Hindi Newsदेश न्यूज़Nandlal Bose who decorated the pages of the Constitution had made 22 priceless paintings for 22 parts Amit Shah praised

संविधान के पन्नों को सजाने वाले नंदलाल बोस, 22 भागों के लिए बनाई थी 22 अनमोल पेंटिंग; शाह ने सदन में की जमकर तारीफ

  • आजादी के बाद जब संविधान सभा ने भारत के संविधान को सांस्कृतिक चित्रों से सजाने का फैसला लिया, तो यह जिम्मेदारी नंदलाल बोस को सौंपी गई। शांतिनिकेतन में अपने साथियों के साथ मिलकर उन्होंने 100 से ज्यादा चित्र बनाए, जिनमें से 22 को संविधान के पन्नों पर जगह दी गई।

Himanshu Tiwari लाइव हिन्दुस्तानTue, 17 Dec 2024 08:11 PM
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संविधान के पन्नों को सजाने वाले नंदलाल बोस, 22 भागों के लिए बनाई थी 22 अनमोल पेंटिंग; शाह ने सदन में की जमकर तारीफ

संसद के ऊपरी सदन राज्यसभा में केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने मंगलवार को संविधान पर चर्चा के दौरान नंदलाल बोस का जिक्र किया। अमित शाह ने बड़े गर्व से कहा, “संविधान के पन्नों को सजाने वाले महान कलाकार नंदलाल बोस ने इतिहास, धर्म, संस्कृति और परंपरा को अपनी कला में पिरोकर संविधान को एक जीवंत दस्तावेज बना दिया। उन्होंने चार वर्षों तक अथक परिश्रम कर इसे अपने जादुई रंगों से सजाया।” आखिर कौन थे नंदलाल बोस आइए जानते हैं।

कौन थे नंदलाल बोस?

नंदलाल बोस का जन्म बिहार के मुंगेर जिले में हुआ, लेकिन उनकी कला की जड़ें बंगाल में गहराई तक फैली हुई थीं। बचपन से ही उन्हें चित्रकला और मूर्तिकला का शौक था। अपनी इसी रुचि को निखारने के लिए उन्होंने कोलकाता के गवर्नमेंट आर्ट स्कूल में दाखिला लिया। वहां उनके गुरु अबनींद्रनाथ टैगोर ने उन्हें भारतीय कला के पुनरुत्थान आंदोलन से जोड़ा।

बनाई थी महात्मा गांधी की ऐतिहासिक तस्वीर

1930 में जब महात्मा गांधी ने दांडी मार्च शुरू किया, तो नंदलाल बोस ने गांधीजी की छड़ी लेकर चलते हुए एक ऐतिहासिक तस्वीर बनाई। यह चित्र न सिर्फ उनकी कला की पहचान बना, बल्कि आजादी की लड़ाई में सांस्कृतिक योगदान का भी प्रतीक बन गया। 1935 के लखनऊ अधिवेशन में गांधीजी ने उनसे कला और शिल्प की प्रदर्शनी आयोजित करने की गुजारिश की जो आजादी के आंदोलन में कला की अहमियत को उजागर करने का जरिया बनी।

नंदलाल बोस ने निभाई थी संविधान की सजावट में भूमिका

आजादी के बाद जब संविधान सभा ने भारत के संविधान को सांस्कृतिक चित्रों से सजाने का फैसला लिया, तो यह जिम्मेदारी नंदलाल बोस को सौंपी गई। शांतिनिकेतन में अपने साथियों के साथ मिलकर उन्होंने 100 से ज्यादा चित्र बनाए, जिनमें से 22 को संविधान के पन्नों पर जगह दी गई। इन चित्रों में सिंधु घाटी सभ्यता, रामायण, महाभारत, गौतम बुद्ध, महावीर, गुरु गोबिंद सिंह, रानी लक्ष्मीबाई, और शिवाजी महाराज जैसे भारतीय इतिहास के नायकों को उकेरा गया। हर पन्ने पर बनी उनकी कला ने भारतीय संस्कृति की गहरी झलक पेश की।

कला और योगदान के लिए मिला पद्मभूषण सम्मान

1954 में नंदलाल बोस को उनकी कला और योगदान के लिए पद्मभूषण से नवाजा गया। उनकी चित्रकृतियां न सिर्फ संविधान को सजाती हैं, बल्कि भारतीयता की एक अमिट कहानी भी सुनाती हैं। उनकी बनाई गई हर तस्वीर भारतीय सभ्यता और संस्कृति का आईना है।

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