ब्राह्मण चेहरा, हिंदुत्व का सेहरा; कैसे कपिल मिश्रा ने केजरीवाल के बाद जीता मोदी का भरोसा
- Kapil Mishra News: दिल्ली में सीएम के नाम पर सस्पेंस खत्म होते ही संभावित मंत्रियों की लिस्ट भी सामने आ गई है। नई मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता के साथ आज दिल्ली के रामलीला ग्राउंड में 6 मंत्रियों ने भी शपथ ली। इसमें एक नाम करावल नगर विधानसभा सीट से विधायक चुनकर आए कपिल मिश्रा भी हैं।
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दिल्ली में सीएम के नाम पर सस्पेंस खत्म होते ही संभावित मंत्रियों की लिस्ट भी सामने आ गई है। नई मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता के साथ आज दिल्ली के रामलीला ग्राउंड में 6 मंत्रियों ने भी शपथ ली। इसमें एक नाम करावल नगर विधानसभा सीट से विधायक चुनकर आए कपिल मिश्रा भी हैं। कपिल मिश्रा पहले आम आदमी पार्टी में थे,लेकिन शीर्ष नेतृत्व पर करप्शन के आरोप लगाने के बाद उन्हें पार्टी से निकाल दिया गया था। 2019 में पार्टी ज्वाइन करने के बाद कपिल पिछले 5 साल से भारतीय जनता पार्टी का दिल्ली में झंडा बुलंद कर रहे हैं। कपिल मिश्रा को भाजपा के अंदर हिंदुत्व के एक बड़े चेहरे के रूप में देखा जाता है और उन्हें मंत्रीपद के लिए चुने जाने के पीछे का कारण कहीं न कहीं ब्राह्मणों को भी संदेश देने की कोशिश है।
कभी आम आदमी पार्टी के थे सच्चे सिपाही
कपिल मिश्रा दिल्ली में 12 साल तक राज करने वाली आम आदमी पार्टी के एक वक्त पर सच्चे सिपाही थे। दिन बीते और कपिल मिश्रा की पार्टी से मतभेद होना शुरू हो गए। कपिल को केजरीवाल की सरकार में जल संसाधन मंत्री के रूप में मंत्रिमंडल में शामिल किया गया था। लेकिन केजरीवाल और कैबिनेट सहयोगी सत्येंद्र जैन पर भ्रष्टाचार का आरोप लगाने के बाद उन्हें मंत्रालय से हटा दिया गया था। उन्होंने मुख्यमंत्री के खिलाफ भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो में शिकायत दर्ज कराई थी,जिसमें कहा गया था कि केजरीवाल और जैन ने रिश्वत में 2 करोड़ रुपये लिए, लेकिन मिश्रा इसे साबित करने में विफल रहे।
कपिल मिश्रा ने 2019 लोकसभा चुनाव के दौरान अपनी ही पार्टी के खिलाफ प्रचार भी किया था। इन पार्टी विरोधी गतिविधियों को विधानसभा अध्यक्ष राम निवास गोयल के संज्ञान में लाया गया था। दलबदल और पार्टी विरोधी गतिविधियों के आधार पर भारतीय संविधान की दसवीं अनुसूची के पैराग्राफ 2 (1) (ए) के नियम के तहत उचित प्रक्रिया के बाद कपिल मिश्रा को 2 अगस्त, 2019 को विधायक के रूप में अयोग्य घोषित कर दिया गया। पार्टी से निष्कासन के बाद कपिल 17 अगस्त, 2019 को भाजपा के अन्य नेताओं मनोज तिवारी,विजय गोयल और सतीश उपाध्याय की उपस्थिति में आधिकारिक तौर पर भाजपा में शामिल हो गए थे।
करावल नगर सीट से मिली बंपर जीत
कपिल मिश्रा पहली बार करावल नगर सीट से चुनकर आए हैं, ऐसा नहीं है। आम आदमी पार्टी में रहते हुए भी उन्होंने इसी सीट से जीत दर्ज की थी। 2015 में वह इसी सीट से जीतकर आम आदमी पार्टी की सरकार में मंत्री बने थे। अब दोबारा इसी सीट से बंपर जीत हासिल करने के बाद कपिल दोबारा मंत्री बने हैं। इस बार सरकार बीजेपी की रहेगी। कपिल मिश्रा ने इस बार के विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी के उम्मीदवार मनोज त्यागी को 23355 वोटों से हराया है। पिछली बार इसी सीट पर भाजपा के मोहन सिंह बिष्ट को जीत मिली थी।
कहां हुआ जन्म, एजुकेशन भी जानिए
कपिल मिश्रा के माता-पिता मूलत: मध्य प्रदेश के रीवा जिले के पटेहरा गांव के हैं। बाद में माता-पिता रीवा से दिल्ली आ गए और 13 नवंबर 1980 को कपिल मिश्रा का जन्म हुआ। दिल्ली स्कूल आफ सोशल साईंस के ग्रेजुएट कपिल को कई सामाजिक कार्यों के लिए भी जाना जाता है। उनकी मां अन्नपूर्णा मिश्रा भी बीजेपी की कर्मठ सदस्य रही हैं। ईस्ट दिल्ली से वह मेयर का पद भी संभाल चुकी हैं। पिता रामेश्वर मिश्रा रीवा के उस समय के प्रतिष्ठित अखबार बांधवीय समाचार के उप संपादक थे।
हिंदुत्व का चेहरा
कपिल मिश्रा भारतीय जनता पार्टी के एक हिंदुत्व चेहरे के रूप में भी अपनी पहचान रखते हैं। पार्टी में सक्रिय भूमिका के अलावा उन्होंने हिंदू इकोसिस्टम के फाउंडर भी हैं। उन्होंने 2020 में दिल्ली दंगो के दौरान लोगों की काफी मदद की थी। शाहीन बाग और दिल्ली के कई इलाकों में सीएए के खिलाफ चल रहे आंदोलन में भी खूब मुखर रहे थे। रोहिंग्यों के मुद्दे पर भी आप सरकार को कपिल मिश्रा लगातर घेरते आए थे। कपिल एक ब्राह्मण चेहरा भी हैं, बीजेपी को ब्राह्मणों का भी खूब साथ मिला है।