बच्चा पालने के लिए गुजारा भत्ता मांगना गलत नहीं; दिल्ली हाई कोर्ट ने किस मामले में ऐसा कहा?
न्यायमूर्ति स्वर्णकांता शर्मा की पीठ ने अपने आदेश में कहा है कि महिला यदि अपने बच्चे के लालन-पालन के लिए अपनी मर्जी से नौकरी छोड़ती है, तो इसे जानबूझकर पति को परेशान करने का कारण नहीं माना जा सकता। हर छोटे बच्चे को मां की आवश्यकता होती है।

दिल्ली हाईकोर्ट ने एक महिला की गुजारा भत्ता मांगने की याचिका को मंजूर कर लिया है। पति को आपत्ति थी कि पत्नी पहले नौकरी करती थी, लेकिन गुजारा भत्ता पाने के लिए उसने नौकरी छोड़ दी, जबकि पत्नी का तर्क था कि बच्चा बहुत छोटा है। उसकी उचित परवरिश के लिए नौकरी छोड़ना जरूरी था। उच्च न्यायालय ने पत्नी की दलील को स्वीकार कर लिया है।
न्यायमूर्ति स्वर्णकांता शर्मा की पीठ ने अपने आदेश में कहा है कि महिला यदि अपने बच्चे के लालन-पालन के लिए अपनी मर्जी से नौकरी छोड़ती है, तो इसे जानबूझकर पति को परेशान करने का कारण नहीं माना जा सकता। हर छोटे बच्चे को मां की आवश्यकता होती है। मां का भी पहला काम बच्चे को अच्छी परवरिश देना है। यदि मां नौकरी के बजाय बच्चे की परवरिश को प्राथमिकता दे रही है, तो इसमें कुछ गलत नहीं है।
पीठ ने कहा कि यह मां अपने और अपने बच्चे के लिए गुजारा भत्ता पाने की हकदार है। इस मालमे में पति ने निचली अदालत के अक्तूबर 2023 के उस आदेश को उच्च न्यायालय में चुनौती दी थी, जिसमें पति से अलग रह रही पत्नी और बच्चे को साढ़े सात हजार रुपये प्रतिमाह गुजारा भत्ता देने के लिए कहा गया था।