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तिहाड़ की दीवारें भी नहीं रोक पाईं, ‘बिकिनी किलर’ चार्ल्स शोभराज पर लट्टू हो जाती थीं लड़कियां

  • 70 के दशक में चार्ल्स शोभराज के नाम से लोग खौफ खाते थे। वहीं जब उसे तिहाड़ जेल लाया गया तो वह वहां धाक जमा बैठा। एक दिन बर्थडे पार्टी के बाद वह तिहाड़ से भी भाग निकला।

Ankit Ojha लाइव हिन्दुस्तानSun, 2 Feb 2025 02:33 PM
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तिहाड़ की दीवारें भी नहीं रोक पाईं, ‘बिकिनी किलर’ चार्ल्स शोभराज पर लट्टू हो जाती थीं लड़कियां

दिल्ली में विधानसभा चुनाव प्रचार के दौरान पीएम मोदी ने आम आदमी पार्टी की तुलना इंटरनेशल क्रिमिटल चार्ल्स शोभराज से कर दी। चार्ल्स शोभराज पर 21 विदेश लड़कियों की कत्ल का आरोप था। उसपर आरोप था कि वह लड़कियों को अपने जाल में फंसाता था। इसके बाद लूटपाट करके उनकी हत्या कर देता था। कई लड़िकियों के शव 'बिकिनी' में पाए गए थे। इसलिए चार्ल्स शोभराज बिकिनी किलर के नाम से मशहूर हो गया। 70 के दशक में चार्ल्स शोभराज के नाम से लोग खौफ खाते थे। वह शातिर चोर और लुटेरा था।

भारत में काटी जेल

चार्ल्स शोभराज ने 21 साल तक भारत की जेल में भी सजा काटी। चार्ल्स शोभराज का तिहाड़ में इतना दबदबा था कि उसे सुपर आईजी कहा जाता था। एक सरकारी अधिकारी सुनील गुप्ता को नौकरी दिलाने में भी उसने मदद की थी। भारत में पहली बार उसे 1971 में मुंबई के अशोका होटल में गिरफ्तार किया गया था। उसने जवाहरात की दुकान में चोरी की थी। गौर करने वाली बात कि उस समय अमेरिका के विदेश मंत्री हेनरी किसिंजर भारत आए थे और अशोका होटल में ही रुके हुए थे। उसने खुद को नेपाल का राजकुमार बताकर जवाहरात अपने ही कमरे में मंगवा लिए थे।

चार्ल्स शोभराज की मां वियतनामी मूल की थीं और पिता सिंधी थे। चार्ल्स शोभराज जब छोटा था तभी पिता ने उसे और उसकी मां से दूरी बना ली थी। बताया जाता है कि शोभराज का बचपन बहुत अच्छा नहीं था। तिहाड़ जेल में अधिकारी रहे सुनील गुप्ता ने अपनी किताब में बताया कि उन्हें जेल प्रशासक की तरफ से ऑफर लेटर मिला था। इसलिए उन्होंने रेलवे की नौकरी छोड़ दी। लेकिन जब वह जॉइन करने पहुंचे तो उन्हें नौकरी देने से ही मना कर दिया गया। तभी वहां एक बेहद प्रभावशाली अधिकारी की तरह दिखने वाला व्यक्ति आया। उन्हें लगा कि वह जेल के कोई अधइकारी हैं। उन्होंने अपनी परेशानी उनके सामने रखी। उसने जॉइनिंग लेटर ले लिया और अंदर अधिकारी से बात की। थोड़ी देर बाद ही उनका जॉइनिंग लेटर मिल गया।

चार्ल्स शोभराज के पास फ्रांस की नागरिकता थी क्योंकि उस वक्त वियतनाम फ्रांस के ही कब्जे में था। वह विदेशी लड़कियों को अपना शिकार बनाता था। अपनी फर्राटेदार इंग्लिश, लुक और पहनावे से वह लोगों को विश्वास हासिल कर लेता था। बाद में लूटपाट और हत्या करता था।

नहीं रोक पाई थीं तिहाड़ की दीवारें

देश की सबसे सुरक्षित मानी जाने वाली जेल तिहाड़ से भी वह एक बार चकमा देकर फरार हो गया था। हालांकि कुछ दिन बाद ही उसे गोवा से फिर गिरफ्तार कर लिया गया। 1076 में उसे तिहाड़ जेल लाया गया था। उसने अपने जन्मदिन पर पार्टी का आयोजन किया जिसमें उसने अधिकारियों और सिपाहियों को भी बुलाया। उसने मिठाइयों और खाने-पीने के सामान में नशीला पदार्थ मिला दिया। पहरेदारों को भी उसने मिठाई खिलाई जिसके बाद बहुत सारे लोग बेहोश हो गए। इसके बाद वह दरवाजा खोलकर कुछ अन्य कैदियों के साथ फरार हो गया। 22 दिन के बाद गोवा से उसे फिर गिरफ्तार कर लिया गया।

1975 में उसे आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई थी। 1997 में शोभराज को तिहाड़ जेल से रिहा कर दिया गया। उसे किसी मामले में दोषी नहीं पाया गया। इसके बाद 2003 में वह नेपाल में गिरफ्तार हो गया। दोहरे हत्याकांड के मामले में उसे आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई। 20 साल पूरे होने के बाद उसे वहां से भी रिहा कर दिया गया। नेटफ्लिक्स की वेबसीरीज ब्लैक वार्ंट की वजह से चार्ल्स शभराज एक बार फिर चर्चा में है।

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