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युद्ध का डर! सऊदी के मंत्री ने भारत-पाकिस्तान को लगाया फोन, ईरान कर रहा मध्यस्थता की पेशकश

22 अप्रैल को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले में 26 लोग मारे गए थे। इस हमले की जिम्मेदारी द रेसिस्टेंस फ्रंट ने ली, जिसे पाकिस्तान स्थित प्रतिबंधित आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा का सहयोगी माना जाता है।

Amit Kumar लाइव हिन्दुस्तान, नई दिल्लीSat, 26 April 2025 06:29 AM
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युद्ध का डर! सऊदी के मंत्री ने भारत-पाकिस्तान को लगाया फोन, ईरान कर रहा मध्यस्थता की पेशकश

जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव चरम पर है। इस बीच सऊदी अरब और ईरान ने राजनयिक हस्तक्षेप की पहल की है। सऊदी अरब के विदेश मंत्री प्रिंस फैसल बिन फरहान ने शुक्रवार को भारत और पाकिस्तान के विदेश मंत्रियों से फोन पर बात की, जबकि ईरान ने दोनों देशों के बीच मध्यस्थता की पेशकश की है। यह कदम दोनों परमाणु-संपन्न पड़ोसियों के बीच तनाव को कम करने और क्षेत्रीय स्थिरता सुनिश्चित करने के उद्देश्य से उठाया गया है।

पहलगाम हमले ने बढ़ाया तनाव

पिछले मंगलवार 22 अप्रैल को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले में 26 लोग मारे गए थे। इस हमले की जिम्मेदारी द रेसिस्टेंस फ्रंट (टीआरएफ) ने ली, जिसे पाकिस्तान स्थित प्रतिबंधित आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा का सहयोगी माना जाता है। भारत ने हमले में "सीमा पार आतंकवाद" का आरोप लगाते हुए पाकिस्तान के खिलाफ कई कड़े कदम उठाए, जिनमें 1960 के सिंधु जल समझौते को निलंबित करना, अटारी-वाघा सीमा पर इंटीग्रेटेड जांच चौकी बंद करना, और पाकिस्तानी नागरिकों के वीजा रद्द करना शामिल है। भारत ने पाकिस्तानी उच्चायोग के कर्मचारियों की संख्या भी 30 तक सीमित करने का आदेश दिया है। जवाब में, पाकिस्तान ने भारतीय विमानों के लिए अपने हवाई क्षेत्र को बंद कर दिया, भारत के साथ व्यापार निलंबित कर दिया, और भारतीय सैन्य राजनयिकों को निष्कासित कर दिया। पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ने चेतावनी दी कि सिंधु जल समझौते में कोई बदलाव "युद्ध की कार्रवाई" माना जाएगा।

सऊदी अरब की राजनयिक पहल

सऊदी अरब के विदेश मंत्री प्रिंस फैसल बिन फरहान ने शुक्रवार को भारत के विदेश मंत्री एस. जयशंकर और पाकिस्तान के उपप्रधानमंत्री व विदेश मंत्री मोहम्मद इशाक डार से फोन पर बात की। जयशंकर ने सोशल मीडिया पर इस बातचीत का जिक्र करते हुए कहा, "सऊदी अरब के विदेश मंत्री फैसल बिन फरहान के साथ टेलीफोन पर बात हुई। पहलगाम आतंकी हमले और इसके सीमा पार संबंधों पर चर्चा की।" वहीं, पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय के एक बयान में कहा गया कि डार ने सऊदी मंत्री को भारत के एकतरफा कदमों के जवाब में पाकिस्तान की राष्ट्रीय सुरक्षा समिति द्वारा लिए गए फैसलों की जानकारी दी। सऊदी अरब का यह हस्तक्षेप कोई नया नहीं है। 2019 में पुलवामा हमले के बाद भी सऊदी अरब और संयुक्त अरब अमीरात ने भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव कम करने के लिए मध्यस्थता की थी।

ईरान की मध्यस्थता की पेशकश

ईरान के विदेश मंत्री सेयेद अब्बास अराघची ने शुक्रवार को भारत और पाकिस्तान के बीच मध्यस्थता की पेशकश की। ईरान के विदेश मंत्री सैयद अब्बास अराघची ने सोशल मीडिया पर एक पोस्ट में कहा, ‘‘भारत और पाकिस्तान ईरान के भाईचारे वाले पड़ोसी हैं, जिनके बीच सदियों पुराने सांस्कृतिक और सभ्यतागत संबंध हैं। अन्य पड़ोसियों की तरह, हम उन्हें अपनी सर्वोच्च प्राथमिकता मानते हैं।" अराघची ने कहा कि तेहरान इस कठिन समय में दोनों के बीच बेहतर समझ के लिए इस्लामाबाद और नई दिल्ली में अपने कार्यालयों का उपयोग करने के लिए तैयार है।

अराघची ने फारसी कवि सादी की पंक्तियों का उल्लेख करते हुए शांति और एकजुटता का संदेश दिया: "मानव एक ही आत्मा और सार से बने हैं; यदि एक को दर्द होता है, तो बाकी भी बेचैन रहते हैं।" ईरान का यह कदम क्षेत्र में उसकी तटस्थ स्थिति और दोनों देशों के साथ उसके मजबूत व्यापारिक, ऊर्जा और सांस्कृतिक संबंधों को दर्शाता है।

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अंतरराष्ट्रीय चिंता और प्रतिक्रियाएं

पहलगाम हमले और उसके बाद भारत-पाक तनाव ने वैश्विक समुदाय का ध्यान आकर्षित किया है। संयुक्त राष्ट्र के महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने दोनों देशों से संयम बरतने और बातचीत के जरिए समाधान निकालने की अपील की है। अमेरिका की राष्ट्रीय खुफिया निदेशक तुलसी गबार्ड ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर हमले में भारत के साथ एकजुटता व्यक्त की और आतंकियों को पकड़ने में समर्थन का आश्वासन दिया।

क्षेत्रीय स्थिरता पर खतरा

भारत और पाकिस्तान, दोनों परमाणु हथियारों से लैस देश हैं, और उनके बीच बढ़ता तनाव दक्षिण एशिया में स्थिरता के लिए खतरा बन सकता है। पहलगाम हमला 2019 के बाद से जम्मू-कश्मीर में सबसे घातक हमला है, जिसने दोनों देशों के बीच पहले से ही तनावपूर्ण संबंधों को और गंभीर बना दिया है।

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