655 पन्नों की रिपोर्ट, एक रात में कैसे पढ़ लेते; वक्फ बिल पर विपक्ष का वॉकआउट; कार्यवाही 10 मार्च तक स्थगित
- विपक्षी दलों ने वक्फ (संशोधन) विधेयक पर संयुक्त संसदीय समिति (JPC) की रिपोर्ट को लेकर तीखी नाराजगी जताई और सरकार पर संसदीय प्रक्रियाओं का उल्लंघन करने का आरोप लगाया।
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वक्फ (संशोधन) विधेयक को लेकर मचे घमासान के बीच लोकसभा की कार्यवाही बृहस्पतिवार को विपक्ष के वॉकआउट के बाद 10 मार्च तक के लिए स्थगित कर दी गई। इससे पहले केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने नया इनकम टैक्स बिल (I-T Bill) सदन में पेश किया। आज लोकसभा की कार्यवाही शुरू होने पर सदन में विपक्षी सदस्यों के हंगामे के बीच वक्फ संशोधन विधेयक संबंधी संसद की संयुक्त समिति की रिपोर्ट पेश की गई और वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने आयकर विधेयक, 2025 प्रस्तुत किया।
विपक्षी दलों ने वक्फ (संशोधन) विधेयक पर संयुक्त संसदीय समिति (JPC) की रिपोर्ट को लेकर तीखी नाराजगी जताई और सरकार पर संसदीय प्रक्रियाओं का उल्लंघन करने का आरोप लगाया। कांग्रेस सांसद गौरव गोगोई ने कहा, "655 पन्नों की रिपोर्ट पढ़ने के लिए हमें केवल एक रात दी गई... हमें अपनी आपत्तियां रखने का पर्याप्त समय नहीं मिला। यदि बैठक के मिनट्स को देखें, तो पाएंगे कि क्लॉज-दर-क्लॉज चर्चा नहीं हुई, जबकि यह सबसे महत्वपूर्ण प्रक्रिया होती है। इसे नजरअंदाज किया गया। अध्यक्ष किसके दबाव में काम कर रहे हैं? इसी के विरोध में हमने आज सदन से वाकआउट किया।"
असदुद्दीन ओवैसी का तीखा हमला
ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM) के सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने भी इस विधेयक का कड़ा विरोध किया। उन्होंने कहा, "यह बिल न केवल असंवैधानिक है और संविधान के अनुच्छेद 14, 15 और 29 का उल्लंघन करता है, बल्कि यह वक्फ संपत्तियों को बचाने के लिए नहीं, बल्कि उन्हें नष्ट करने और मुस्लिमों से छीनने के लिए लाया गया है... हम इस बिल की निंदा करते हैं।" उन्होंने आगे कहा कि लोकसभा अध्यक्ष ने आश्वासन दिया है कि 70% असहमति रिपोर्ट्स के संशोधित संस्करण में शामिल किए जाएंगी, लेकिन विपक्ष इसे पर्याप्त नहीं मान रहा है।
विपक्ष का रिएक्शन
सपा की सांसद डिंपल यादव ने कहा, "जिस तरह विपक्षी सदस्यों द्वारा दिए गए असहमति नोट को वक्फ संशोधन विधेयक में शामिल नहीं किया गया...सरकार मनमाने तरीके से यह विधेयक ला रही है। वे ध्यान भटकाने के लिए सत्र के आखिरी दिन विधेयक लेकर आए हैं।"
समाजवादी पार्टी के सांसद अवधेश प्रसाद ने वक्फ संशोधन विधेयक पर JPC रिपोर्ट के संबंध में कहा, "बिल के संबंध में जो हमारा सुझाव था वह पूरी तरह से अनदेखा किया गया है... आज देश के सामने किसानों और रोजगार की समस्या है... इन पर से ध्यान हटाने के लिए इस तरह का बिल लाया गया है। इस बजट में हमारे किसानों के लिए कुछ नहीं है... इस बजट पर चर्चा न हो इसलिए यह बिल लाया गया है... हमने इस बिल का विरोध ही नहीं बल्कि बहिष्कार भी किया है..."
ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के सदस्य मौलाना खालिद रशीद फिरंगी महली ने वक्फ (संशोधन) विधेयक पर JPC की रिपोर्ट को लेकर कहा, "हम वक्फ (संशोधन) विधेयक की मुखालफत करते हैं। हम चाहते हैं कि वक्फ विधेयक में संशोधन न किया जाए। विपक्ष के सांसदों ने भी अपनी आपत्तियां रखी थी। लेकिन उन्होंने रिपोर्ट में नहीं रखा गया।"
भाजपा सांसदों का रिएक्शन
भाजपा सांसद राजीव प्रताप रूडी ने कहा, “गृह मंत्री ने आज सदन में एक मानक स्थापित किया है। उन्होंने कहा कि विपक्ष को वक्फ को लेकर जो असहमति है उसे नियम अनुसार सदन के पटल पर जोड़ दिया जाए। स्पीकर ने उसे जोड़ दिया मैं समझता हूं कि लोकतंत्र में इतने बड़े दिल से गृह मंत्री ने ये संवाद किया। ये भारत के इतिहास में ना देखने को मिला था ना मिल सकता है। ये अपने आप में बड़ा कदम है।”
भाजपा सांसद रविशंकर प्रसाद ने कहा, "विपक्ष के लोगों को मैं विनम्रता से कहना चाहता हूं कि आप अपनी बात रख सकते हैं लेकिन आपकी बात मानी ही जाए, ये जरूरी नहीं है। अगर आपको अपनी बात मनवानी है तो जनता से वोट लेकर बहुमत में आएं... इस सच्चाई को अनदेखा नहीं किया जा सकता कि कई जगह वक्फ की ज़मीन पर मॉल और बाजार बने हुए हैं।"
विपक्ष के हंगामे के बीच वक्फ संबंधी संसदीय समिति की रिपोर्ट लोकसभा में पेश
वक्फ (संशोधन) विधेयक पर विचार करने वाली संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) की रिपोर्ट बृहस्पतिवार को विपक्षी सदस्यों के भारी हंगामे के बीच लोकसभा के पटल पर रखी गई। समिति के अध्यक्ष जगदंबिका पाल ने रिपोर्ट को सदन के पटल पर रखा। साथ ही, उन्होंने समिति के समक्ष आए साक्ष्यों का रिकॉर्ड भी सदन में रखा।
इससे पहले, आज समिति की रिपोर्ट राज्यसभा के पटल पर भी रखी गई। विपक्षी सदस्यों का आरोप है कि उनकी असहमति को रिपोर्ट के साथ संलग्न नहीं किया गया है। गृह मंत्री अमित शाह ने लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला से आग्रह किया कि वह विपक्ष की आपत्तियों को जोड़ सकते हैं और इस पर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) को कोई आपत्ति नहीं है।
इस पर बिरला ने कहा कि कुछ सदस्यों ने उनसे मुलाकात की थी और उनके साथ जिन विषयों पर बात हुई है उन्हें रिपोर्ट के साथ संलग्न कर लिया गया है। विपक्षी सदस्यों ने विरोध जताते हुए सदन से वाकआउट कर दिया और कुछ देर बाद सदन में लौटे। विपक्षी सांसदों ने सरकार के खिलाफ नारेबाजी की, तो सत्तापक्ष के कुछ सदस्यों ने रिपोर्ट पेश किए जाने के बाद ‘भारत माता की जय’ के नारे लगाए।
संसद के वर्तमान बजट सत्र के पहले चरण का आज आखिरी कामकाजी दिन था। समिति की रिपोर्ट गत 30 जनवरी को लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला को सौंपी गई थी। समिति की 655 पृष्ठ वाली इस रिपोर्ट को बहुमत से स्वीकार किया गया था, जिसमें भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के सदस्यों द्वारा दिए गए सुझाव समाहित हैं।
विपक्षी सदस्यों ने इसे असंवैधानिक करार दिया था और आरोप लगाया था कि यह कदम वक्फ बोर्डों को बर्बाद कर देगा। भाजपा सदस्यों ने इस बात पर जोर दिया था कि पिछले साल अगस्त में लोकसभा में पेश किया गया विधेयक वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन में आधुनिकता, पारदर्शिता और जवाबदेही लाने का प्रयास करेगा। समिति ने भाजपा सदस्यों द्वारा प्रस्तावित सभी संशोधनों को स्वीकार कर लिया था और विपक्षी सदस्यों के संशोधनों को खारिज कर दिया था।
समिति में शामिल विपक्षी सदस्यों ने वक्फ (संशोधन) विधेयक के सभी 44 प्रावधानों में संशोधन का प्रस्ताव रखा था और दावा किया था कि समिति की ओर से प्रस्तावित कानून विधेयक के ‘‘दमनकारी’’ चरित्र को बरकरार रखेगा और मुस्लिमों के धार्मिक मामलों में हस्तक्षेप करने का प्रयास करेगा। वक्फ (संशोधन) विधेयक, 2024 को केंद्रीय अल्पसंख्यक कार्य मंत्री किरेन रीजीजू द्वारा लोकसभा में पेश किए जाने के बाद आठ अगस्त, 2024 को संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) को भेजा गया था। विधेयक का उद्देश्य वक्फ संपत्तियों को विनियमित और प्रबंधित करने से जुड़े मुद्दों और चुनौतियों का समाधान करने के लिए वक्फ अधिनियम, 1995 में संशोधन करना है।