Hindi Newsदेश न्यूज़Can not tolerate Tampering in name of NEP Why education ministers of 6 states open front against central Government

NEP के नाम पर बर्दाश्त नहीं छेड़छाड़, 6 राज्यों के शिक्षा मंत्रियों ने केंद्र के खिलाफ क्यों खोला मोर्चा

एक संयुक्त बयान में सभी छह राज्यों के शिक्षा मंत्रियों ने कहा कि राज्य सरकारों को राज्य के सरकारी विश्वविद्यालयों में कुलपतियों की नियुक्ति में महत्वपूर्ण भूमिका दी जानी चाहिए।

Pramod Praveen भाषा, बेंगलुरुWed, 5 Feb 2025 09:24 PM
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NEP के नाम पर बर्दाश्त नहीं छेड़छाड़, 6 राज्यों के शिक्षा मंत्रियों ने केंद्र के खिलाफ क्यों खोला मोर्चा

कांग्रेस ने विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (UGC) के मसौदा नियमों को लेकर केंद्र पर निशाना साधते हुए बुधवार को कहा कि यह दलील कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) के अनुपालन के लिए नियमों को अद्यतन किया गया है तार्किक प्रतीत नहीं होती और इसे वापस लिया जाना चाहिए। कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने कहा कि आज बेंगलुरु में कर्नाटक के उच्च शिक्षा मंत्री एम सी सुधाकर द्वारा राज्यों के उच्च शिक्षा मंत्रियों का सम्मेलन आयोजित किया गया। उसमें कर्नाटक, तेलंगाना, केरल, तमिलनाडु, हिमाचल प्रदेश, और झारखंड के छह मंत्रियों ने यूजीसी के दमनकारी मसौदा नियमावली, 2025 के खिलाफ 15 सूत्रीय प्रस्ताव अपनाया है।

उन्होंने कहा, ‘‘संघवाद के संवैधानिक सिद्धांत पवित्र हैं और इनका उलंघन नहीं किया जा सकता है। उच्च शिक्षा की गुणवत्ता शिक्षा मंत्रालय के मुख्य लक्ष्यों में से एक है। उनका यह तर्क है कि नियमों को NEP-2020 के अनुरूप बनाने के लिए संशोधित किया गया है। परंतु नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 संघवाद और गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के दो सिद्धांतों को पार नहीं कर सकती है। इस नए मसौदा नियमों को तुरंत वापस लिया जाना चाहिए।’’

बेंगलुरु में सम्मेलन का आयोजन बुधवार को कर्नाटक सरकार के उच्च शिक्षा विभाग द्वारा किया गया था। इसमें विश्वविद्यालयों और महाविद्यालयों में शिक्षकों और शैक्षणिक कर्मचारियों की नियुक्ति और पदोन्नति के लिए विश्वविद्यालय अनुदान मसौदा के विभिन्न प्रावधानों और उच्च शिक्षा विनियमन, 2025 में मानकों के रखरखाव के उपायों और NEP-2020 के कार्यान्वयन के आधार पर उच्च शिक्षा संस्थानों की ग्रेडिंग पर चर्चा की गई।

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एक संयुक्त बयान में उन्होंने कहा कि राज्य सरकारों को राज्य के सरकारी विश्वविद्यालयों में कुलपतियों की नियुक्ति में महत्वपूर्ण भूमिका दी जानी चाहिए। उन्होंने कहा कि यूजीसी के मसौदा नियमों में राज्य अधिनियमों के तहत स्थापित सार्वजनिक विश्वविद्यालयों के कुलपतियों की नियुक्ति में राज्य सरकारों की कोई भूमिका नहीं बताई गई है और इस प्रकार, संघीय व्यवस्था में राज्य के वैध अधिकारों का हनन होता है। मंत्रियों ने कहा, ‘‘ये नियम कुलपतियों के चयन के लिए खोज-सह-चयन समितियों के गठन में राज्यों के अधिकारों को गंभीर रूप से सीमित करते हैं।’’

उन्होंने कहा कि गैर-अकादमिक व्यक्तियों को कुलपति नियुक्त करने संबंधी प्रावधान को वापस लेने की आवश्यकता है। बयान में कहा गया है कि कुलपतियों की नियुक्ति के लिए योग्यता, कार्यकाल और पात्रता पर पुनर्विचार की आवश्यकता है क्योंकि ये उच्च शिक्षा के मानकों को प्रभावित करते हैं। इसमें कहा गया, ‘‘अकादमिक प्रदर्शन सूचक (एपीआई) मूल्यांकन प्रणाली को हटाने और नयी प्रणाली लागू करने से उच्च स्तर का विवेकाधिकार प्राप्त होगा और इसका पुनर्मूल्यांकन किया जाना चाहिए।’’

बयान में कहा गया है कि सहायक प्रोफेसरों की नियुक्ति से संबंधित कई प्रावधानों पर गंभीरता से पुनर्विचार की आवश्यकता है, जिनमें संबंधित मुख्य विषय में बुनियादी डिग्री की आवश्यकता नहीं होने से संबंधित प्रावधान भी शामिल हैं।

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