भगदड़ के बाद अब भी लापता कुछ लोग, इनके नाम ना मृतकों-ना घायलों की सूची में; यहां-वहां भटक रहे परिजन
- अस्पताल अधिकारियों ने लापता शख्स के परिजन से कहा कि भगदड़ में मारे गए सभी लोगों के शव उनके रिश्तेदार ले गए हैं, और अब अस्पताल में भगदड़ में जान गंवाने वाले किसी व्यक्ति का शव नहीं रखा है।
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नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पर मची भगदड़ में 18 परिवारों ने अपने घर के सदस्यों को हमेशा के लिए खो दिया, साथ ही कई लोग घायल भी हो गए। इस बीच कुछ ऐसे भी परिवार हैं, जिनके परिजन इस दर्दनाक भगदड़ के बाद से लापता हैं। इन लोगों के नाम ना तो मृतकों की लिस्ट में है और ना ही घायलों की सूची में उनका नाम है। उनका कुछ पता नहीं चल रहा है। ऐसे में उनकी खोज में उनके परिवार के सदस्य रविवार को दिनभर एक अस्पताल से दूसरे अस्पताल में भागते रहे लेकिन उनकी तलाश पूरी नहीं हुई। वे लापता सदस्य की तस्वीर लेकर यहां-वहां जा रहे हैं, उन्हें समझ नहीं आ रहा है कि वे क्या करें।
अधिकारियों का कहना है कि इस घटना में घायल हुए लोगों को लोक नायक जय प्रकाश नारायण अस्पताल (LNJP) और मध्य दिल्ली के लेडी हार्डिंग मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल में भर्ती कराया गया है। जिसके बाद लापता परिजन की खोज में वहां पहुंचे लोगों को अस्पताल के अधिकारी वहां भर्ती घायलों की सूची दिखा रहे हैं और नाम नहीं मिलने पर उन्हें वापस भेज दिया जा रहा है। परिवारों ने यह भी कहा कि वे गुमशुदगी की शिकायत भी दर्ज नहीं करा पाए हैं।
LNJP अस्पताल के बाहर खड़े भोला साह ने मोबाइल पर अपनी लापता पत्नी मीना की फोटो दिखाते हुए कहा कि, 'वह कल शाम से लापता है, जब वह महाकुंभ में शामिल होने के लिए प्रयागराज जाने वाली ट्रेन पकड़ने के लिए स्टेशन गई थी। उसके पास टिकट नहीं था। उसके साथ आई 4-5 अन्य महिलाओं का भी कुछ पता नहीं चल पाया है और उनके मोबाइल फोन भी नहीं लग पा रहे हैं।'
आगे भोला ने बताया, 'अस्पताल अधिकारियों का कहना है कि भगदड़ में मारे गए सभी लोगों के शव उनके रिश्तेदार ले गए हैं, और अब अस्पताल में भगदड़ में जान गंवाने वाले किसी व्यक्ति का शव नहीं रखा है।'
घटना के समय मौके पर मौजूद एक प्रत्यक्षदर्शी गुप्तेश्वर यादव ने बताया कि मेरी पत्नी लापता है। मैंने उसे आखिरी बार कल रात 8.30 से 9 बजे के बीच देखा था। मैं LNJP अस्पताल और लेडी हार्डिंग अस्पताल गया था, लेकिन उसका कुछ पता नहीं चला। मैंने पुलिस स्टेशन में शिकायत भी दर्ज कराई है। मैं वहां अपना मोबाइल नंबर और पता भी लिखवाकर आया हूं।'
उधर एक अन्य शख्स मोअज्जाम भी अपने दोस्तों के साथ अपने लापता भाई नदीम को खोजता हुआ LNJP अस्पताल पहुंचा। उसने बताया कि 'नदीम स्वतंत्रता सेनानी एक्सप्रेस से बिहार के दरभंगा अपने घर वापस जा रहा था। उसका कुछ पता नहीं चल पा रहा है और उसके पास फोन नहीं होने से उससे किसी तरह से संपर्क भी नहीं हो पा रहा है। उसकी ट्रेन शनिवार रात को प्लेटफॉर्म नंबर 13 से रवाना होने वाली थी। मुझे डर है कि उसके साथ कुछ गलत ना हो गया हो।'
भाई को तलाश करने दूसरे अस्पताल जाने से पहले मोअज्जाम ने कहा, 'अस्पताल के अधिकारियों ने मुझे बताया कि मृतकों की सूची में मेरे भाई का नाम नहीं है, लेकिन साथ ही उन्होंने मुझे अस्पताल में भर्ती घायलों के बीच भी अपने भाई को नहीं खोजने दिया।'
उधर नई दिल्ली की रहने वाली अर्चना सुमन ने कहा कि उन्होंने अपने भाई को LNJP अस्पताल में भर्ती पाया। उन्होंने बताया कि 'कल मेरा भाई ट्रेन पकड़ने गया था। उसके जाने के कुछ ही देर बाद हमें रेलवे स्टेशन पर भगदड़ की खबर मिली। हम डर गए और तुरन्त वहां पहुंचे, लेकिन वह हमें नहीं मिला।' हालांकि कुछ घंटों बाद एक फोन आया कि उनके भाई को LNJP अस्पताल ले जाया गया है। जहां पहुंचने पर उन्होंने पाया कि वह घायल है और उसके पैरों में घाव लगे हुए हैं।
बता दें कि LNJP अस्पताल में आम लोगों के प्रवेश पर फिलहाल रोक लगा दी गई है, केवल उन्हीं को अंदर जाने दिया जा रहा है, जिनके परिजन भगदड़ के दौरान घायल हो गए थे और वहां भर्ती हैं।