Hindi Newsदेश न्यूज़Why bhagat singh rajguru sukhdev not shaheed in govt records us organisation appeals

भगत सिंह, सुखदेव, राजगुरु को क्यो नहीं मिला शहीद का दर्जा? अमेरिकी संगठन ने उठाई आवाज

  • आजादी के 77 साल गुजर जाने के बाद भी भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव जैसे क्रांतिकारी शहीदों को सरकारी रिकॉर्ड में शहीद का दर्जा नहीं दिया गया है। इसको लेकर अब उत्तर अमेरिकी संगठन ने आवाज उठाई है।

Ankit Ojha लाइव हिन्दुस्तानFri, 31 Jan 2025 07:55 PM
share Share
Follow Us on
भगत सिंह, सुखदेव, राजगुरु को क्यो नहीं मिला शहीद का दर्जा? अमेरिकी संगठन ने उठाई आवाज

देश की स्वतंत्रता के लिए बलिदान देने वाले शहीद भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव को सरकारी रिकॉर्ड में अब तक शहीद का दर्जा नहीं दिया गया है। इसको लेकर अकसर मांग उठती ही रहती है। अब उत्तर अमेरिकी पंजाबी एसोसिएशन (NAPA) ने स्वतंत्रता सेनानी भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव को शहीद का दर्जा देने की केंद्र से अपील की।

शुक्रवार को यहां एक बयान में कहा गया कि केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह को लिखे पत्र में, नापा के कार्यकारी निदेशक सतनाम सिंह चाहल ने इस बात पर जोर दिया कि देश के इन सबसे प्रसिद्ध क्रांतिकारियों को यह दर्जा काफी समय से लंबित है। बयान के मुताबिक चाहल ने कहा, ‘इन स्वतंत्रता सेनानियों ने भारत की स्वतंत्रता के लिए अपना बलिदान दिया, फिर भी उन्हें भारत सरकार ने आधिकारिक रूप से शहीद के रूप में मान्यता नहीं दी है। उनके अदम्य साहस और राष्ट्र के प्रति प्रतिबद्धता को सम्मानित किया जाना चाहिए।’ उन्होंने कहा, ‘उनके असीम योगदान के बावजूद, उनके बलिदान को शहीद का दर्जा के साथ औपचारिक रूप से स्वीकार नहीं किया गया है।’

क्यों शहीद नहीं घोषित किए गए क्रांतिकारी

आजादी के बाद से सरकारें बदलती रहीं लेकिन कोई भी सरकर अब तक महान क्रांतिकारी भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरु को शहीद का दर्जा नहीं दे पाईं। जब एक आरटीआई डालकर इस विषय में गृह मंत्रालय से जानकारी मांगी गई थी तो जवाब मिला था कि इसपर काम चल रहा है। साल 2013 में जब यह मुद्दा संसद में उठा तो बीजेपी ने भी इसका समर्थन किया था। वहीं कांग्रेस ने जवाब दिया था कि सरकार उन्हें शहीद मानती है और शहीद का दर्जा देती है। इसके बाद भी रिकॉर्ड्स में कोई सुधार नहीं किया गया।

2016 में जब बीजेपी की सरकार आई तब भी स्थिति वही थी। आरटीआई के जवाब में कहा गया कि इससे संबंधित कोई रिकॉर्ड नहीं है। इसके बाद पीएमओ में डाली गई आरटीआई गृह मंत्रालय को रिफर कर दी गई। जानकारों का कहना है कि भगत सिंह से सियासी फायदा ना होने की वजह से किसी सरकार ने इसे गंभीरता से नहीं लिया। इसमें कोई भी तकनीकी दिक्कत नहीं है। वहीं अंग्रेज सरकार भगत सिंह को आतंकी मानती थी। आजादी के तत्काल बाद उन्हें शहीद घोषित करने की हिम्मत नहीं दिखाई गई। वहीं बाद में भी इस मामले पर गंभीरता से काम नहीं हुआ।

(भाषा से इनपुट्स के साथ)

अगला लेखऐप पर पढ़ें