राजस्थान तक पहुंचा किसान आंदोलन, 14 फरवरी से पहले क्यों तीन महापंचायतों का प्लान
- यह गांव चुरू में पड़ता है, जिसमें किसानों को जुटाने की तैयारी है और केंद्र सरकार पर दबाव बढ़ाने का प्लान है। यही नहीं किसानों की रतनपुरा में महापंचायत होने के बाद 12 फरवरी को खनौरी और 13 फरवरी को शंभू बॉर्डर पर मीटिंग होने वाली है। रतनपुरा की मीटिंग को आमरण अनशन कर रहे डल्लेवाल भी संबोधित करेंगे।
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हरियाणा और पंजाब को जोड़ने वाले शंभू और खनौरी बॉर्डर पर बीते कई महीनों से किसानों का आंदोलन चल रहा है। अब यह आंदोलन पंजाब और हरियाणा से आगे बढ़ते हुए राजस्थान तक पहुंच गया है। किसान संगठनों ने 11 जनवरी को रास्थान के रतनपुरा गांव में महापंचायत का आयोजन किया है, जिसमें हजारों किसानों को जुटाने की प्लानिंग चल रही है। यह गांव चुरू जिले में पड़ता है, जिसमें किसानों को जुटाने की तैयारी है और केंद्र सरकार पर दबाव बढ़ाने का प्लान है। यही नहीं किसानों की रतनपुरा में महापंचायत होने के बाद 12 फरवरी को खनौरी और 13 फरवरी को शंभू बॉर्डर पर मीटिंग होने वाली है। रतनपुरा की मीटिंग को आमरण अनशन कर रहे जगजीत सिंह डल्लेवाल भी वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए संबोधित करेंगे।
इन महापंचायतों का पूरा जिम्मा सरवन सिंह पंढेर उठा रहे हैं, जो किसान मजदूर मोर्चा के नेता हैं। उनका कहना है कि हम ज्यादा से ज्यादा किसानों को पंचायतों में बुला रहे हैं ताकि केंद्र सरकार पर दबाव बनाया जा सके। शंभू बॉर्डर पर फिलहाल किसानों का आंदोलन थोड़ा शांत है, जबकि खनौरी सीमा पर अब भी बड़ी संख्या में लोग डटे हुए हैं। यहीं पर जगजीत सिंह डल्लेवाल अनशन पर हैं। कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय के संयुक्त सचिव प्रिय रंजन भी यहीं पर 18 जनवरी को मिलने पहुंचे थे। उन्होंने जगजीत सिंह डल्लेवाल से मुलाकात की थी। इसके अलावा 14 फरवरी को उन्होंने चंडीगढ़ में मीटिंग के लिए आमंत्रित भी किया है।
माना जा रहा है कि इस मीटिंग से पहले ही किसान संगठन लगातार तीन महापंचायतें करना चाहते हैं ताकि केंद्र सरकार पर दबाव बनाया जा सके। आंदोलनकारी किसान संगठनों ने की मांग है कि एमएसपी की लीगल गारंटी पर कानून बनाया जाए। किसान नेता काका सिंह कोटरा और अभिमन्यु कोहर ने किसानों से कहा है कि वे बातचीत के बीच में सरकार पर दबाव भी बनाए रखें। इसलिए बड़ी संख्या में महापंचायतों में लोगों का जुटना जरूरी है। उन्होंने कहा, 'यदि हम यह सोचेंगे कि सरकार से बातचीत अब शुरू हो गई है और ढीले पड़ जाएं तो यह गलत होगा। उन्होंने कहा कि हमें लगातार दबाव बनाए रखना होगा।' किसान नेताओं की कोशिश यह भी है कि तमाम संगठनों के नेताओं को एक मंच पर लाया जाए। इस आंदोलन को लेकर किसान नेताओं के बीच भी मतभेद रहे हैं।