Budget 2025: मालदीव की बल्ले-बल्ले, भारत ने बढ़ाई आर्थिक मदद; फिर भी टॉप पर है ये पड़ोसी देश
- भारत ने मालदीव के लिए सहायता राशि 470 करोड़ रुपये से बढ़ाकर 600 करोड़ रुपये कर दी है। यह वृद्धि ऐसे समय में आई है जब मालदीव और भारत के बीच संबंधों को फिर से मजबूत करने की कोशिशें जारी हैं।
भारत सरकार के विदेश मंत्रालय (MEA) ने 2025-26 के लिए विदेशी सहायता के रूप में 5,483 करोड़ रुपये आवंटित किए हैं, जो पिछले वर्ष के संशोधित 5,806 करोड़ रुपये की तुलना में थोड़ा कम है। वहीं, विदेश मंत्रालय का कुल बजट 20,516 करोड़ रुपये रखा गया है। हालांकि भारत की विदेश नीति में पड़ोसी और रणनीतिक साझेदार देशों को दी जाने वाली सहायता महत्वपूर्ण बनी हुई है।
भूटान को सबसे अधिक सहायता, लेकिन राशि में कटौती
भूटान भारत से सबसे अधिक सहायता प्राप्त करने वाला देश बना हुआ है। भारत ने 2025-26 में भूटान को 2,150 करोड़ रुपये आवंटित किए हैं, जो पिछले वर्ष के संशोधित 2,543 करोड़ रुपये से कम है। हालांकि, भारत अब भी भूटान का सबसे बड़ा विकास सहयोगी बना हुआ है। यह सहायता मुख्य रूप से बुनियादी ढांचे, जलविद्युत परियोजनाओं और आर्थिक सहयोग के लिए दी जा रही है।
मालदीव के लिए सहायता में वृद्धि, रिश्ते सुधारने की कोशिशें
एनडीटीवी की रिपोर्ट के मुताबिक, भारत ने मालदीव के लिए सहायता राशि 470 करोड़ रुपये से बढ़ाकर 600 करोड़ रुपये कर दी है। यह वृद्धि ऐसे समय में आई है जब मालदीव और भारत के बीच संबंधों को फिर से मजबूत करने की कोशिशें जारी हैं। मालदीव के राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू के सत्ता में आने के बाद उनका झुकाव चीन की ओर बढ़ा, जिससे भारत और मालदीव के रिश्तों में तनाव आ गया था।
2024 की शुरुआत में भारत ने मालदीव से अपनी सैन्य टुकड़ी को वापस बुला लिया था। अब, मालदीव के रक्षा मंत्री घसन माउमून के हालिया भारत दौरे के बाद दोनों देशों के बीच सहयोग को फिर से मजबूत करने की कोशिश की जा रही है।
अफगानिस्तान की सहायता दोगुनी, लेकिन पुरानी तुलना में कम
भारत ने अफगानिस्तान को दी जाने वाली सहायता को 50 करोड़ रुपये से बढ़ाकर 100 करोड़ रुपये कर दिया है। हालांकि, दो साल पहले यह राशि 207 करोड़ रुपये थी। भारत अभी भी तालिबान सरकार को आधिकारिक रूप से मान्यता नहीं देता, लेकिन मानवीय सहायता और आर्थिक सहयोग जारी रखा गया है।
इस साल की शुरुआत में भारतीय राजनयिक विक्रम मिस्री ने दुबई में तालिबान अधिकारियों से मुलाकात की। चर्चा मुख्य रूप से व्यापार और ईरान के चाबहार बंदरगाह में भारत की रुचि पर केंद्रित रही। यह बंदरगाह भारत के लिए पाकिस्तान को दरकिनार करते हुए मध्य एशिया और अफगानिस्तान तक व्यापार का एक महत्वपूर्ण मार्ग है।
म्यांमार के लिए सहायता में कटौती
भारत ने म्यांमार के लिए सहायता राशि को 400 करोड़ रुपये से घटाकर 350 करोड़ रुपये कर दिया है। यह कटौती ऐसे समय में हुई है जब म्यांमार में जारी आंतरिक संघर्ष और जातीय सशस्त्र समूहों द्वारा सीमावर्ती क्षेत्रों पर कब्जा भारत के लिए सुरक्षा चिंता का विषय बना हुआ है। हाल ही में भारत सरकार ने भारत-म्यांमार सीमा पर लोगों की आवाजाही को सीमित करने के लिए नियम कड़े कर दिए हैं। अब पहले के 16 किमी के मुक्त आवागमन क्षेत्र (FMR) को घटाकर 10 किमी कर दिया गया है।
बांग्लादेश की आर्थिक मदद बरकरार
बांग्लादेश के लिए सहायता राशि 120 करोड़ रुपये बरकरार रखी गई है, हालांकि भारत और बांग्लादेश के बीच राजनयिक तनाव जारी है। पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना को भारत में शरण दी गई है, जबकि बांग्लादेश की वर्तमान सरकार उनके प्रत्यर्पण की मांग कर रही है।
नेपाल, श्रीलंका सहित इन देशों को भी खूब सहायता देता है भारत
नेपाल को भारत की ओर से 700 करोड़ रुपये की सहायता दी जा रही है, जो पिछले वर्ष के बराबर है।
श्रीलंका को संकट से उबरने के लिए 300 करोड़ रुपये की सहायता दी गई है।
अफ्रीकी देशों को दी जाने वाली सहायता राशि 225 करोड़ रुपये कर दी गई है, जो पिछले साल 200 करोड़ रुपये थी।
लैटिन अमेरिका के लिए सहायता राशि 90 करोड़ रुपये से घटाकर 60 करोड़ रुपये कर दी गई है।
ईरान के चाबहार बंदरगाह के लिए 100 करोड़ रुपये की राशि तय की गई है।
आपदा राहत और सांस्कृतिक कूटनीति को भी बढ़ावा
भारत के आपदा राहत बजट में 4 करोड़ रुपये की वृद्धि की गई है। अब यह राशि 64 करोड़ रुपये हो गई है। भारत वैश्विक आपदा राहत प्रयासों में अग्रणी रहा है। 2023 में तुर्की में आए भूकंप और 2024 में लाओस व वियतनाम में आई बाढ़ के दौरान भारत ने त्वरित सहायता भेजी थी। इसके अलावा, भारत अपनी सांस्कृतिक कूटनीति को भी मजबूत कर रहा है। भारतीय सांस्कृतिक संबंध परिषद (ICCR) का बजट 331 करोड़ रुपये से बढ़ाकर 351 रुपये करोड़ कर दिया गया है। अंतरराष्ट्रीय प्रशिक्षण कार्यक्रमों के लिए 1,247 करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं।
भारत की विदेशी सहायता नीति में पड़ोसी देशों और रणनीतिक साझेदारों को प्राथमिकता दी जा रही है। हालांकि, कुल सहायता राशि में कमी आई है, लेकिन मालदीव और अफगानिस्तान जैसे देशों के लिए फंडिंग में वृद्धि देखी गई है। साथ ही, म्यांमार और लैटिन अमेरिका के लिए सहायता राशि घटाई गई है। चाबहार बंदरगाह और आपदा राहत प्रयासों पर विशेष ध्यान दिया गया है।