न्यायपालिका के प्रति सम्मान सबसे ऊपर; मिलकर कर रहे काम, विवादों के बीच सरकार के शीर्ष सूत्र
विवादों के बीच सरकार के शीर्ष सूत्रों ने कहा है कि न्यायपालिका के लिए सम्मान सर्वोपरि है और लोकतंत्र के सभी स्तंभ विकसित भारत के लिए मिलकर काम कर रहे हैं।

उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ और भाजपा सांसदों द्वारा सुप्रीम कोर्ट पर निशाना साधने वाली टिप्पणियों के बाद उठे विवादों के बीच सरकार के शीर्ष सूत्रों ने कहा है कि न्यायपालिका के लिए सम्मान सर्वोपरि है । शीर्ष सूत्र ने ये भी कहा कि लोकतंत्र के सभी स्तंभ विकसित भारत के लिए मिलकर काम कर रहे हैं। सरकार के एक उच्च पदस्थ सूत्र ने NDTV से कहा, "न्यायपालिका का सम्मान सर्वोपरि है। लोकतंत्र के सभी स्तंभ मिलकर विकसित भारत के लिए काम कर रहे हैं। न्यायपालिका और विधायिका एक ही सिक्के के दो पहलू हैं।"
केंद्र सरकार की तरफ से यह स्पष्टीकरण सुप्रीम कोर्ट द्वारा विवादास्पद वक्फ संशोधन अधिनियम के कुछ प्रावधानों पर रोक लगाने के कुछ दिनों बाद आया है। माना जा रहा है कि यह बयान न्यायपालिका और विधायिका के बीच संतुलन बनाने की एक कोशिश है। सूत्रों ने बताया कि केंद्र सरकार सुप्रीम कोर्ट में लंबित वक्फ संबंधी सभी याचिकाओं पर उचित कानूनी प्रक्रिया के तहत विचार करेगी। सूत्र ने कहा, "सभी को सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाने का अधिकार है। केंद्र सुप्रीम कोर्ट में अपना पक्ष रखेगा।"
संसद ही सुप्रीम : उपराष्ट्रपति
इस बीच, उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने अपने दिए बयान की आलोचनाओं के बीच मंगलवार को फिर कहा कि लोकतंत्र में संसद ही सुप्रीम है। उन्होंने कहा कि संवैधानिक प्राधिकारी द्वारा बोला गया प्रत्येक शब्द सर्वोच्च राष्ट्रहित से प्रेरित होता है। उन्होंने हाल में उच्चतम न्यायालय के आदेश को लेकर की गई अपनी टिप्पणी पर सवाल उठाने वाले आलोचकों पर निशाना साधा।
बता दें कि सुप्रीम कोर्ट की एक पीठ ने हाल ही में राज्यपालों द्वारा रोक कर रखे गए विधेयकों पर राष्ट्रपति की मंजूरी के वास्ते उन्हें फैसला लेने के लिए तीन महीने की समयसीमा तय की थी। इस निर्देश पर प्रतिक्रिया देते हुए धनखड़ ने कहा था कि न्यायपालिका ‘‘सुपर संसद’’ की भूमिका नहीं निभा सकती और कार्यपालिका के अधिकार क्षेत्र में नहीं आ सकती।
प्रत्येक शब्द राष्ट्र के सर्वोच्च हित से प्रेरित
दिल्ली विश्वविद्यालय के एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि संवैधानिक पदाधिकारी द्वारा बोला गया प्रत्येक शब्द राष्ट्र के सर्वोच्च हित से प्रेरित होता है। उन्होंने कहा, ‘‘मुझे यह बात समझ में आती है कि कुछ लोगों ने हाल में यह विचार व्यक्त किया है कि संवैधानिक पद औपचारिक और सजावटी हो सकते हैं। इस देश में हर किसी की भूमिका - चाहे वह संवैधानिक पदाधिकारी हो या नागरिक - के बारे में गलत समझ से कोई भी दूर नहीं हो सकता।’’