Hindi Newsदेश न्यूज़Why more tickets sold than capacity Delhi HC asked questions to railways regarding stampede at NDLS station

ट्रेनों की क्षमता से अधिक टिकट क्यों बेचे? स्टेशन पर मची भगदड़ को लेकर दिल्ली HC ने रेलवे से पूछे सवाल

  • अदालत ने एसजी से यह पूछा कि रेलवे इस कानून को लागू करने के लिए क्या कदम उठाएगा, ताकि बिना अनुमति के किसी भी व्यक्ति को डिब्बे में प्रवेश करने से रोका जा सके।

Himanshu Jha लाइव हिन्दुस्तानThu, 20 Feb 2025 05:54 AM
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ट्रेनों की क्षमता से अधिक टिकट क्यों बेचे? स्टेशन पर मची भगदड़ को लेकर दिल्ली HC ने रेलवे से पूछे सवाल

हाल ही में नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पर हुई भगदड़ में 18 लोगों की मौत के बाद दिल्ली हाई कोर्ट ने बुधवार को भारतीय रेलवे से सवाल किया कि क्यों ट्रेन के डिब्बे की निर्धारित क्षमता से अधिक टिकट बेचे जा रहे हैं। अदालत ने भारतीय रेलवे से यह सुनिश्चित करने को कहा कि डिब्बों में जो यात्री संख्या निर्धारित की गई है उससे अधिक टिकट न बेचे जाएं।

मुख्य न्यायाधीश डी.के. उपाध्याय और न्यायमूर्ति तुषार राव गेडेला की बेंच ने सॉलिसीटर जनरल (एसजी) तुषार मेहता से कहा, "यदि आपने डिब्बे में बैठने के लिए यात्री संख्या तय कर दी है, तो फिर टिकट संख्या उससे ज्यादा क्यों बेची जाती है? यही समस्या है।"

अदालत दिल्ली रेलवे स्टेशन पर हुई हालिया भगदड़ को लेकर दायर जनहित याचिका (PIL) पर सुनवाई कर रही थी और इस मुद्दे पर भारतीय रेलवे से यह सुनिश्चित करने को कहा कि वह इन मुद्दों पर क्या कदम उठा रहे हैं। याचिका में रेलवे एक्ट की धारा 57 और 147 का हवाला दिया गया था, जो अधिक भीड़-भाड़ और अवैध यात्री प्रवेश पर नियंत्रण रखती हैं।

कोर्ट ने कहा, "अगर आप एक साधारण कदम भी उठा लेते, तो ऐसी स्थितियों से बचा जा सकता था। लेकिन डिब्बे में यात्री संख्या तय नहीं करना, यह प्रावधान अब तक नजरअंदाज किया गया है।" अदालत ने रेलवे एक्ट की धारा 57 का उल्लेख किया, जिसके तहत प्रत्येक रेलवे प्रशासन को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि हर डिब्बे में यात्रियों की अधिकतम संख्या तय की जाए।

सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता ने अदालत को आश्वस्त किया कि यह याचिका विरोधात्मक रूप से नहीं ली जा रही है और रेलवे कानून का पालन करने के लिए बाध्य है। उन्होंने कहा कि यह एक अप्रत्याशित स्थिति थी और कोर्ट को यह आश्वासन दिया कि याचिका में उठाए गए मुद्दों को उच्चतम स्तर पर ध्यान में लिया जाएगा।

सुनवाई के दौरान अदालत ने यह भी कहा कि नियमों के अनुसार, प्रत्येक डिब्बे में यात्रियों की संख्या को स्पष्ट रूप से बाहर प्रदर्शित किया जाना चाहिए। अदालत ने एसजी से यह पूछा कि रेलवे इस कानून को लागू करने के लिए क्या कदम उठाएगा, ताकि बिना अनुमति के किसी भी व्यक्ति को डिब्बे में प्रवेश करने से रोका जा सके।

कोर्ट ने आदेश दिया, "याचिका में उठाए गए मुद्दों की जांच रेलवे बोर्ड के उच्चतम स्तर पर की जाए और इसके बाद रेलवे बोर्ड द्वारा लिए गए निर्णयों के बारे में एक हलफनामा दाखिल किया जाए।" अदालत ने मामले की अगली सुनवाई अगले महीने के लिए तय की।

अदालत ने यह भी कहा कि यह जनहित याचिका केवल हालिया भगदड़ की घटना से संबंधित नहीं थी, बल्कि यह अधिकतम यात्री संख्या और प्लेटफार्म टिकट की बिक्री से संबंधित मौजूदा कानूनी प्रावधानों के क्रियान्वयन की मांग कर रही थी। कोर्ट ने यह भी कहा कि यदि कानूनी प्रावधानों को सही तरीके से लागू किया गया होता तो शायद इस तरह की घटना को टाला जा सकता था।

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