काम-धंधा बंद होने से महानगर में रहना हुआ मुश्किल
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
फोटो10 फरीदाबाद। घँटी बजाओ: बदरपुर बॉर्डर के पास आराम करते दिल्ली से कटिहार जाने वाले प्रवासी8 फरीदाबाद। सेक्टर-28 के पास हाईवे से गुजर रहे दिल्ली से चलकर भिंड जाते हुए प्रवासी।लोगोघंटी बजाओ:हैडर फैक्टरियों से नहीं मिला वेतन, कोरोना संक्रमण फैलने से भी चिंता में हैं प्रवासीफरीदाबाद। वरिष्ठ संवाददाताकाम-धंधा बंद होने से प्रवासियों का महानगरों में रहना मुश्किल हो गया है। ठेकेदारों ने वेतन नहीं दिया है। इससे खाने-पीने के लाल पड़ गए हैं। लोगों के सामने दो वक्त के भोजन के लिए हाथ फैलाना पड़ रहा है। शहर में रोजगार की तलाश में आए थे। जब रोजगार ही छिन गया तो यहां रहकर क्या करेंगे? प्रवासी मजदूरों को फिर से काम-धंधा पूरी तरह शुरू होने की उम्मीद नजर नहीं आ रही है। दूसरा, शहर में कोरोना वायरस का संक्रमण फैलता जा रहा है। इससे उनके अंदर डर समा गया है। प्रवासियों से बात करने पर यही बातें निकलकर आती हैं। इस वजह से प्रवासी इकट्ठे होकर लगातार पलायन करने में जुटे हैं। रविवार को भी काफी संख्या में प्रवासी हाईवे से गुजरते हुए देखे गए। ठेकेदार वेतन के रुपये लेकर भाग गया: मध्यप्रदेश के भिंड निवासी गर्भवती अंजलि दिल्ली के पंजाबी बाग इलाके से भिंड जाने के लिए परिवार के साथ रविवार सुबह करीब 4:00 बजे निकली। दोपहर करीब 1:00 बजे तक वह फरीदाबाद में सेक्टर-28 मेट्रो स्टेशन के पास पहुंच पाए थे। दिल्ली से भिंड की दूरी करीब 374 किलोमीटर है। पैदल-पैदल जाने में उन्हें कम से कम तीन दिन लगेंगे। उन्हें उम्मीद है कि हाईवे पर कोई न कोई ट्रक मिलेगा। उससे वह आसानी से भिंड निकल जाएंगे। उन्होंने बताया कि उसके पति की कंपनी के ठेकेदार ने उन्हें वेतन नहीं दिया। इस वजह से दिल्ली में रहना मुश्किल हो रहा था। आगे भी काम-धंधा शुरू होने की उम्मीद नजर नहीं आ रही है। कोरोना का संक्रमण लगातार बढ़ता जा रहा है। परिवार की बहुत जरूरतें हैं। काम बंद होने से उन्हें पूरा करने में दिक्कत आ रही थी। गांव से भी परिवार के लोगों के फोन आ रहे थे। इसीलिए उन्होंने आज भिंड जाने का निर्णय लिया। उन्होंने बताया कि कोरोना से परेशानी इतनी बढ़ गई है कि अब किराए के घर में रहना मुश्किल हो रहा था। रेल-बस की व्यवस्था नहीं हो पा रही थी तो उन्होंने पैदल ही भिंड जाने का निर्णय ले लिया। दिल्ली से 1,374 किलोमीटर दूर कटिहार के लिए निकल पड़े : दिल्ली के बदरपुर बॉर्डर के पास कटिहार जाने वाले लोग मिले। ये भी फैक्टरियों में नौकरी करते थे। इनकी भी कंपनी बंद चल रही है। अप्रैल माह का वेतन नहीं मिला। इस वजह से इनके लिए शहर में रहने में बड़ा मुश्किल हो गया था। कोरोना की वजह से फिर से काम-धंधा शुरू होने की उम्मीद नजर नहीं आ रही थी। इस वजह से वे दिल्ली से बिहार में पश्चिम बंगाल की सीमा के पास पड़ने वाले अपने जिले कटिहार के लिए चल पड़े। दिल्ली से कटिहार की दूरी करीब 1,374 किलोमीटर पड़ती है। इनके पड़ोस में रहने वाले लोग पहले ही पलायन कर चुके थे। अब उनके घर से भी फोन आ रहा था। ऐसे में सभी आस-पड़ोस के लोग मिलकर पैदल-पैदल ही कटिहार के लिए निकल पड़े।-----क्या कहते हैं लोग रोजगार खत्म हो गया रोजगार करने शहर आए थे। रोजगार खत्म हो गया। वेतन ठेकेदार लेकर भाग चुका है। घर चलाने में दिक्कत आ रही थी। कुछ सूझ ही नहीं रहा था। गांव से भी फोन आ रहे थे। सबसे बड़ी बात यह है कि बिना कमाए शहर में रहना आसान नहीं है। इसीलिए सब लोग आज भिंड जाने के लिए निकल पड़े।राजेश ठाकुर, भिंड--कंपनी बंद है, वेतन मिल नहीं रहा वह दिल्ली यूनिवर्सिटी में पढ़ने आए थे। पढ़ाई पूरी नहीं कर सके तो कंपनी में काम करने लगे। चार-पांच वर्ष से दिल्ली में रह रहे थे। यहां कंपनी में काम किया। अब कंपनी बंद है। वेतन मिल नहीं रहा है। इससे परेशान होकर उन्होंने कटिहार जाने का निर्णय लिया।हसन अली, कटिहार-------सुरक्षा की चिंता सता रही दिल्ली में रहकर अपनी सुरक्षा की चिंता सता रही है। रोजगार बचा नहीं है। आखिर कब तक खाली बैठेंगे? इसीलिए उसने कटिहार जाने का निर्णय ले लिया। उनके आस-पड़ोस के लोग इकट्ठे होकर कटिहार जा रहे हैं। कटिहार पैदल जाना आसान नहीं है। रास्ते में कोई ट्रक मिलेगा तो उससे लिफ्ट ले लेंगे। अब घर से निकल लिए हैं तो पहुंच भी जाएंगे।साजिद, कटिहार ---------- बिना काम के यहां रहना आसान नहीं अभी फैक्टरी बंद है। काम शुरू न होने से दिक्कत आ रही है। बिना काम के यहां रहना आसान नहीं है। उसने बस द्वारा जाने के लिए पंजीकरण करवाया था। आज उसे बल्लभगढ़ बस अड्डा पहुंचने के लिए बोला गया था। इसीलिए मैं आज बस अड्डा आया हूं। अब बस से कोसी कलां रहा हूं। बिजेंद्र, कोसी कलां -----नंबर गेम 1,374 किलोमीटर दूर बिहार के कटिहार जा रहे हैं प्रवासी400 किलोमीटर दूर भिंड जाने के लिए पैदल निकले हैं लोग
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