया सकेगा। सीवर के पानी की बीओडी (बायोलॉजिकल ऑक्सीडेशन डिमांड) 300 तक होती है। इस तकनीक की मदद से यह मात्रा 10 बीओडी तक पहुंच जाएगी। सिंचाई के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले पानी की बीओडी 30 तक होनी चाहिए। इससे गुरुग्राम नहर से किसानों को स्वच्छ पानी नहीं मिलने पर उन्हें एसडीपी से पानी उपलब्ध कराया जा सकेगा।

यमुना में गंदा पानी छोड़ना होगा बंद

जीवनदायिनी यमुना नदी काे गंदा करने में प्रशासन भी कोई कमी नहीं छोड़ रहा है। शहर से कई जगहों पर नालों और सीवर का गंदा पानी बिना शोधित किए यमुना में छोड़ा जा रहा है। इसमें औद्योगिक इकाइयों का कचरा और केमिकल युक्त पानी भी शामिल है। हालांकि नगर निगम और हरियाणा शहरी विकास प्राधिकरण के एसटीपी लगे हैं। कुछ काफी पुराने और कम क्षमता के होने के कारण पूरे शहर के सीवर का पानी शोधित नहीं कर पाते है। यमुना में गंदा पानी छोड़ने पर एनजीटी भी नगर निगम पर कई बार जुर्माना लगा चुका है। इसके बावजूद पानी छोड़ना बंद नहीं हाे रहा है।

ग्रेटर फरीदाबाद में सीवर ओवरफ्लो की समस्या खत्म करने के लिए बादशाहपुर में नया एसटीपी प्लांट लगाया जाएगा। इसका काम दो साल पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है। टेंडर खुलने के बाद अगले माह काम शुरू करने का प्रयास है। - अशोक कुमार, कार्यकारी अभियंता, एफएमडीए

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