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पाक से बात बेहद मुश्किल, मोदी सरकार के समर्थन में उतरे शशि थरूर; बोले- नहीं भूल सकते 26/11

  • कांग्रेस के वरिष्ठ नेता ने मोदी सरकार का समर्थन करते हुए कहा कि पाकिस्तान के साथ निर्बाध बातचीत संभव नहीं है। उन्होंने कहा कि मुंबई और पठानकोट के आतंकी हमले को भुलाया नहीं जा सकता।

Ankit Ojha पीटीआईTue, 11 Feb 2025 08:33 AM
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पाक से बात बेहद मुश्किल, मोदी सरकार के समर्थन में उतरे शशि थरूर; बोले- नहीं भूल सकते 26/11

कांग्रेस के सीनियर नेता और तिरुवनंतपुरम से सांसद शशि थरूर ने कहा है कि पाकिस्तान के साथ अब बिना किसी बाधा के बातचीत संभव ही नहीं है। उन्होंने कहा कि 26/11 के मुंबई हमले जैसे घावों को भुलाया नहीं जा सकता। अब यह जताना कि जैसे कुछ हुआ ही नहीं है, बेहद मुश्किल है। वहीं जब सरकार ने पाकिस्तान से बात करने का मन बनाया भी था तो मुंबई में आतंकी हमला हो गया। ऐसे में विदेश मंत्री एस जयशंकर ने सही ही कहा था कि पाकिस्तान के साथ अब साधारण तरीके से बात नहीं हो सकती है।

शशि थरूर ने यह भी कहा कि पाकिस्तान के लोगों के साथ पीपल टु पीपल इंटरैक्शन बढ़ाना चाहिए। पाकिस्तानियों को ज्यादा से ज्यादा वीजा देना चाहिए। थरूर ने कहा कि जो भी लोग पाकिस्तान से भारत आते हैं, उन्हें हमारे देश से प्यार हो जाता है। फॉरेन करेस्पॉडेंट्स क्लब में एक पुस्तक के विमोचन के मौके पर शशि थरूर ने कहा कि बातचीत बंद कर देना भी नीति नहीं है। वहीं पाकिस्तान ने पठानकोट और मुंबई में जो छुरा घोंपा है उसे भी कभी नहीं भुलाया जा सकता है।

संसदीय समिति की एक पुरानी रिपोर्ट का हवाला देते हुए उन्होंने कहा कि अगर आप पाकिस्तान में भारत की छवि अच्छी करना चाहते हैं तो ज्यादा लोगों को वीजा देना होगा। हम लोगों ने ही कहा था कि रणनीतिक स्तर पर पाकिस्तान पर भरोसा नहीं किया जा सकता लेकिन पीपल टु पीपल रिलेशन को मजबूत करना जरूरी है। अगर भारत ऐसा करता है तो पाकिस्तान में भी भारत का समर्थन बढ़ेगा और शांति की मांग को लेकर वहां की आवाम आगे आएगी।

शशि थरूर ने कहा कि ऐसा कोई भी पाकिस्तानी नहीं है जो भारत आया हो और उसे हमारे देश से प्यार ना हुआ हो। पर्यटक, गायक, संगीतकार और खिलाड़ी भी कहते हैं कि वे भारत आना चाहत् हैं। उन्होंने कहा कि मौजूदा सरकार भी यही कहती है कि आतंकवाद और वार्ता साथ-साथ नहीं चल सकती। विदेश मंत्री एस जयशंकर ने भी कहा था कि पाकिस्तान के साथ विर्बाध वार्ता का समय खत्म हो चुका है। उन्होंने कहा कि कोई भी सरकार अगर सख्ती से इस मुद्दे को देखती है तो पाकिस्तान उसे वार्ता खत्म करने के लिए मजबूर कर देता है। उन्होंने कहा कि ऐसा भी नहीं हो सकता कि हमेशा के लिए बातचीत को खत्म करने का ऐलान कर दिया जाए। लेकिन पुराने मसलों को भुलाकर दोस्त की तरह बात करना भी संभव नहीं है।

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