तहव्वुर राणा ने परिवार से बात कराने को कहा,दिल्ली की कोर्ट ने मना कर दिया, क्या कहा?
दिल्ली की एक अदालत ने गुरुवार को 26/11 के आतंकी हमले के आरोपी जेल में बंद तहव्वुर हुसैन राणा की अपने परिवार के सदस्यों से बात करने की याचिका खारिज कर दी। विशेष न्यायाधीश चंदर जीत सिंह ने कहा कि इसकी अनुमति नहीं है।

दिल्ली की एक अदालत ने गुरुवार को 26/11 के आतंकी हमले के आरोपी जेल में बंद तहव्वुर हुसैन राणा की अपने परिवार के सदस्यों से बात करने की याचिका खारिज कर दी। विशेष न्यायाधीश चंदर जीत सिंह ने कहा कि इसकी अनुमति नहीं है। राणा ने अपने वकील के माध्यम से याचिका दायर की थी और कहा था कि अपने परिवार के सदस्यों से बात करना उसका मौलिक अधिकार है और वे उसकी खैरियत के बारे में चिंतित होंगे।
एनआईए ने इस अर्जी का विरोध करते हुए तर्क दिया कि अगर उसे अपने परिवार के सदस्यों से बात करने की अनुमति दी जाती है तो वह महत्वपूर्ण जानकारी साझा कर सकता है। आतंकवाद विरोधी एजेंसी ने कहा कि जांच एक महत्वपूर्ण चरण में है। 10 अप्रैल को अदालत ने 64 वर्षीय पाकिस्तानी मूल के कनाडाई व्यवसायी को 18 दिन की हिरासत में भेज दिया था। एनआईए ने आरोप लगाया कि आपराधिक साजिश के तहत,आरोपी डेविड कोलमैन हेडली ने भारत आने से पहले राणा के साथ पूरे ऑपरेशन पर चर्चा की थी।
एनआईए ने उसकी हिरासत की मांग करते हुए अदालत को बतायाकि संभावित मुश्किलों का अंदाजा लगाते हुए,हेडली ने राणा को एक ईमेल भेजा जिसमें अपनी संपत्ति और सामान की जानकारी दी थी। एजेंसी ने यह भी आरोप लगाया कि हेडली ने राणा को इस साजिश में शामिल पाकिस्तानी नागरिकों इलियास कश्मीरी और अब्दुर रहमान के बारे में भी बताया था,जो इस मामले में आरोपी भी हैं।
26/11 मुंबई आतंकी हमलों के मुख्य साजिशकर्ता हेडली उर्फ दाऊद गिलानी (एक अमेरिकी नागरिक) का करीबी सहयोगी राणा 4 अप्रैल को अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट द्वारा प्रत्यर्पण के खिलाफ उसकी पुनर्विचार याचिका खारिज किए जाने के बाद भारत लाया गया था। 26 नवंबर, 2008 को, 10 पाकिस्तानी आतंकवादियों के एक समूह ने अरब सागर के रास्ते से भारत की वित्तीय राजधानी में घुसपैठ करने के बाद एक रेलवे स्टेशन,दो आलीशान होटलों और एक यहूदी केंद्र पर समन्वित हमला किया था। लगभग 60 घंटे तक चले इस हमले में 166 लोग मारे गए थे।