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कौन से रंग की साड़ी पहनूं, लाल लिपस्टिक लगाने से पहले इनसे पूछ लूं क्या...शादी के बाद कैसे बनाए रखें अपनी अलग पहचान,जानिए

विवाह जीवन भर का साथ होता है। लेकिन इसके सही मायने समझने की जगह अकसर लोग जीवनसाथी को अपनी उंगली पर नचाने में जुट जाते हैं। कभी-कभी यह निर्भरता इतनी ज्यादा बढ़ जाती है कि एक साथी घुटन महसूस करने लगता हैै। शादी के बाद भी अपनी अलग पहचान कैसे रखें बरकरार, बता रही हैं स्वाति शर्मा।

Manju Mamgain हिन्दुस्तानFri, 14 Feb 2025 01:31 PM
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कौन से रंग की साड़ी पहनूं, लाल लिपस्टिक लगाने से पहले इनसे पूछ लूं क्या...शादी के बाद कैसे बनाए रखें अपनी अलग पहचान,जानिए

समय रहते बिटिया अपने घर चली जाए। जिस देश में बेटी के 20 साल के होते ही उसकी शादी पर विचार शुरू हो जाता है, वहां आज करीब 24 प्रतिशत लड़कियां शादी ही नहीं करना चाहतीं। इसका एक बड़ा कारण है, स्वाधीनता छिन जाने का डर। उन्होंने पहले ही अपने माता-पिता, रिश्तेदारों और दोस्तों की खराब शादी के उदाहरण देख रखे हैं और अब उन्हें इस बात से डर लगने लगता है कि कहीं उन्हें भी बात-बात पर अपने साथी से आज्ञा लेने की जरूरत न पड़ने लगे। क्या आपको नहीं लगता कि इन उदाहरणों और पराधीन बनाने की मानसिकता ने विवाह बंधन के मायने ही बदल दिए? क्या विवाहिता को स्वतंत्र जीवन का अधिकार ही नहीं? पहले तो यह समझने की जरूरत है कि विवाह में बंधन किस बात का है। आचार्य राहुल द्विवेदी कहते हैं कि विवाह में बंधन मर्यादा का होता है और यह दोनों साथियों पर लागू होता है। असल में विवाह के समय पुरुष की तरफ से दिए जाने वाले सात वचन और महिला की तरफ से दिए जाने वाले पांच वचन ही विवाह का आधार होते हैं। और अफसोस की बात यह है कि इन्हें छोड़कर व्यक्ति अन्य बातों को मानने लगता है। वैवाहिक जीवन में तनाव का यह बड़ा कारण है। वैवाहिक बंधन में बंधे हुए भी स्वतंत्र जीवन की कल्पना निराधार नहीं हो सकती। बस, इस स्वतंत्रता की सही धारा को पहचानना होगा। असल में जब दो लोग एक साथ जीवन जीने का संकल्प करते हैं, तो कदम ताल बराबर होनी जरूरी है। इसमें निर्भरता नहीं, सहभागिता होनी चाहिए, जैसे एक टीम मिलकर काम करती है। इस बात का ख्याल रखते हुए निजी स्वतंत्रता का सम्मान हो तो जीवन बेहतर दिशा में आगे बढ़ सकती है।

कैसी निर्भरता है गलत

कौन से रंग की साड़ी पहनूं, इनसे पूछ लूं...मैं लाल रंग की लिपस्टिक नहीं लगाती, इन्हें पसंद नहीं है ना...। कहीं आप जागने से लेकर सोने तक की हर बात पर पति पर निर्भर होती जा रही है? खाएंगी वह जो पति को पसंद हो। पहनेंगी वह जो पति को पसंद। यहां तक कि बात भी केवल उससे ही करेंगी, जिसके साथ पति सहज हों। यानी आपका अपना कुछ भी नहीं। पति की राय लेना अलग बात है। पर, अपना हर काम पति की पसंद-नापसंद को ध्यान में रखते हुए करना आपके अपने व्यक्तित्व को कहीं गायब ही कर देगा। शुरुआत में आप भले ही प्यार में ऐसा करें, लेकिन बाद में पति को इसकी आदत लग जाएगी और जब आप अपनी पसंद से चीजें करेंगी, तो पति को वह खराब लगने लगेगा।

कौन होता है निर्भर

मनोचिकित्सक डॉक्टर स्मिता श्रीवास्तव बताती हैं कि उन्होंने ऐसी कई महिलाएं देखी हैं, जो निर्भरता की आड़ में जीती हैं। इसमें उनकी खुद की असुरक्षा का भाव होता है। उन्हें लगता है कि अगर वे इन छोटी बातों में पति को शामिल नहीं करेंगी तो पति उन पर ध्यान देना बंद कर देगा। या फिर वे इन बातों को ही विवाह का आधार मान लेती हैं और विवाह के असल मतलब को पहचान ही नहीं पातीं। इसके अलावा कुछ महिलाएं अपनी छवि को बचाए रखने के लिए भी ऐसा करती हैं। वहीं लड़कियों को पालने का तरीका भी इसके लिए जिम्मेदार है। उनमें निर्णय लेने की क्षमता का विकास ही नहीं किया जाता।

कैसे हो विवाहिता की स्वतंत्रता

वैवाहिक जीवन में स्वतंत्रता का आशय सिर्फ बाहर जाकर पैसे कमाने तक सीमित नहीं है। आर्थिक स्वतंत्रता सिर्फ एक पक्ष है। ऐसी कई महिलाएं हैं, जो आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर होने के बावजूद सभी-छोटे बड़े निर्णयों के लिए पति पर निर्भर हैं। पैरों पर खड़ा होना और खुद के लिए खड़ा होना, दो अलग बातेंहैं। वैवाहिक जीवन में अपनी अलग पहचान बनाने के लिए कुछ अहम बातों का ख्याल रखें ताकि विवाह की मिठास भी बनी रहे और आपका जीवन भी आसान हो सके।

समय का करें बंटवारा

विवाह के बाद आपने खुद को कितना समय दिया? यानी खुद के लिए तैयार होना, खुद के शरीर और मन की सुनना, खुद को मुस्कुराने की वजह देना वगैरह। एक होता है, वी-टाइम और एक होता है, मी-टाइम। तराजू के दोनों पलड़ों की तरह इसमें भी संतुलन बिठाना सीखें। वी-टाइम में पति और परिवार के लिए समय निकालें, वहीं कुछ वक्त हर दिन खुद के साथ भी गुजारें। अपने लिए निकाले गए समय में वे सभी चीजें करें जो आपको पसंद हैं और उन पर किसी और का प्रभाव न हो। न ही अपनी खुशियों को दूसरों की सहमति का ठप्पा लगवाएं। यानी जो समय आपने खुद को दिया है, उसके लिए आपके मन में किसी तरह की हीन भावना नहीं होनी चाहिए।

अपने निर्णय खुद लें

क्या बनना है, कहां जाना है, क्या पहनना है, इन बातों पर विवाह नहीं टिकता। इसलिए इन बातों पर निर्भरता कम करें। कभी साथी के मन की कर ली, तो कभी खुद की भी चला ली। यही तो संतुलन है। आपको बाजार जाना है, तो साथी के समय निकालने का इंतजार क्यों? यह काम आप खुद भी कर सकती हैं। यहां तक कि अगर आप पूरी तरह सुरक्षित हैं तो बाहर अकेले घूमने जाने का निर्णय भी खुद ही ले सकती हैं। हां, अगर आपका साथी इसके लिए तैयार नहीं है, तो उन्हें तसल्ली से इस बारे में मना सकती हैं।

दोस्त बनाएं

कई बार शादी के बाद दोस्ती पर पूर्ण विराम ही लग जाता है। कुछ लोग कहते हैं कि घर की जिम्मेदारियों के चलते दोस्ती के लिए समय नहीं निकलता। पर, आप चाहें तो समय निकाला जा सकता है। सप्ताह या महीने का एक दिन दोस्तों के नाम हो सकता है। और उनसे मिलने, उनके साथ घूमने जाने या हंसी-ठिठोली के लिए आपको किसी की अनुमति की जरूरत नहीं पड़नी चाहिए। हां, संभव है कि आपका कोई दोस्त आपके पति को पसंद न हो और वे उससे मिलने से मना भी करते हों। ऐसे में उस नपसंदगी का कारण जानें। अगर वे सही हैं, तो स्वीकारें और अगर गलत हैं तो उनकी गलतफहमी दूर करें। जरूरी नहीं है कि आप अपने दोस्तों के बीच अपने जीवनसाथी को शामिल करें। अगर वे शामिल होते हैं और खुद भी दोस्तों की तरह बर्ताव करते हैं तो सोने पर सुहागा, लेकिन अगर इसका असर विवाह पर पड़ रहा हो तो दोनों पक्षों को अलग रखें और बीच का रास्ता निकालते हुए खुश रहें।

खुद के लिए खड़ी हों

कभी-कभी मामला घुटन से निकलने का होता है। शिकंजा इतना कसा हुए होता है कि उसे तोड़ना आसान नहीं है। यह वैवाहिक मर्यादा नहीं, बल्कि शोषण की प्रवृति है जो एक असुरक्षित व्यक्ति की पहचान है। अगर आप ऐसे शिकंजे में फंसी हैं तो आपको हिम्मत जुटानी होगी और खुद के लिए सही कदम उठाना होगा। कई बार आप सिर्फ इसलिए कदम नहीं उठाती हैं क्योंकि सही-गलत की पहचान होने के बावजूद आपको अपनी छवि खराब होने का डर होता है और आप इस मामले में जोखिम नहीं लेना चाहती हैं। पर, यह सिर्फ मन का भ्रम है कि आप अपनी छवि बचा कर रख सकती हैं। हर व्यक्ति का अपना नजरिया होता है। और सबके हिसाब से जीवन नहीं जिया जा सकता। अगर आप गलत नहीं हैं और उचित आजादी चाहती हैं तो उसके लिए आवाज उठाएं। अगर मामला ज्यादा गंभीर है, तो पेशेवर सलाह लेने से भी पीछे न रहें क्योंकि सवाल आपके जीवन का भी है।

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