EXIT POLL: दिल्ली में भाजपा को 44 सीट दे रहा यह सर्वे, केजरीवाल का बुरा हाल, कांग्रेस कहां
- People's Insight के अनुसार दिल्ली में भाजपा को कुल 70 में से 40 से 44 सीटें मिल सकती हैं। इसके अलावा आम आदमी पार्टी को 25 से 29 सीटें ही मिल पाने का अनुमान है। यदि यही नतीजा 8 तारीख को ईवीएम से भी निकला तो फिर आम आदमी पार्टी की 12 साल बाद सत्ता से विदाई हो जाएगी। वहीं भाजपा 27 साल बाद आएगी।
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Delhi Exit Polls Result: Delhi Exit Poll Result: दिल्ली विधानसभा चुनाव के लिए आए ज्यादातर एग्जिट पोल्स भाजपा की वापसी की उम्मीद जता रहे हैं। इनमें से ही एक पीपल्स इनसाइट के सर्वे में भाजपा को बंपर जीत की भविष्यवाणी की गई है। People's Insight के अनुसार दिल्ली में भाजपा को कुल 70 में से 40 से 44 सीटें मिल सकती हैं। इसके अलावा आम आदमी पार्टी को 25 से 29 सीटें ही मिल पाने का अनुमान है। यदि यही नतीजा 8 तारीख को ईवीएम से भी निकला तो फिर आम आदमी पार्टी की 12 साल बाद सत्ता से विदाई हो जाएगी। वहीं भाजपा 26 साल के लंबे वनवास के बाद दिल्ली की सत्ता पर काबिज होगी। भाजपा ने इस चुनाव में किसी भी नेता को चेहरा नहीं बनाया था, लेकिन पीएम नरेंद्र मोदी और अमित शाह समेत कई दिग्गज नेता प्रचार की कमान संभाले रहे।
उत्तर प्रदेश के सीएम योगी आदित्यनाथ ने भी पूर्वांचली बहुल सीटों पर जमकर प्रचार किया था। भाजपा ने इस बार सड़क और पानी को जमकर मुद्दा बनाया और आखिरी राउंड में तो यमुना की गंदगी भी चर्चा में रही। इस मामले में अरविंद केजरीवाल भाजपा पर आरोप लगाते दिखे तो वहीं हरियाणा के सीएम नायब सिंह सैनी ने यमुना की बदहाली के लिए AAP सरकार को जिम्मेदार ठहराया। उन्होंने तो दिल्ली से लगती हरियाणा की सीमा पर पहुंचकर यमुना का पानी भी पीकर दिखाया। इस चुनाव में नई दिल्ली, जंगपुरा, कालकाजी, ग्रेटर कैलाश से लेकर पटपड़गंज तक पर टाइट फाइट मानी जा रही है।
मनीष सिसोदिया के सीट बदलने से भी बदला माहौल
मनीष सिसोदिया के पटपड़गंज छोड़कर जंगपुरा जाने को भी भाजपा ने जमकर मुद्दा बनाया और कहा कि वह हार के डर से भाग निकले हैं। अब तक दिल्ली विधानसभा चुनाव के लेकर 8 सर्वे जारी हुए हैं और सभी में भाजपा को स्पष्ट बहुमत बताया गया है। ऐसे में 8 तारीख को नतीजों के इंतजार से पहले सभी की धड़कनें तेज हैं। यदि एग्जिट पोल्स के नतीजे सही साबित हुए तो फिर AAP के लिए यह करारा झटका होगा।
दिल्ली में हारे केजरीवाल तो टूट जाएंगे विस्तार के सपने
दिल्ली से ही इस पार्टी ने आंदोलन से राजनीतिक धारा में एंट्री ली थी और यहां पर जनता का रूठना उसके विस्तार के लिए एक चुनौती होगा। अब तक अरविंद केजरीवाल राष्ट्रीय महत्वाकांक्षाएं रखते रहे हैं। ऐसे में दिल्ली का चुनाव उनके लिए अस्तित्व की लड़ाई जैसा है और उन्होंने इलेक्शन के कैंपेन में कोई दांव छोड़ा भी नहीं। फिलहाल सभी को नतीजों का इंतजार रहेगा।