Hindi Newsएनसीआर न्यूज़DTC losses mounted by Rs 35,000 crore in 6 years, free travel for women has increased burden: CAG Report

DTC को 6 साल में 35,000 करोड़ का घाटा, महिलाओं को मुफ्त यात्रा से और बढ़ा बोझ : कैग

दिल्ली की नई भाजपा सरकार आज विधानसभा में कैग की लंंबित पड़ी 14 रिपोर्ट पेश करने जा रही है। कैग की एक रिपोर्ट के अनुसार, बीते छह साल में डीटीसी का घाटा 35,000 करोड़ रुपये बढ़ गया है।

Praveen Sharma लाइव हिन्दुस्तान, नई दिल्लीTue, 25 Feb 2025 07:34 AM
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DTC को 6 साल में 35,000 करोड़ का घाटा, महिलाओं को मुफ्त यात्रा से और बढ़ा बोझ : कैग

दिल्ली की नई भाजपा सरकार आज विधानसभा में कैग की लंंबित पड़ी 14 रिपोर्ट पेश करने जा रही है। कैग की एक रिपोर्ट के अनुसार, बीते छह साल में डीटीसी का घाटा 35,000 करोड़ रुपये बढ़ गया है। नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) ने कहा है कि दिल्ली परिवहन निगम (डीटीसी) का घाटा 2015-16 में 25,300 करोड़ रुपये से बढ़कर 2021-22 में लगभग 60,750 करोड़ रुपये हो गया है, क्योंकि बसों का बेड़ा घट रहा है, 45% बसें जरूरत से ज्यादा पुरानी हो चुकी हैं और अक्सर खराब हो जाती हैं, जिसके कारण बसों का उपयोग औसत से कम हो रहा था।

द टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार, सूत्रों ने बताया कि लंबे समय से पैंडिग कैग रिपोर्ट में ऑडिटर ने कई खामियों की ओर इशारा किया है। यह रिपोर्ट आज नई भाजपा सरकार द्वारा विधानसभा में पेश किए जाने की उम्मीद है। यह उन 14 रिपोर्टों में से पहली है, जिन्हें ‘आप’ सरकार ने विधानसभा में साझा करने से मना कर दिया था।

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सूत्रों ने बताया कि घाटे का मुख्य वजह 2009 से डीटीसी के किराए में बदलाव नहीं होना है, जबकि दिल्ली सरकार द्वारा महिलाओं को मुफ्त बस यात्रा की सुविधा दिए जाने से बोझ और बढ़ गया। रिपोर्ट देखने वाले सूत्रों ने बताया कि ऑडिटर ने किसी भी व्यावसायिक योजना के अभाव की ओर भी इशारा किया है तथा घाटे को रोकने तथा इसकी वित्तीय व्यवहार्यता सुनिश्चित करने के लिए कोई रोडमैप भी नहीं है।

डीटीसी के खस्ताहाल बेड़े में टूटी-फूटी बसें यात्रियों के दैनिक अनुभव का हिस्सा के साथ ही एक राजनीतिक मुद्दा बन गईं, जिसमें भाजपा और कांग्रेस ने बार-बार आम आदमी पार्टी प्रमुख अरविंद केजरीवाल के 2015 के उस वादे का जिक्र किया कि उन्होंने डीटीसी बेड़े में 10,000 बसें जोड़ने का वादा किया था।

सीएजी ने डीटीसी द्वारा अपर्याप्त रूट प्लानिंग की ओर इशारा किया

दिल्ली हाईकोर्ट ने 2007 में आदेश दिया था कि डीटीसी के पास 11,000 बसों का बेड़ा होना चाहिए। हालांकि, पांच साल बाद दिल्ली कैबिनेट ने यह संख्या 5,500 तय की। बताया जाता है कि कैग की रिपोर्ट में बताया गया है कि मार्च 2022 के अंत में डीटीसी के पास 3,937 बसों का बेड़ा था, जिनमें से 1,770 ओवरएज हो चुकी थीं। लो-फ्लोर बसें 10 साल से अधिक पुरानी थीं और अगले महीने के अंत तक इन्हें चरणबद्ध तरीके से हटाया जाना था।

हालांकि 2022 में 300 बसों को जोड़ने के अलावा 1,740 बसों की कमी थी, लेकिन 233 करोड़ रुपये उपलब्ध होने के बावजूद खरीद नहीं की गई। दिल्ली सरकार ने फेम-I योजना के तहत 49 करोड़ रुपये की अन्य केंद्रीय सहायता का लाभ नहीं लिया, जिसके लिए कैग ने अनिर्णय और विनिर्देशों पर स्पष्टता की कमी को इसका कारण बताया। फेम-II के तहत 300 इलेक्ट्रिक बसों को अंतिम रूप देने में देरी के कारण कॉन्ट्रैक्ट की अवधि 12 साल से घटाकर 10 वर्ष कर दी गई।

पुराने बेड़े का मतलब था कि डीटीसी राष्ट्रीय औसत की तुलना में परिचालन दक्षता हासिल नहीं कर सकी। इसके अलावा, हर 10,000 किलोमीटर के संचालन के लिए ब्रेकडाउन 2.9 से 4.5 के बीच था, जो अन्य राज्य परिवहन निगमों के साथ-साथ कॉन्ट्रैक्ट पर निजी ऑपरेटरों द्वारा संचालित क्लस्टर बसों की तुलना में बहुत अधिक देखा गया।

सीएजी ने बताया कि क्लस्टर बसों का प्रदर्शन प्रत्येक परिचालन पैरामीटर पर डीटीसी बेड़े की तुलना में बहुत बेहतर था, जबकि दोनों समान परिस्थितियों में काम कर रहे थे।

कैग ने डीटीसी को खराब रूट प्लानिंग के लिए भी दोषी ठहराया, क्योंकि यह बसें 468 मार्गों या कुल 814 मार्गों में से 57% पर परिचालन कर रही थी। एक सूत्र ने कहा, ''निगम अपने द्वारा संचालित किसी भी मार्ग पर अपनी परिचालन लागत वसूलने में असमर्थ रहा। परिणामस्वरूप, 2015-22 के दौरान परिचालन पर उसे 14,199 करोड़ रुपये का घाटा हुआ।''

घाटा बढ़ने के बावजूद दिल्ली सरकार ने 2015 से 2022 के बीच 13,381 करोड़ रुपये का राजस्व अनुदान दिया, जिससे 818 करोड़ रुपये का घाटा हुआ। इसके अलावा, डीटीसी ने दिल्ली परिवहन विभाग के साथ भौतिक और वित्तीय लक्ष्य निर्धारित करने संबंधी करार पर हस्ताक्षर नहीं किए।

इसके अलावा, माना जाता है कि कैग ने डीटीसी को स्वचालित किराया संग्रह प्रणाली लागू न करने तथा सीसीटीवी निगरानी प्रणाली लगाने के लिए फटकार लगाई है, जो परियोजना शुरू होने के नौ साल बाद भी अधूरी है।

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