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दिल्ली की अदालत से AAP को राहत, चार्जशीट पर संज्ञान लेने से इनकार; क्या है पूरा मामला

दिल्ली की एक अदालत ने आम आदमी पार्टी (आप) के चार नेताओं के खिलाफ दाखिल चार्जशीट पर संज्ञान लेने से इनकार कर दिया है। राउज एवेन्यू कोर्ट के ने देरी को लेकर दिल्ली पुलिस को फटकार लगाई।

Sneha Baluni नई दिल्ली। हिन्दुस्तान टाइम्सSun, 23 Feb 2025 12:40 PM
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दिल्ली की अदालत से AAP को राहत, चार्जशीट पर संज्ञान लेने से इनकार; क्या है पूरा मामला

दिल्ली की एक अदालत ने आम आदमी पार्टी (आप) के चार नेताओं के खिलाफ दाखिल चार्जशीट पर संज्ञान लेने से इनकार कर दिया है। इन नेताओं पर पिछले साल मार्च में पश्चिमी दिल्ली के निठारी चौक पर विरोध प्रदर्शन के दौरान पुलिस के आदेशों की अवहेलना करने और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और प्रवर्तन निदेशालय के पुतले जलाने का आरोप है। राउज एवेन्यू कोर्ट के अतिरिक्त मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट पारस दलाल ने सभी साक्ष्यों और गवाहों तक पहुंच होने के बावजूद आठ महीने तक मामले की जांच न करने के लिए दिल्ली पुलिस को फटकार लगाते हुए शुक्रवार को यह आदेश पारित किया।

अदालत ने जांच अधिकारी (आईओ) से एफआईआर दर्ज करने से पहले प्रारंभिक जांच न करने पर भी सवाल उठाए। यह घटना 24 मार्च को घटी थी, जब किराड़ी विधानसभा क्षेत्र के तत्कालीन विधायक ऋतुराज गोविंद झा और तीन आप पार्षदों ने पश्चिमी दिल्ली के किराड़ी चौक पर विरोध प्रदर्शन किया था। पुलिस ने कहा कि आरोपियों ने पीएम मोदी और प्रवर्तन निदेशालय के पुतले जलाए, जो आदर्श आचार संहिता (एमसीसी) और धारा 144 सीआरपीसी (उपद्रव या आशंका वाले खतरे के तत्काल मामलों में आदेश जारी करने की शक्ति) का उल्लंघन था, जो उस समय प्रभावी थे।

पुलिस ने आदेशों की अवहेलना करने के आरोप में चारों नेताओं को हिरासत में लिया और उन पर भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 188 (लोक सेवक के वैध आदेशों की अवज्ञा) के तहत मामला दर्ज किया। पुलिस ने राउज एवेन्यू कोर्ट में चार्जशीट दाखिल की, जिसमें नेताओं के खिलाफ अपराधों का संज्ञान लेने की मांग की गई।

अदालत ने नोट किया कि चार्जशीट में यह साफ नहीं है कि आरोपियों द्वारा ऐसी कौन सी हरकत की गई जिसकी वजह से उनपर आरोपों का गठन किया गया। यह भी कहा कि उनके द्वारा कोई अवज्ञा नहीं की गई जिससे किसी सार्वजनिक अधिकारी के काम में बाधा हुई हो। अदालत ने जांच में हुई देरी की ओर भी इशारा करते हुए सवाल उठाया कि चार गवाहों वाले मामले में आरोप पत्र दाखिल करने में 10 महीने कैसे लग सकते हैं, जिनमें से सभी पुलिस अधिकारी थे।

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