Why is Balochistan Hinglaj Mata Mandir so special where Pakistan biggest Hindu fair is held बलूचिस्तान का हिंगलाज माता मंदिर क्यों इतना खास, जहां लगता है पाक का सबसे बड़ा हिंदू मेला, India News in Hindi - Hindustan
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बलूचिस्तान का हिंगलाज माता मंदिर क्यों इतना खास, जहां लगता है पाक का सबसे बड़ा हिंदू मेला

उन्होंने यह भी कहा कि इस तीर्थ स्थल को बलूच समुदाय भी गहरे सम्मान से ‘नानी मंदिर’ कहकर संबोधित करते है, जो विभिन्न समुदायों के बीच साझा विरासत और पारस्परिक श्रद्धा की दुर्लभ मिसाल है।

Himanshu Jha लाइव हिन्दुस्तानThu, 15 May 2025 01:25 PM
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बलूचिस्तान का हिंगलाज माता मंदिर क्यों इतना खास, जहां लगता है पाक का सबसे बड़ा हिंदू मेला

भारत-पाकिस्तान के बीच जारी तनाव के बीच बलूचिस्तान की आजादी की मांग तेज हो गई है। इस बीच असम के मुख्यमंत्री हिमंत सरमा ने वहां स्थित एक हिंदू मंदिर का जिक्र करते हुए इसे सनातन धर्म के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण तीर्थ स्थल बताया है। सरमा ने गुरुवार को कहा कि बलूचिस्तान हिंदुओं के लिए ऐतिहासिक और आध्यात्मिक दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण स्थान है क्योंकि यहां हिंगलाज माता का मंदिर स्थित है जो 51 पवित्र शक्तिपीठों में से एक है।

यहां पाकिस्तान का सबसे बड़े हिंदू उत्सव हिंगलाज यात्रा मनाया जाता है। हिंगलाज माता का प्राचीन गुफा मंदिर देश के उन कुछ हिंदू स्थलों में से एक है, जहां हर साल बड़ी संख्या में तीर्थयात्री आते हैं। आपको बता दें कि मुस्लिम बहुल पाकिस्तान में 44 लाख हिंदू रहते हैं, जो कि कुल आबादी का सिर्फ 2.14 प्रतिशत है।

भक्तगण ज्वालामुखी के शिखर तक पहुंचने के लिए सैकड़ों सीढ़ियां चढ़ते हैं या चट्टानों से होते हुए यात्रा करते हैं। यहां मौजूद गड्ढे में नारियल और गुलाब की पंखुड़ियां फेंकते हैं और हिंगलाज माता के दर्शन के लिए दैवीय अनुमति मांगते हैं। यहां तीन दिवसीय मेला लगता है।

मंदिर के सबसे वरिष्ठ पुजारी महाराज गोपाल बताते हैं कि लोग यहां क्यों आते हैं। वह कहते हैं, "यह हिंदू धर्म में सबसे पवित्र तीर्थस्थल है। जो कोई भी इन तीन दिनों के दौरान मंदिर में आता है और पूजा करता है, उसके सभी पाप क्षमा हो जाते हैं।"

हिमंत सरमा ने क्या कहा?
मुख्यमंत्री ने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर पोस्ट किया, ‘‘यह मंदिर हिंगोल राष्ट्रीय उद्यान की दुर्गम पहाड़ियों में स्थित है और ऐसा माना जाता है कि यही वह स्थान है जहां देवी सती का शीश गिरा था। इस कारण यह स्थान देवी शक्ति के सबसे पवित्र स्थलों में से एक माना जाता है।’’

उन्होंने कहा कि ‘‘सिंधी, भावसर और चरण समुदायों’’ के श्रद्धालु सदियों से रेगिस्तानी रास्तों को पार करते हुए इस मंदिर में दर्शन के लिए कठिन यात्राएं करते आ रहे हैं। हिंगोल नेशनल पार्क के बीहड़ इलाकों में बसे इस मंदिर के बारे में माना जाता है कि यह वह स्थान है जहां देवी सती का सिर गिरा था, जो इसे शक्तिपीठ के सबसे पवित्र स्थलों में से एक बनाता है।

मुख्यमंत्री शर्मा ने कहा कि धार्मिक महत्व से परे, बलूचिस्तान इस क्षेत्र में उपमहाद्वीप के विभाजन से पहले तक हिंदुओं की प्राचीन सांस्कृतिक उपस्थिति का भी गवाह रहा है।

उन्होंने यह भी कहा कि इस तीर्थ स्थल को बलूच समुदाय भी गहरे सम्मान से ‘नानी मंदिर’ कहकर संबोधित करते है, जो विभिन्न समुदायों के बीच साझा विरासत और पारस्परिक श्रद्धा की दुर्लभ मिसाल है।