Hindi Newsएनसीआर न्यूज़Court sentences man to 10 years RI for killing 2 and injuring 10 in road accident

फुटपाथ सोने के लिए नहीं होते, लेकिन..; कोर्ट ने 2 लोगों को कुचलकर जान लेने वाले शख्स को सुनाई सजा

  • एडीशनल सेशल जज की अदालत ने इस मामले में 12 फरवरी को दिए अपने फैसले में आरोपी ऋषि कुमार को IPC की धारा 304 भाग II, धारा 308 और मोटर अधिनियम की धारा 185 के तहत दोषी पाते हुए सजा सुनाई।

Sourabh Jain पीटीआई, नई दिल्लीThu, 13 Feb 2025 03:20 PM
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फुटपाथ सोने के लिए नहीं होते, लेकिन..; कोर्ट ने 2 लोगों को कुचलकर जान लेने वाले शख्स को सुनाई सजा

दिल्ली की एक अदालत ने फुटपाथ पर कार चढ़ाकर दो लोगों की जान लेने और 10 लोगों को घायल करने वाले एक शख्स को 10 साल के कठोर कारावास की सजा सुनाई है। करीब 11 साल पहले हुई इस घटना के वक्त कार चला रहा शख्स नशे में धुत था। साथ ही अदालत ने दोषी शख्स को पीड़ितों या उनके परिजनों को 1-1 लाख रुपए का मुआवजा देने का निर्देश भी दिया।

अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश वीरेंद्र कुमार खरता की अदालत ने इस मामले में 12 फरवरी को दिए अपने फैसले में आरोपी ऋषि कुमार को IPC की धारा 304 भाग II, धारा 308 और मोटर अधिनियम की धारा 185 (नशे में धुत होकर गाड़ी चलाना) के तहत दोषी पाते हुए सजा सुनाई।

सुनवाई के दौरान अतिरिक्त सरकारी वकील पंकज रंगा ने अदालत को बताया कि 17 अगस्त, 2014 को दोषी ने निगम बोध घाट के पास फुटपाथ पर सो रहे दो बेघर लोगों की जान ले ली थी और 10 अन्य को घायल कर दिया था।

फैसला सुनाते हुए अदालत ने कहा कि 'यह सही है कि फुटपाथ सोने के लिए नहीं होते हैं, और पैदल चलने वालों के लिए होते हैं, लेकिन यह भी सच है कि फुटपाथ वाहन चलाने के लिए भी नहीं होते हैं।' अदालत ने आगे कहा कि दोषी को पता था कि नशे में धुत होकर गाड़ी चलाने से निर्दोष लोगों की जान जा सकती है, लेकिन इसके बाद भी उसने कार चलाई।

कोर्ट ने अपने फैसले में कहा, 'मृतक या घायल व्यक्तियों और उनके परिवार के सदस्यों द्वारा झेले गए आघात और पीड़ा को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है। और युवा होना व अविवाहित होना बिल्कुल भी अपराध की गंभीरता को कम करने वाली परिस्थितियां नहीं है। परिवार का एक भी सदस्य दोषी पर निर्भर नहीं है और दोषी द्वारा किया गया अपराध जघन्य हैं।'

इसके बाद अदालत ने दोषी को IPC की धारा 304 भाग II के तहत 10 साल के कठोर कारावास और IPC की धारा 308 के तहत 7 साल के कठोर कारावास की सजा सुनाई। इसके साथ ही दोषी को मोटर व्हीकल एक्ट के तहत 6 महीने के साधारण कारावास की सजा भी सुनाई गई।

अदालत ने कहा कि तीनों सजाएं साथ-साथ चलेंगी। साथ ही अदालत ने दोषी को पीड़ितों या उनके परिवार के सदस्यों को एक-एक लाख रुपए का मुआवजा देने का निर्देश दिया। इस बारे में अदालत ने कहा, 'चूंकि पीड़ितों को देने के लिए दोषी पर लगाया गया जुर्माना पर्याप्त नहीं था, इसलिए वर्तमान मामले को दिल्ली राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण के सचिव को भेजा जाए ताकि उन्हें और अधिक उचित मुआवजा दिलवाया जा सके।'

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