Hindi Newsमहाराष्ट्र न्यूज़Bombay High Court urges State to explore if mother caste status can be used to obtain caste certificate

अब मां की जाति के आधार पर भी बन सकेगा ओबीसी सर्टिफिकेट? HC का क्या आदेश

कोर्ट ने राज्य सरकार से कहा कि अपनी मां की सामाजिक स्थिति और जाति के आधार पर जाति प्रमाण पत्र चाहने वाले नागरिकों को अपनी मां की सामाजिक स्थिति के दस्तावेज अपलोड करने की सुविधा दी जाए।

Pramod Praveen लाइव हिन्दुस्तान, मुंबईTue, 18 Feb 2025 02:47 PM
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अब मां की जाति के आधार पर भी बन सकेगा ओबीसी सर्टिफिकेट? HC का क्या आदेश

बॉम्बे हाई कोर्ट ने हाल ही में महाराष्ट्र सरकार को निर्देश दिया है कि असाधारण परिस्थितियों में मां की जाति के आधार पर बच्चों को जाति प्रमाण पत्र और ओबीसी सर्टिफिकेट जारी करने के लिए 'आपले सरकार' पोर्टल पर आवश्यक प्रावधान जोड़ने पर विचार करे। इसके साथ ही हाई कोर्ट ने राज्य सरकार से एक समिति भी गठित करने को कहा है ताकि ऐसी परिस्थितियों से निपटने के लिए पोर्टल पर दस्तावेज अपलोड करने के प्रावधानों की संभावना का पता लगाया जा सके। कोर्ट ने राज्य सरकार से कहा कि अपनी मां की सामाजिक स्थिति और जाति के आधार पर जाति प्रमाण पत्र चाहने वाले नागरिकों को अपनी मां की सामाजिक स्थिति के दस्तावेज अपलोड करने की सुविधा दी जानी चाहिए।

'आपले सरकार' राज्य सरकार की आधिकारिक वेबसाइट है, जो नागरिकों के लिए विभिन्न लाभकारी योजनाएं प्रदान करती है और उन्हें शिकायत दर्ज करने में भी सक्षम बनाती है। स्वानुभूति जैन बनाम महाराष्ट्र राज्य के मामले की सुनवाई करते हुए जस्टिस रवींद्र घुगे और जस्टिस अश्विन डी भोबे की पीठ ने इस बाबत राज्य सरकार को सरकारी पोर्टल में संशोधन करने का आदेश दिया।

बार एंड बेंच की रिपोर्ट के मुताबिक, खंडपीठ ने 30 वर्षीय महिला स्वानुभूति जैन द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए राज्य सरकार को पोर्टल पर मां की सामाजिक स्थिति के दस्तावेज अपलोड करने में सक्षम बनाने का आदेश दिया है। स्वानुभूति जैन ने अदालत से राज्य सरकार के अधिकारियों से प्राधिकारियों को उसकी मां की जाति के आधार पर अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) जाति प्रमाण पत्र जारी करने का निर्देश देने का आग्रह किया था। इसके साथ ही याचिकाकर्ता ने राज्य को यह निर्देश देने की भी मांग की थी कि आपले पोर्टल पर उसे अपनी मां की सामाजिक स्थिति के दस्तावेज अपलोड करने की अनुमति दी जाए, क्योंकि पोर्टल केवल पिता की जाति का दस्तावेज अपलोड करने की अनुमति देता है।

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अदालत ने अपने आदेश में कहा, "हम राज्य सरकार से उक्त पहलू पर विचार करने का आग्रह करते हैं और चूंकि इसमें सरकार द्वारा लिया जाने वाला निर्णय शामिल है, इसलिए सरकार के लिए उचित होगा कि वह एक उचित समिति गठित करे, जिसे डेटा/सूचना के साथ सहायता प्रदान की जाए, ताकि यह विचार किया जा सके कि क्या असाधारण परिस्थितियों में 'आपले सरकार' पोर्टल में एक खंड दर्ज किया जा सकता है, ताकि कोई भी आवेदक अपनी मां की सामाजिक स्थिति का विवरण प्रस्तुत कर सके और उसके आधार पर ओबीसी और जाति प्रमाण पत्र हासिल कर सके।"

हालांकि, हाई कोर्ट ने स्वानुभूति जैन की याचिका खारिज कर दी और कहा कि जैन यह साबित करने के लिए पर्याप्त सबूत पेश करने में विफल रही कि उसका पालन-पोषण केवल उसकी मां ने किया था या उसकी परवरिश उसकी मां की जाति की स्थिति से प्रभावित थी। कोर्ट ने कहा कि जैन के पिता, जो एक बैंक अधिकारी हैं, ने उसकी शिक्षा का खर्च उठाया था और परिवार एक ही घर में साथ रहता था। इसके अतिरिक्त, जैन की मां ने हाल ही में 2022 में अपना ओबीसी प्रमाण पत्र प्राप्त किया था, जिसके बाद जैन ने जाति प्रमाण पत्र के लिए आवेदन किया है। अदालत ने जैन की अर्जी से यह निष्कर्ष भी निकाला कि याचिकाकर्ता ने अनारक्षित श्रेणी के पिता के घर में पली-बढ़ी होने के बावजूद मां की ओबीसी स्थिति का लाभ उठाने का एक रणनीतिक कोशिश की है।

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