स्मार्टफोन और अन्य इलेक्ट्रॉनिक्स पर ट्रंप का यू-टर्न, भारत को फायदा पर चुनौतियां भी
- ट्रंप के इलेक्ट्रॉनिक्स आइटम को टैरिफ से बाहर रखने के फैसले से Apple, Samsung, Xiaomi जैसी दिग्गज कंपनियों को भारी राहत मिल सकती है। चीन को तुरंत फायदा तो मिलेगा, लेकिन भारत के लिए भी ढेरों अवसर हैं।

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने एक चौंकाने वाला लेकिन बहुप्रतीक्षित फैसला लेते हुए स्मार्टफोन, लैपटॉप और अन्य प्रमुख इलेक्ट्रॉनिक्स पर लगाए गए रेसिप्रोकल टैरिफ को हटा दिया है। यह बदलाव 5 अप्रैल 2025 से लागू हो गया है। इस फैसले ने वैश्विक टेक जगत में राहत की लहर दौड़ गई है, खासकर उन कंपनियों के लिए जिनकी मैन्युफैक्चरिंग सप्लाई चीन और भारत जैसे देशों से जुड़ी है। Apple, Samsung, Xiaomi जैसी दिग्गज कंपनियों को इससे भारी राहत मिल सकती है। जहां चीन को तात्कालिक रूप से बड़ा व्यापारिक लाभ मिलने की उम्मीद है, वहीं भारत के लिए यह एक रणनीतिक अवसर है, मैन्युफैक्चरिंग में अपनी पकड़ मजबूत करने और अमेरिकी कंपनियों के लिए वैकल्पिक सप्लायर बनने का।
फैसला क्या है
सबसे पहले डोनाल्ड ट्रंप के फैसले पर जाएं तो अमेरिका ने शनिवार को ऐलान किया कि 5 अप्रैल 2025 के बाद आयात होने वाले स्मार्टफोन, कंप्यूटर और चिप-आधारित उत्पादों को टैरिफ से छूट दी है। कंपनियां जो पहले ही टैरिफ चुका चुकी हैं, वे रिफंड के लिए आवेदन कर सकती हैं। इसका सबसे बड़ा लाभ Apple, Samsung, Xiaomi जैसी कंपनियों को होगा, जिनकी सप्लाई चेन चीन और भारत दोनों से जुड़ी है।
चीन को तुरंत राहत लेकिन नुकसान भी
अमेरिका के इस कदम से चीन को तुरंत राहत मिलेगी। ऐसा इसलिए, क्योंकि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने चीन से आयातित वस्तुओं पर टैरिफ बढ़ाकर 145% कर दिया है। इसके जवाब में चीन ने अमेरिका से आयातित वस्तुओं पर टैरिफ बढ़ाकर 125% कर दिया है। इलेक्ट्रॉनिक्स पर ट्रंप सरकार के कदम से चीन से अमेरिका को होने वाले टेक निर्यात में सीधा बढ़ावा होगा। अमेरिकी बाजार में कम कीमत पर चीनी प्रोडक्ट्स की वापसी संभव। Foxconn, Xiaomi, Lenovo जैसी कंपनियां पहले से चीन में बड़े पैमाने पर प्रोडक्शन करती हैं।
दूसरी ओर अमेरिका की टैरिफ नीति अब भी अनिश्चित है, लेकिन कभी भी वापसी संभव है। अमेरिका का सुरक्षा-आधारित नियम अब भी लागू है। लंबी अवधि में अमेरिका "चीन पर निर्भरता घटाने" के मूड में है।
भारत के लिए अवसर लेकिन सावधानी जरूरी
इलेक्ट्रॉनिक्स आइटम्स पर टैरिफ छूट से भारत को भी फायदा मिलेगा। दरअसल, Apple और Samsung जैसे ब्रांड्स का भारत में लोकल मैन्युफैक्चरिंग तेजी से बढ़ा है। अगर भारत गुणवत्ता, स्केल और समय पर डिलीवरी सुनिश्चित कर सके, तो अगली लहर यहीं से निकल सकती है। भारत की PLI स्कीम के तहत निवेश को अब भी फायदा मिल सकता है।
चुनौतियां क्या हैं
अल्पकालिक रूप से चीन की कीमतों से टक्कर लेना कठिन हो सकता है। इलेक्ट्रॉनिक्स सेक्टर में भारत की सप्लाई चेन अभी भी पूरी तरह मच्योर नहीं है। इसमें नीति स्थिरता और लॉजिस्टिक्स में सुधार जरूरी है।
एक्सपर्ट्स की बात करें वे इस फैसले को भारत के लिए रोशनी की किरण के रूप में देखते हैं। अंतरराष्ट्रीय व्यापार विशेषज्ञ प्रो. सीमा बंसल का कहना है, "इस फैसले से चीन को तुरंत लाभ हुआ है, लेकिन भारत के लिए अब भी अवसर खुले हैं, अगर वह तेजी से निर्णय ले।" उधर, टेक्नोलॉजी विश्लेषक राहुल खन्ना का कहना है, "Apple जैसी कंपनियां पहले ही भारत में निवेश कर रही हैं। अगर टैरिफ दोबारा लागू हुए, तो भारत सबसे बड़ा विकल्प होगा।"