'वन नेशन वन इलेक्शन' को मोदी कैबिनेट ने दी मंजूरी, संसद में जल्द हो सकता है पेश
- वन नेशन वन इलेक्शन को मोदी कैबिनेट ने मंजूरी दे दी है। अब इसे संसद में इसी शीतकालीन सत्र में पेश किया जा सकता है। वहीं, पहले से ही विपक्ष एक राष्ट्र एक चुनाव के खिलाफ है।
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मोदी कैबिनेट ने गुरुवार को वन नेशन वन इलेक्शन को मंजूरी दे दी है। अब संसद में जल्द ही इसे पेश भी किया जा सकता है। सूत्रों ने बताया कि केंद्र सरकार यह विधेयक संसद के इसी शीतकालीन सत्र में ही ला सकती है। पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के नेतृत्व में वन नेशन वन इलेक्शन के लिए एक कमेटी का गठन किया गया था, जिसकी रिपोर्ट हाल ही में सौंपी गई थी।
इसी रिपोर्ट के बाद अब मोदी सरकार ने कैबिनेट बैठक में इसे मंजूरी दे दी। सूत्रों की मानें तो संसद में इसे सभी दलों से सुझाव लेने के लिए जेपीसी का भी गठन किया जा सकता है। यह कानून देशभर में समय-समय पर होने वाले चुनावों को एक साथ करवाने के लिए लाया जा रहा है। इसके जरिए विभिन्न चुनावों पर बार-बार होने वाले बड़े खर्चे से भी बचा जा सकेगा। हालांकि, विपक्ष देशभर में एक साथ चुनाव करवाए जाने के खिलाफ है।
केंद्र के लिए वन नेशन वन इलेक्शन को लागू करना इतना आसान नहीं होने वाला, क्योंकि इसके लिए उसे संविधान में संशेधन करने के लिए कम से कम छह विधेयक लाने होंगे। इसके लिए सरकार को संसद में दो-तिहाई बहुमत की आवश्यकता होने वाली है। राज्यसभा में एनडीए के पास 112 और विपक्ष के पास 85 सीटें हैं, जबकि दो तिहाई बहुमत के लिए सरकार को 164 वोटों की जरूरत होगी। इसी तरह लोकसभा में भी एनडीए के पास 292 सीटें हैं, जबकि दो-तिहाई का आंकड़ा 364 का है।
इसी वजह से सरकार चाहती है कि सभी दलों से बैठकर इस पर चर्चा हो और फिर उसके बाद ही इसे पास करवाया जाए। सिर्फ नेताओं से ही नहीं, बल्कि देशभर के बुद्धिजीवियों और राज्यों की विधानसभाओं के अध्यक्षों के साथ भी वन नेशन वन इलेक्शन को लेकर चर्चा हो सकती है।