दिल्ली हाई कोर्ट से मेधा पाटकर को राहत, मानहानि केस में सजा पर लगाई रोक
दिल्ली हाई कोर्ट ने मानहानि केस में मेधा पाटकर की सजा पर 20 मई 2025 तक के लिए रोक लगा दी है। उन्हें 25,000 रुपए का बॉन्ड भरने का निर्देश दिया गया है।

दिल्ली हाई कोर्ट ने मानहानि केस में मेधा पाटकर की सजा पर 20 मई 2025 तक के लिए रोक लगा दी है। उन्हें 25,000 रुपए का बॉन्ड भरने का निर्देश दिया गया है। सामाजिक कार्यकर्ता मेधा पाटकर ने दिल्ली के मौजूदा उपराज्यपाल वी के सक्सेना द्वारा दायर मानहानि केस में सजा और दोषसिद्धि को हाई कोर्ट में चुनौती दी है।
दिल्ली के साकेत कोर्ट द्वारा जारी गैर जमानती वारंट के बाद दिल्ली पुलिस ने सामाजिक कार्यकर्ता मेधा पाटकर को शुक्रवार को गिरफ्तार कर लिया। उन्हें निजामुद्दीन रेलवे स्टेशन से गिरफ्तार किया गया। दरअसल, दिल्ली के उपराज्यपाल वीके सक्सेना द्वारा मानहानि के मामले में दोषी ठहराए जाने के बाद पाटकर प्रोबेशन पर रिहा होने की शर्तों 25 हजार रुपए का बॉन्ड और एक लाख रुपए का मुआवजा जमा करने में विफल रहीं। उन्हें पिछले साल मई में पांच महीने की कैद और जुर्माना की सजा सुनाई गई थी।
बॉन्ड और मुआवजा जमा नहीं करने पर साकेत जिला कोर्ट के एडिशनल सेशंस जज विशाल सिंह ने 23 अप्रैल को मेधा पाटकर के खिलाफ गैर जमानती वारंट जारी किया था। इससे पहले 8 अप्रैल को एडिशनल सेशंस जज विशाल सिंह ने मेधा पाटकर को 23 अप्रैल तक प्रोबेशन पर रिहा होने की शर्तों को पूरा करने का निर्देश दिया था।
बता दें कि वीके सक्सेना ने नेशनल काउंसिल ऑफ सिविल लिबर्टीज के अध्यक्ष के रूप में मेधा पाटकर के खिलाफ 24 नवंबर 2000 को जारी उनकी मानहानिकारक प्रेस रिलीज के लिए मामला दर्ज कराया था। पिछले साल 24 मई को मजिस्ट्रेट कोर्ट ने कहा था कि पाटकर ने अपने बयान में सक्सेना को कायर कहा और हवाला लेन-देन में उनकी मिलीभगत का आरोप लगाया था। ये न केवल मानहानिकारक थे, बल्कि सक्सेना के बारे में नकारात्मक धारणा को भड़काने के लिए गढ़े गए थे।