1917 का चंपारण सत्याग्रह, मन की बात में पीएम मोदी ने बताया ऐतिहासिक महत्व
पीएम मोदी ने मन की बात में 1917 में हुए चंपारण सत्याग्रह का भी जिक्र किया। पीएम मोदी ने बताया कि गांधी जी के नेतृत्व में हुए इस आंदोलन ने आजादी की लड़ाई में अहम रोल निभाया।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपनी मासिक रेडियो कार्यक्रम 'मन की बात' में पहलगाम आतंकी हमले से लेकर 1917 के चंपारण सत्याग्रह का जिक्र किया। पीएम मोदी ने बताया कि अप्रैल महीने में किए गए इस सत्याग्रह का ऐतिहासिक महत्व है। उन्होंने बताया कि इस आंदोलन ने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम की दिशा को एक नया मोड़ दिया था।
इससे पहले मन की बात में पीएम मोदी ने पहलगाम आतंकी हमले पर देशवासियों को एक बार फिर आश्वस्त किया कि न्याय किया जाएगा और इस हमले के पीछे किसी भी आतंकी को नहीं छोड़ा जाएगा। पीएम मोदी ने कहा कि इस घटना ने हर किसी का दिल दुखी किया है। दुश्मनों को विकास रास नहीं आया। यह एक कायराना हरकत थी, जिसके किसी भी कीमत में बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।
चंपारण सत्याग्रह का जिक्र
पीएम मोदी ने अपने संबोधन में आगे चंपारण सत्याग्रह का भी जिक्र किया। पीएम मोदी ने कहा कि अप्रैल महीने में हुए इस सत्याग्रह को महात्मा गांधी के नेतृत्व में हुआ था। उन्होंने ब्रिटिश शासकों द्वारा बीमार किसानों के शोषण के खिलाफ आवाज उठाई थी। यह सत्याग्रह भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन के लिए एक अहम पड़ाव साबित हुआ और महात्मा गांधी के नेतृत्व में सत्य और अहिंसा के सिद्धांतों को लोकप्रिय बनाने का काम किया।
नील की खेती
पीएम मोदी ने आगे बताया कि इस सत्याग्रह को लेकर देश के प्रथम राष्ट्रपति राजेंद्र प्रसाद ने एक किताब लिखी थी। हर युवा को यह किताब पढ़नी चाहिए। दरअसल, उस वक्त अंग्रेजों द्वारा चंपारण के किसानों से जबरदस्ती नील की खेती करवाई जाती थी, जिसमें उन्हें बहुत कम मूल्य पर नील बेचने के लिए मजबूर किया जाता था। इसके साथ ही, इन किसानों को अत्यधिक कर और शोषण का सामना करना पड़ता था।
गांधी का प्रभाव
महात्मा गांधी को चंपारण में किसानों के शोषण की जानकारी मिली और उन्होंने वहां जाकर किसानों की मदद करने का निर्णय लिया। गांधी जी के नेतृत्व में इस आंदोलन की शुरुआत हुई, और किसानों के अधिकारों के लिए उन्होंने सत्याग्रह किया।
गांधी जी ने सत्याग्रह के द्वारा ब्रिटिश अधिकारियों के सामने किसानों की समस्याओं को रखा। उन्होंने अहिंसा और असहमति के शांतिपूर्ण तरीकों से आंदोलन को नेतृत्व किया। गांधी जी ने किसानों की स्थिति का अध्ययन किया और अधिकारियों को यह समझाया कि वे नील की खेती करने के लिए मजबूर नहीं किए जा सकते हैं।
अंग्रेजो को झुकना पड़ा
इस सत्याग्रह का परिणाम यह हुआ कि ब्रिटिश सरकार ने चंपारण के किसानों के साथ हो रहे अन्याय को स्वीकार किया और किसानों को कुछ राहत प्रदान की। इस आंदोलन ने महात्मा गांधी को भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में एक प्रमुख नेता के रूप में स्थापित किया।