पांच निवर्तमान पार्षद समेत 34 भाजपा से निष्कासित
फरीदाबाद में नगर निगम चुनाव से पहले भाजपा ने पार्टी विरोधी गतिविधियों के कारण 34 नेताओं को छह साल के लिए निष्कासित कर दिया है। इनमें पांच निवर्तमान पार्षद भी शामिल हैं। भाजपा ने अनुशासनहीनता को...
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फरीदाबाद, मुख्य संवाददाता। नगर निगम चुनाव में पार्टी विरोधी गतिविधियों के कारण भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने 34 नेताओं को छह साल के लिए निष्कासित कर दिया है। इनमें पांच निवर्तमान पार्षद भी शामिल हैं। भाजपा जिला अध्यक्ष राजकुमार वोहरा ने यह कार्रवाई की है। पार्टी से निकाले गए अधिकांश नेता या तो खुद चुनाव मैदान में हैं या उनके परिवार के सदस्य चुनाव लड़ रहे हैं।
सूत्रों के मुताबिक भाजपा ने निगम चुनाव में अनुशासनहीनता को गंभीरता से लिया है। नगर निगम के 46 वार्डों के लिए करीब 500 नेताओं ने टिकट मांगे थे, लेकिन सभी को टिकट नहीं मिल सका। इससे नाराज कई नेताओं ने बगावत कर दी और निर्दलीय चुनाव लड़ने का फैसला किया। पार्टी ने इन बागियों पर कड़ी कार्रवाई करते हुए अनुशासनहीनता का आरोप लगाया और निष्कासित कर दिया।
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निष्कासित नेताओं की सूची
राकेश देशवाल, अंगद चौरसिया, दर्शनलाल कुकरेजा, आदेश यादव, लाखन सिंह, अजय यादव, गगनदीप सिंह, दिनेश बंसवाल, उमेश शर्मा, संजय महेंद्रू, अंजू भड़ाना, मनोज भड़ाना, राजकुमार, शिशिर सिन्हा, जितेंद्र भड़ाना, जितेंद्र यादव उर्फ बिल्लू, अवनेश कुमार शर्मा, सोमलता भड़ाना, रवि भड़ाना, मंजू माहौर, महेश माहौर, शिव कुमार वशिष्ठ, कुलदीप तेवतिया, अभिषेक दीक्षित, गोविंद कौशिक, दीपक पाराशर, सुरेश अत्रि, जगमोहन यादव, दीपांशु अरोड़ा, सुरभि अरोड़ा, चेतना पांडेय, सीएल पांडेय और बीर सिंह नैन शामिल हैं।
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निष्कासित निवर्तमान पार्षद
भाजपा से निष्कासित किए गए निवर्तमान पार्षदों में वार्ड 24 से बिल्लू पहलवान, वार्ड 26 से सोमलता भड़ाना, कुलदीप तेवतिया, बीर सिंह नैन और जितेंद्र भड़ाना शामिल हैं। खास बात यह है कि जितेंद्र भड़ाना निर्दलीय चुनाव जीतकर बाद में भाजपा में शामिल हुए थे।
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भाजपा के लिए सिरदर्द बने बागी
राजनीति के जानकारों का कहना है कि नगर निगम चुनाव से ठीक पहले इतनी बड़ी संख्या में नेताओं का निष्कासन भाजपा के लिए चुनौती बन रहा है। इन बागी नेताओं के निर्दलीय चुनाव लड़ने से भाजपा के प्रत्याशियों की राह मुश्किल हो सकती है, क्योंकि अधिकांश वार्ड में बागियों ने भी ताल ठोक दी है। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि भाजपा की इस अनुशासनात्मक कार्रवाई से पार्टी को कितना फायदा या नुकसान होता है।
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