Hindi Newsएनसीआर न्यूज़Delhi court grants bail to man accused in case linked to illegal Rs 329 crore overseas transfer

…तो कानून का उद्देश्य विफल होगा; कोर्ट ने दी 329 करोड़ रुपए मनीलॉन्ड्रिंग के आरोपी को जमानत

  • अपने आदेश में जज अपर्णा स्वामी ने कहा, ‘यदि याचिकाकर्ता को आगे की जांच पूरी होने तक हिरासत में रहने दिया जाता है, तो यह कानून के उद्देश्य को विफल कर देगा।'

Sourabh Jain लाइव हिन्दुस्तान, नई दिल्लीSat, 22 Feb 2025 06:32 PM
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…तो कानून का उद्देश्य विफल होगा; कोर्ट ने दी 329 करोड़ रुपए मनीलॉन्ड्रिंग के आरोपी को जमानत

भारत से बाहर अवैध तरीके से 329 करोड़ रुपए भेजने से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग के मामले में गिरफ्तार एक आरोपी को दिल्ली की एक अदालत ने जमानत दे दी। आरोपी पर अपने साथियों के साथ मिलकर फर्जी आयात बिलों के जरिए इस रकम का हस्तांतरण देश से बाहर करने का आरोप है। जिसके बाद इस मामले में अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश अपर्णा स्वामी ने आरोपी को राहत देते हुए जमानत दे दी। सुनवाई के दौरान जज ने कहा, ‘आगे की जांच लंबित है, जिसके चलते याचिकाकर्ता पर मुकदमा शुरू नहीं हो सकता।’

इस मामले में आरोपी जतिन चोपड़ा को प्रवर्तन निदेशालय ने 15 सितंबर 2024 को गिरफ्तार किया था। ईडी का कहना था कि कई बार बुलाए जाने के बावजूद उसने जांच में शामिल होकर सहयोग नहीं किया।

20 फरवरी को पारित अपने आदेश में जज अपर्णा स्वामी ने कहा, ‘यदि याचिकाकर्ता को आगे की जांच पूरी होने तक हिरासत में रहने दिया जाता है, तो यह कानून के उद्देश्य को विफल कर देगा, जो जांच के लंबित रहने के कारण आरोपी को 90 दिनों से अधिक हिरासत में न रखने के अधिकार की गारंटी देता है।’

मनी लॉन्ड्रिंग का मामला दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल द्वारा दर्ज की गई FIR से जुड़ा है। ईडी ने इस मामले में पिछले साल जुलाई में आशीष कुमार वर्मा, विपिन बत्रा, रूपेश बत्रा और मोहन मदान को गिरफ्तार किया था। ईडी के अनुसार, 'आरोपियों ने PAN, आधार और मतदाता पहचान पत्र जैसे नकली और जाली दस्तावेजों के बल पर 20 फर्जी या नकली संस्थाएं बनाईं और कई बैंक खाते खोले, जिनका इस्तेमाल 45 मिलियन अमेरिकी डॉलर की विदेशी मुद्रा अर्जित करने के लिए किया गया।'

इस दौरान 'आरोपियों द्वारा सेवाओं के आयात के लिए भुगतान की आड़ में अपराध की आय विदेश में ट्रांसफर की गई।' एजेंसी के अनुसार ये लोग एक बड़े अंतर्राष्ट्रीय रैकेट/धोखाधड़ी में शामिल थे, जिसमें विदेशी मुद्रा अर्जित की जा रही थी और धोखाधड़ी के माध्यम से आय को विभिन्न तरीकों से देश के बाहर भेजा जा रहा था। ईडी ने दावा किया कि 'इससे देश की आर्थिक सुरक्षा और वित्तीय प्रणाली को खतरा पैदा हुआ, जिसके परिणामस्वरूप विभिन्न सरकारी विभागों को नुकसान हुआ और आरोपियों को गलत तरीके से फायदा पहुंचा।'

ईडी के मुताबिक चोपड़ा और अन्य ने इसी प्रकार की कार्यप्रणाली अपनाते हुए अपराध की आय को फर्जी आयात बिलों के जरिए अवैध रूप से विदेश भेजा, खासकर हांगकांग और सिंगापुर में भेजा। ईडी ने बताया कि इसी प्रक्रिया के जरिए उन्होंने 10 फर्जी संस्थाएं स्थापित कीं और केनरा बैंक में खाते खोले। इसके बाद उन्होंने बांग्लादेश से कपड़ों के फर्जी आयात के बदले भुगतान की आड़ में इस अवैध धन को सिंगापुर और हांगकांग में स्थानांतरित कर दिया।

एजेंसी ने कहा है कि इस तरह इन बैंक खातों में 329 करोड़ रुपए की अपराध की आय अर्जित की गई और फिर उसे विदेश में ट्रांसफर किया गया। आवेदक की ओर से अधिवक्ता ध्रुव गुप्ता अदालत में पेश हुए।

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