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इन्फोसिस के को-फाउंडर गोपालकृष्णन पर क्यों हुआ एससी-एसटी ऐक्ट में केस, उन पर क्या आरोप

  • बेंगलुरु के सदाशिव नगर पुलिस थाने में केस फाइल हुआ है। शहर की सेशन कोर्ट के आदेश पर दर्ज हुई एफआईआर में एक शख्स ने आरोप लगाया है कि उसे हनी ट्रैप के फर्जी केस में फंसाया गया था। इसके बाद उसे इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ साइंस की नौकरी से हटा दिया गया।

Surya Prakash लाइव हिन्दुस्तानTue, 28 Jan 2025 01:01 PM
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इन्फोसिस के को-फाउंडर गोपालकृष्णन पर क्यों हुआ एससी-एसटी ऐक्ट में केस, उन पर क्या आरोप

इन्फोसिस के को-फाउंडर एस.के. गोपालकृष्णन और इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ साइंस के पूर्व डायरेक्टर बालाराम समेत 18 लोगों के खिलाफ एससी-एसटी ऐक्ट में केस दर्ज हुआ है। बेंगलुरु के सदाशिव नगर पुलिस थाने में केस फाइल हुआ है। शहर की सेशन कोर्ट के आदेश पर दर्ज हुई एफआईआर में एक शख्स ने आरोप लगाया है कि उसे हनी ट्रैप के फर्जी केस में फंसाया गया था। इसके बाद उसे इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ साइंस की नौकरी से हटा दिया गया। गोपालकृष्णन इसी संस्थान में बोर्ड ऑफ ट्रस्टीज के मेंबर रहे हैं। शिकायत करने वाले दुर्गप्पा बोवी जनजाति समुदाय से ताल्लुक रखते हैं। दुर्गप्पा का कहना है कि वह IIS के सेंटर फॉर सस्टेनेबल टेक्नोलॉजी में फैकल्टी मेंबर थे।

उनका दावा है कि 2014 में उन्हें गलत तरीके से हनी ट्रैप केस में फंसाया गया और फिर उसके बहाने से नौकरी से ही हटा दिया गया। यही नहीं दुर्गप्पा का आरोप है कि उन्हें जातिगत गालियां दी गईं और धमकाया भी गया। इस केस में गोविंदन रंगराजन, श्रीधर वारियर, संध्या विश्ववरैया, हरि केवीएस, दासप्पा, बलराम पी, हेमलता महीसी, के. चट्टोपाध्याय और प्रदीप डी. सावकर शामिल हैं। अब तक इस मामले में आईआईएस या फिर गोपालकृष्णन की ओर से कोई बयान नहीं आया है। माना जा रहा है कि इस मामले में पुलिस की ओर से उन लोगों को पूछताछ के लिए तलब किया जा सकता है, जिनके नाम एफआईआर में दर्ज कराए गए हैं।

कौन हैं गोपालकृष्णन और इन्फोसिस से क्या नाता

नारायणमूर्ति के नेतृत्व वाली कंपनी में गोपालकृष्णन 2011 से 2014 तक वाइस चेयरमैन रह चुके हैं। इसके अलावा 2007 से 2011 तक वह सीईओ और एमडी भी थे। वह कंपनी के सह-संस्थापकों में से एक रहे हैं। आईटी इंडस्ट्री का वह जाना-माना नाम हैं। 2013-14 में तो वह उद्योग जगत की बड़ी संस्था कनफेडरेशन ऑफ इंडियन इंडस्ट्री के प्रेसिडेंट चुने गए थे। इसके अलावा 2014 में दावोस में आयोजित वर्ल्ड इकनॉमिक फोरम में कारोबारी समुदाय का नेतृत्व किया था। उन्हें 2011 में भारत सरकार की ओर से पद्म भूषण सम्मान से भी नवाजा गया था। फिजिक्स में मास्टर डिग्री रखने वाले गोपालकृष्णन का कई दशकों का करियर है और उनके लिए ऐसे केस में नाम आना चिंताएं बढ़ाने वाला है। हालांकि वह इस मामले में कोई मुख्य आरोपी नहीं हैं।

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