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तुर्की-पाकिस्तान के गहरे हो रहे संबंध, भारत पर इसका क्या प्रभाव? एर्दोगन की यात्रा पर नजर

  • तुर्की की कश्मीर पर नीति में बदलाव हो रहा है, वहीं पाकिस्तान के साथ उसके बढ़ते रक्षा संबंध भारत के लिए चिंता का कारण बने हुए हैं। भारत को तुर्की के इस नए रुख और पाकिस्तान के साथ उसके संबंधों पर बारीकी से नजर रखनी होगी।

Himanshu Jha लाइव हिन्दुस्तानWed, 12 Feb 2025 10:17 AM
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तुर्की-पाकिस्तान के गहरे हो रहे संबंध, भारत पर इसका क्या प्रभाव? एर्दोगन की यात्रा पर नजर

तुर्की के राष्ट्रपति रेसेप तैयप एर्दोगन तीन एशियाई देशों की चार दिवसीय यात्रा के लिए निकल चुके हैं। उनका अंतिम ठिकाना पाकिस्तान है। इसे पहले वे मलेशिया और इंडोनेशिया का दौरा कर चुके हैं। भारत की नजर भी उनकी इस यात्रा पर बनी हुई है। ऐसा इसलिए क्योंकि एर्दोगन का यह दौरा ऐसे समय में हो रहा है जब तुर्की और पाकिस्तान कई क्षेत्रों में अपने संबंधों को मजबूत कर रहे हैं। दोनों देश विशेष रूप से रक्षा और आतंकवाद निरोधक प्रयासों को लेकर डील करने वाले हैं। हाल ही में पाकिस्तान ने तुर्की से नौसैनिक जहाज खरीदने के लिए एक समझौता किया है।

तुर्की ने पाकिस्तान की सैन्य क्षमताओं को बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। तुर्की ने पाकिस्तान को T129 ATAK हेलीकॉप्टर, MILGEM-क्लास कोरवेट और विभिन्न रक्षा प्रणालियां प्रदान की हैं। इसके अलावा, तुर्की की रक्षा कंपनियां (ASELSAN और Roketsan) पाकिस्तान के साथ मिलकर उन्नत हथियार के विकास में शामिल हैं।

दोनों देशों के रिश्ते पर भारत की नजर बनी हुई है। पाकिस्तान पर आतंकवादी नेटवर्कों को संरक्षण देने का आरोप है। यदि तुर्की पाकिस्तान के आतंकवाद निरोधक तंत्र को मजबूत करने में भूमिका निभाता है तो यह सकारात्मक परिणाम ला सकता है। हालांकि यदि यह सहयोग उन तत्वों को शरण देने तक बढ़ता है जिन्हें भारत खतरा मानता है तो तनाव बढ़ सकते हैं।

BRICS में शामिल होना चाहता है तुर्की

तुर्की की विदेश नीति में एक और बड़ा बदलाव ब्रिक्स (BRICS) में शामिल होने की कोशिश है। सितंबर में 79वें संयुक्त राष्ट्र महासभा में अपने संबोधन में एर्दोगन ने कश्मीर का उल्लेख नहीं किया। आपको बता दें कि पिछले भाषणों में उन्होंने अक्सर इसका जिक्र किया है। तुर्की भारत के साथ व्यापारिक संबंधों को मजबूती देने की कोशिश में भी है।

भारत के लिए तुर्की का ब्रिक्स में शामिल होना एक चुनौती और अवसर दोनों हो सकता है। एक ओर जहां इससे एर्दोगन को पाकिस्तान के प्रति अपने रुख को हल्का करना पड़ सकता है, वहीं दूसरी ओर तुर्की की नाटो सदस्यता और चीन के साथ बढ़ते रिश्ते ब्रिक्स के भीतर जटिलताएं पैदा कर सकते हैं।

भारत के लिए क्यों चिंता

भारत के लिए तुर्की-पाकिस्तान के रक्षा संबंधों का गहरा होना चिंता का विषय है। तुर्की के पाकिस्तान को नौसैनिक जहाजों की आपूर्ति और संयुक्त सैन्य अभ्यास एक गहरे रणनीतिक मेलजोल को दर्शाते हैं। तुर्की की रक्षा उद्योग द्वारा पाकिस्तान को यूएवी तकनीक की आपूर्ति, जिसे विषम युद्ध परिस्थितियों में उपयोग किया जा सकता है, से भी भारत की सुरक्षा चिंताएं बढ़ी हैं।

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